चोरी
चोरी
नन्हा गोलू प्ले- स्कूल में पढ़ता है. उम्र पौने तीन साल. माँ- डैडी दोनों नौकरीशुदा हैं. दादी घर में मौजूद रहती हैं, उसे संभालने के लिए. एक दिन जब वह स्कूल से वापस आया तो उन्होंने हमेशा की तरह, उसका बस्ता खोला. बस्ते से टिफिन- बॉक्स निकालकर, धुलने के लिए रखना था. किन्तु यह क्या! वहां खाने के डब्बे के अलावा, एक चमचमाता हुआ स्केल था. “यह लोहे की पटरी, तेरे बैग में कैसे?” वे हैरान हो गयीं. “दादी, ये मैं आपको दिखाने के लिए लाया था...टीचर रोज इसे क्राफ्ट- पीरियड में देती हैं, इस्तेमाल के लिए” “फिर जमा कर लेती हैं?” “हां” गोलू ने थोड़ा भ्रमित होते हुए कहा. “तूने उसे जमा क्यों नहीं किया?” इस बार उनका क्रोध साफ़ झलक रहा था. “अरे...! उनके पास कई सारे एक्स्ट्रा हैं, इसीलिए मैं ले आया” तपाक से जवाब मिला.
दादी के पास, वाचाल पोते से, जूझने की ताकत नहीं थी; लिहाजा बहू के आते ही, उसे गोलू की करतूत बता दी. बच्चे की पेशी, अपनी माँ के दरबार में हुई. माँ ने पहले तो प्यार से, उसके सर पर हाथ फेरा; फिर कहा, “ बेटा वह स्केल, तुम्हारा नहीं है, स्कूल का है. उसको वापस कर देना” “पर मम्मा...टीचर रोज उसे देती हैं...फिर वह मेरा क्यों नहीं??”
लाडले को समझाने के लिए, माँ ने, उसके पिता का उदाहरण दिया जो शहर के प्रतिष्ठित, डायमंड- क्लब के मेनेजर हैं, “देख बेटा...डैडी क्लब में, आर्ट- कम्पटीशन करवाते हैं तो बच्चों को वैसा ही स्केल देते हैं. बाद में उसे वापस ले लेते हैं.” “अब बात समझ में आ गई.” गोलू ने उत्साहित होकर कहा, “क्योंकि स्केल क्लब का है...बच्चों का नहीं.” “शाबास बेटा!” मम्मा ने प्यार से उसे थपथपाया और दादी से बोलीं, “अम्मा! कल आप इसके साथ स्कूल चली जाना...मैडम को समझा देना कि लोहे की पटरी, गलती से इसके बैग में आ गयी थी” “ठीक है बहू” अम्मा ने हुंकारा भरा. ‘प्रकरण’ कुछ ज्यादा ही लम्बा खिंच गया था; तो भी मामला, यहीं ख़तम नहीं हुआ. ‘सूचना’ बच्चे के पिता तक भी जा पंहुंची.
डैडी ने डिनर के बाद, गोलू से कहा, “बेटा स्कूल से स्केल मत लाना. मैं तुम्हारे लिए, क्लब से ले आऊँगा. वहां के स्टोर में, बहुतेरे हैं” उनके लहजे में, लापरवाही साफ़ झलक रही थी. “लेकिन वह तो क्लब के हैं ...!” गोलू को अपना ही स्वर डूबता सा लगा! किन्तु डैडी ने उसकी बात, मानों सुनी ही नहीं और सोने चले गये.
अगले दिन स्कूल में, स्केल वापस करते हुए, दादी ने शान से कहा, “हम लोग अपने बच्चों में गलत आदत पड़ने ही नहीं देते...हमारे संस्कार ऐसे नहीं हैं” टीचर ने गंभीरता से गोलू से पूछा, “तो गोलू...इस घटना से आपने क्या सीखा?” “मुझे चोरी नहीं करनी चाहिए...” बच्चे ने जवाब दिया; फिर सर झुकाकर फुसफुसाया, “डैडी की बात और है...” टीचर ने पाया, दादी का चेहरा सफेद पड़ गया था.
