राजकुमार कांदु

Tragedy Inspirational

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राजकुमार कांदु

Tragedy Inspirational

छोटी लकीर

छोटी लकीर

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रामप्रसाद जी को नींद नहीं आ रही थी। अकबर बीरबल के किस्सों वाली किताब में से कुछ किस्से पढ़ने के बाद वह सोच रहे थे ‘बीरबल कितनी आसानी से बादशाह के सभी सवालों के जवाब दे दिया करता था। खासकर बिना उस लकीर को छुए उसे छोटा बना देने वाला उसका जवाब तो गजब का है !’

अचानक बढ़ी हुई ठंडी का अनुभव करते हुए किताब एक तरफ रखकर रजाई में दुबकते हुए उन्होंने टीवी शुरू कर दिया और बेटे रमेश को आवाज लगाई,” अरे बेटा ! जरा खिड़कियाँ बंद कर दे और हिटर भी शुरू कर दे। सर्द हवाएँ तो जैसे तीर जैसी लग रही हैं शरीर में …!”

अचानक उन्हें कंपकंपी छूट गई थी।

रिमोट से टीवी पर कई चैनल बदलते हुए एक खबरिया चैनल पर उनकी नजरें गड़ी रह गईं।

टीवी पर किसान आंदोलन का जीवंत प्रसारण चल रहा था और पुलिस प्रशासन उन्हें रोकने के प्रयास में उनपर इस सर्द रात में भी पानी की बौछार किये जा रहा था।

रामप्रसाद की कंपकंपी अचानक गायब हो गई। एक बार फिर लकीर बिना हाथ लगाए छोटी हो गई थी।



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