ashok kumar bhatnagar

Inspirational

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ashok kumar bhatnagar

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" चुभन का दर्द "

" चुभन का दर्द "

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हम याद करते हैं उस बीते हुए समय को, हम लौटना चाहते हैं उस पुराने समय में। हम सोचते हैं, काश ऐसा होता, काश वैसा होता। पर जो हो चुका है, उसे बदला नहीं जा सकता। यह कहानी है उस बालक की, जिसने अपनी माँ को उस समय खो दिया। जब उसे अपनी माँ की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी। वह अपनी नाकामियों पर, अपनी असफलताओं पर, अपनी माँ की गोद में सुकून चाहता था। अपनी माँ के कंधो पर अपना सर रख कर रोना चाहता था, पर उस बदनसीब को ना तो माँ की गोद नसीब  हुई और ना ही माँ का कंधा   ।    उसकी माँ उस दुनिया मे जा चुकी थी जंहा से कोई बापस नही आता. बोह बदनसीव बालक रोया जरुर पर पेड़ के तने को पकड़ कर. खुले आसमान मे खेतों पर किसी निर्जन जगह ताकि उसकी सिसकियों को उसके चीत्कार को उसके बिना सिसकी लिये उसकी आँखों के आंसुओ को कोई देख ना सके. उस बालक की एक पुरानी कहानी 

                      “चुभन  ‘       


  लोगों के नजरिये से वह एक साधारण दिखने वाली मामूली  नाक  नक्शे वाली औरत थी। परंतु उसके लिए, वह दुनिया की सबसे सुंदर औरत थी, है और रहेगी।


उसके लिए उसकी सुंदरता का मायना कुछ भी नहीं था, बल्कि उसकी आत्मा की प्रकाशमयी ऊर्जा और उसके स्वाभाविक सौंदर्य में ही उसकी असीम सुंदरता छुपी थी। उसकी सच्ची खूबसूरती उसके विचारों, कृतित्व, और प्रेम में बसी थी, जो उसे अनूठा बनाती थी। वह दिल की सच्ची और अद्वितीय महिला थी, जिसकी सुंदरता केवल उसकी अंतरात्मा की गहराई में देखी जा  सकती थी।


जीवन की सभी समस्याओं के बावजूद, वह हमेशा मुस्कुराती रहती थी, उसका आत्मविश्वास अत्यधिक था।

उसकी उम्र ज्यादा नहीं थी, लेकिन समय ने उसको अधीर और लचर बना दिया, और वह 35 साल की उम्र में 60 साल की दिखती थी।  जीवन की सभी मुश्किलों के बावजूद, वह अपनी प्राकृतिक मुस्कान और आत्मविश्वास में अद्वितीय थी। उसने अपने जीवन के हर कठिनाई को विश्वास के साथ पार किया और उसका आत्मविश्वास किसी भी परिस्थिति में कम नहीं हुआ। उसकी आत्मा का जोश और साहस समय के साथ भी कभी नहीं थमा।उसकी समझदारी और आत्म-संयम ने उसे हमेशा आगे बढ़ने की शक्ति दी। वह समय के अनुसार अपनी शक्तियों का सही उपयोग करती रही और अपने जीवन को संतुष्ट, स्थिर और समृद्धिशाली बनाए रखा।


मुझे याद आता है कि उसके पास सिर्फ दो ही साड़ियां थीं, और वह भी इतनी पुरानी हो चुकी थीं कि एक सी लगती थीं, उसमें अंतर करना मुश्किल था। उसमें गजब का आत्मविश्वास था और उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा उसे दूसरों से अलग करता था।


उसकी आध्यात्मिकता और सादगी में उसकी खासियत थी। वह अपने सादा और पुराने कपड़ों में भी खूबसूरती की कोई कमी नहीं महसूस करती थी। उसका आत्मविश्वास और मुस्कान उसके चेहरे पर एक अद्वितीय चमक लाते थे, जो उसे अनूठा बनाते थे।


उसका अनूठा चमकता हुआ चेहरा उसे अन्यों से हटाकर एक विशेष व्यक्तित्व बनाता था। उसकी आदत थी अपने जीवन में संतुष्टि का आनंद लेने की, और वह हमेशा प्रसन्नता से भरा रहता था।

          

यही कारण था कि तमाम परेशानियों के बावजूद, उसने अपने लाल को पढ़ाई के लिए शहर भेजा। वह एक छोटे गांव में रहने वाली औरत थी और उसके पास सामान के नाम पर 2 या 3 मिट्टी के बर्तन थे।


उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे उसके लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने में मदद की। वह अपने संघर्षों के बावजूद आगे बढ़कर अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध रही।


उसकी लगन, मेहनत और आत्मविश्वास ने उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा तैयार रही और अपने प्रियजनों के लिए आदर्श बनी।


उसके गांव से शहर जाने का किराया एक रुपया था। वह अनाज की बोरी को उठाकर पूरे गांव में घूमती और आवाज लगाती, अनाज बेचने की कोशिश करती या लोगों से विनती करती कि कोई उसे एक रुपये उधार दे ताकि उसका लाल शहर जा सके। उसका बेटा उसकी परेशानी से अनजान नहीं था और अपनी मां की सेवा करना चाहता था।वह अपनी मां का साथ देने के लिए तत्पर था और उनके सपनों को साकार करने के लिए पूरी तरह से तैयार था।


उनका यह काम चार वर्षों तक चलता रहा, लेकिन अचानक काल ने उनकी मां को छीन लिया और बेह काल में समा गईं, और काल के हाथ मजबूर होकर रह गईं।


इस दुखद घटना ने उनके बेटे को गहरे शोक में डाल दिया, लेकिन वह अपनी मां के यादों को सदैव अमर बनाकर उनकी आत्मा को शांति देने के लिए प्रतिबद्ध रहा।


अब उसका बेटा एक बहुत बड़ा  अधिकारी है ।लेकिन उसके दिल में अपनी मां के लिए एक रुपये मांगने की यह याद आज भी बरकरार है। वह अपनी मां के साथ गुजरे हुए समय को कभी नहीं भूलता और उनके साथ की छोटी-छोटी खुशियों को हमेशा याद रखता है। इससे उसकी आत्मा में एक गहरी चुभन बरकरार रहती है, जो उसे हमेशा अपनी मां के प्रति समर्पित रखती है।


                 


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