चाय_सुट्टा_जिंदगी
चाय_सुट्टा_जिंदगी
'प्रेम' चाय की सुगबुगाहट और सिगरेट के छल्ले बनाने में पूरा लीन था।उसे कोई अंदाजा नही था कि 'स्नेहा' इतनी सुबह सुबह बस स्टैड भी आ सकती है। ठंड बहुत तेज थी, पाँच बजे प्रेम पूरे शुमार के साथ बस स्टैड की 5 रूपये वाली लोकल चाय और 'गोल्ड फ्लेक' के कस में डूबा जा रहा था। अचानक से उसकी पीठ को किसी ने पीछे से थपथपाया !
प्रेम:- स्नेहा तुम यहाँ कैसे !
स्नेहा:- 'बस पापा को छोड़ने आयी थी, वो ताई का देहांत हो गया !
प्रेम:- अच्छा, आओ एक कड़क चाय पिओ।
स्नेहा:- नहीं, चाय का शौक नहीं हैं मुझे, और ये हाथ में क्या तेरे !
प्रेम:- हे हे ! वो ठंड जरा ज्यादा है ना.. सो सो.. सिगरेट पी रहा...
स्नेहा:- अच्छा ! मरोगे ना जल्दी ! फिर सारी ठण्ड और हीरोगिरी गायब हो जाएगी।
प्रेम:- मरना तो सब को है कभी ना कभी, पर जिंदगी जीने का मजे इन कश में भी है।
प्रेम:- अच्छा सुना स्नेहा, आज एक काम करना, वो लाल वाली ड्रेस पहनकर कॉलेज आना ना, तुम कयामत लगोगी और कॉलेज में कत्ले आम करा देना।
स्नेहा:- अबें, ओये ! प्रेम 'ठन्डी हवा का झोका' तू ना चुपचाप इसे खींच।
मै चली घर और भी काम है। निठल्ली नहीं हूँ, तेरे जैसे !
प्रेम:- ठीक है,अच्छा सुनो ! स्कुटी जरा धीरे चलाना।
दिल्ली का फॉग घनघोर है और जानलेवा भी......
स्नेहा ने गुस्से से मुँह पे दुपट्टा डाला, स्कूटी रेस करके चल पड़ी !
प्रेम:- "भैया एक अदरक वाली कड़क चाय और मालबोरों ब्रांड वाली सिगरेट देना।"
सूना है, "अपना भाई SRK यही ब्रांड पीता है।"
अगले की मोड़ पे, स्नेहा और उसके स्कूटी के चिथड़े बिखरे पड़े मिले ! दिल्ली में फोग बहुत ज्यादा है, बहुत ही ज्यादा,और ये बहुत जानलेवा है !