चन्द्रयान 2
चन्द्रयान 2
चंद्रयान-2 का अनुसंधान के अंतर्गत सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। अंतरिक्ष पर जाकर अपने सपने साकार होने में अब देर नहींं लगेगी वैसे भी चंद्रमा तो प्रेम और सुंदरता का प्रतिक है। महिलाओं के मन का राजा है। अभी भी कुछ महिलाएं भाई, पुत्र, मित्र, प्रियतम के रूप में पूजन आराधन करती आई है। संत महात्माओ ने, साहित्यकारों ने भर भर कर प्रशंसा की है। ऐसे प्रिय चंद्रमा पर चंद्रयान -2 भेजा गया है।चंद्रमा का और पृथ्वी वासियों का नाता और घनिष्ठ होता जा रहा है। खास करके महिलाओं का चंद्रमा से बहुत गहरा लगाव है।यह मन का प्रतीक चंद्रमा महिलाओं के दिल पर राज करता है। जल से भी चंद्रमा का गहरा ताल्लुक है। बहुआयामी चंद्रमा का अंदाज है।
हालांकि अवकाश में चंद्रमा के आस-पास तथा चंद्रमा के उपर परिभ्रमण कर छोटी से छोटी भी जानकारी हमें पृथ्वी पर मिलती रहेगी। यह बहुत बड़ी आश्चर्य वाली बात है जो कोई नहींं कर सका वह भारत ने कर दिखाया है। चंद्रयान 2- का 15 जुलाई आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सोमवार को यशस्वी प्रक्षेपन हुआ यह मिशन पूरी तरह सफल हो गया है और कदम दर कदम पर सक्षमता की ओर बढ़ता जा रहा है ।
चंद्रयान-2 की बागडोर पहली बार दो महिलाओ के हाथ में दी गई थी। पूरी कमान संभालने हेतु जिम्मेदार महिलाओं को नियुक्त किया गया वह भाग्यवान महिला का नाम मुथैया वनिता और रितु करिधाल श्रीवास्तव हैं।
उनके हाथों में मिशन की पूरी बागडोर दी गई थी जो कि बड़े ही जिम्मेदारी से उन्होंने निभाई। भारतीय इसरो ने उनके ऊपर विश्वास डालकर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व दिया था।
चंद्रयान-2 मिशन देश को प्रगति की ओर ले जाकर देश का मान-सम्मान बढाएगा। इन दोनो महिलाओं ने अपनी चमक दिखाकर सफल नेतृत्व किया है। स्त्री शक्ति का फिर से जीता जागता उदाहरण आज हमारे सामने है।उन्होने पुरुष के बराबर कार्य करके समाज में जागृति का नया परचम लहराया है। महिलाओं का आत्मविश्वास को ऊंचाई पर ले जाकर वह नव-निर्माता बन गई है। इन दो महिलाओं की वजह से महिलाओं का वर्चस्व समाज में बढ़ गया है। पांव की जूती समझने वाले देश में महिलाओं ने बडे पैमाने पर इतिहास में नए पन्ने जोड दिए है।
बंगलूरू में इसरो उपग्रह केंद्र में आज अनेक महिलाएं काम कर रही है। यह कन्या राशि वाली महिलाएं शक्तिशाली तो थी ही लेकिन अब चंद्रमा पर भी अपना परचम लहरा रही है। यह बहुत बड़ी ऊंची उड़ान भरने वाली बात है इस बात से सारा देश खूब खुशियां मना रहा है। खासकर महिलाएं बहुत आनंदित है।
मुथैया यूआर राव, सैटेलाइट सेंटर से एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। वह डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं और उन्होंने उपग्रह संचार पर कई आलेख लिखे हैं। उष्णकटिबंधीय में जल चक्र और ऊर्जा विनिमय का अध्ययन करने के लिए इंडो-फ्रेंच उपग्रह (मेघा-ट्रॉपिक) पर उप परियोजना निदेशक के तौर पर काम किया है।
भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह कार्टोसैट 1 दूसरे महासागर अनुप्रयोग उपग्रह ओशनसैट 2 परियोजना के अंतर्गत पर काम किया है। 2006 में उन्हें एस्ट्रॉनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया था। साइंस जर्नल नेचर ने उनका नाम उन पांच वैज्ञानिकों की श्रेणी में रखा था।
रितु करीधन रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी रह चुकी है। पहली बार ऐसे किसी संपर्क निर्देशन में किसी ने नहींं किया वही काम इन महिलाओं ने कर यह राकेट चंद्रयान-2 सफलता की तरफ तक ले गया है। हालांकि महिलाओं ने प्राचीन काल में विभिन्न क्षेत्र में कार्य किया है उनके उपर पूरी जिम्मेदारी दी गई थी वह उन्होंने पूरी इमानदारी से किया है। साल 2007 में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम साइंस से अवॉर्ड मिला था। रितु करीधल को बचपन से ही विज्ञान में खास दिलचस्पी थी। आब बड़ी हुनरबाज इंजीनियर है। रितु करीधल को परिवार का सहयोग भी बहुत मिला इसलिए वह अपना लक्ष्य पूरा कर सकी उनके एक बेटा और एक बेटी है। घर के सभी सदस्य उसकी मेहनत और लगन देखते तारीफ करते नहींं थकते। रितु भी अपना कर्तव्य निभाती परिवार के प्रति अपना प्यार विश्वास निभाती आई है। वह कितना भी ऑफिस में थक जाने के बावजूद घर जाकर अपने बच्चों को प्यार और साथ देती है।
नई दिल्ली की अदिती सिंह का भी बड़ा नाम है। यह पहली बार नहींं है जब इसरो में महिलाओं ने किसी बड़े अभियान में मुख्य भूमिका निभाई हो। इससे पहले मंगल मिशन में भी आठ महिलाओं की बड़ी भूमिका रही थी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन की पहली तस्वीर दुनिया के सामने जाहिर की थी।
इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर है वह डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग उपग्रह संचार पर अध्ययन करके परियोजना को विभूषित किया है। मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर पद संभाल चुकी है हमेशा महिलाओं को प्रेरित किया है। ब्रह्मांड का कायाकल्प देखने की ललक ने ही उन्हें कामयाब बनाया। रितु ने इसरो में किए इस प्रोजेक्ट को चुनौती मानकर पूरा किया। चंद्रमा पर चंद्रयान पहुंचने की यह अभियान बड़ा ही दिलचस्प और खास रहा क्योंकि यह ग्रह जिस की बागडोर महिलाओं के हाथ में थी।
चंद्रयान-2 का 15 जुलाई को सुबह दो बजकर इक्यावन मिनट पर भेजा गया था। यह चंद्रमा की सतह पर वहां की पूरी मालूमात लेकर भेज देगा ऐसा आज तक कोई भी यान बना नहींं है। यह यान दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा जा रहा है क्यों की दक्षिणी ध्रुव में कुछ नया मिलने की उम्मीद है। वहां बहुत ज्यादा ठंड रहती है ऐसे जगह पानी रहने की संभावना की जा सकती है। चांद पर इंसान को रहने यौग्य वातावरण की संभावना हो सकती है। पूरे ब्रह्मांड में चंद्रमा ग्रह सबसे नजदीक है। हालांकि यह प्रयोग पहले भी किया गया था। लेकिन चंद्रमा की सतह पर उतर नहींं सका।
इससे पहले भी 2008 में चंद्रयान-1 और 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन को अंजाम दिया गया था। यह भारत का तीसरा मिशन है।
यदि सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन बन जाएगा जो चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। यह वह अंधेरा हिस्सा है जहां उतरने का किसी देश ने साहस नहींं किया है। जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल मार्क 3 भारत में अब तक बना सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। यह चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा तक ले जाएगा।
ऑर्बिटर है, एक 'विक्रम' नाम का लैंडर है और एक 'प्रज्ञान' नाम का रोवर है। प्रथम बार भारत चंद्रमा की जमी पर उतरेगा यह काम कुछ हटकर है। करोड़ो की लागत से बनाया है। यह नेतृत्व करने वाले कोई साधारण वैज्ञानिक नहीं है। हमारे देश में कई ऐसे बुद्धिमान व्यक्तियो ने मिल बांट कर यह काम किया है। यह बहुत खुशी की बात है। क्योंकि यह मानव जाति को लाभ देने वाला उत्थान करने वाला कार्य है और फायदेमंद हो सकता है।
चंद्रमा पर हम को नई दिशा मिल सकती है अंतरिक्ष में जाने के कई सपने मानवो ने देखे हैं। यहां अगर जीवन, पानी ,और ऑक्सीजन है तो हम खेती-बाड़ी कर सकते हैं। यहां स्थिति क्या है कैसे हैं यह इन घटक का प्रमाण कितना है और यहां क्या निर्माण हो सकता है यह पूरी जानकारी चंद्रयान लेगा।इस प्रोजेक्ट में कई पुरूष और महिलाएं शामिल है इससे पहले इन महिलाओं ने किसी बड़े अभियान में काम हमेशा साथ में मिलजुल कर करते हैं। मगर 8 महिलाओं ने अपना पूरा समय देकर इतना बड़े कार्यको अंजाम दियी है।
भविष्य में मिशन वीनस 3 इसरो चेयरमैन ने कहा की 'मिशन गगनयान दिसंबर 2021 तक पूरा होगा। इस मिशन में इसरो पहली बार भारत में बने रॉकेट को स्पेस में भेजेगा। इसरो 'मिशन दिसंबर 2021 तक पूर्ण किया जाएगा। इस मिशन का बजट लगबग 10,000 करोड़ है। पहली बार भारत में बने रॉकेट को आकाश में भेजेगा। साथ ही बताया इसरो ग्लोबल वॉर्मिंग की चुनौती से निपटने के लिए भी खास मिशन पर काम कर रहा है।
