बवाल 'एक झंझावत कथा' पार्ट-3

बवाल 'एक झंझावत कथा' पार्ट-3

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दूसरे दिन ईरा मैडम ने दहेज़पीड़ितों का सामाजिक सर्वे किया जिसमें वह कुछ डॉक्टरों से मिलीं तो पता चला कि डॉक्टर साहब की खुद लड़की ससुराल से प्रताड़ित हो उनके घर (मायके) में बैठी है।

जब पूछा तो बोले कि कौन कोर्ट कचहरी करे। समाज में बदनामी ले। ईरा मैडम थाने पहुँचीं तो देखा कि धाकड़ आदमी इंस्पेक्टर खान जिनसे पूरा इलाका थर-थर काँपता था वह फोन पर बात करते हुऐ रो रहे थे। ईरा जी ने पूछा तो पता चला खान की भी लड़की ससुराल से प्रताड़ित हो किसी अस्पताल में ऐडमिट है वो बोले, ”मैडम क्या करूँ कुछ समझ नहीं आता।” मैं ड्यूटी करूँ, घर देखूँ या कोर्ट कचहरी करूँ। इज्ज़त और पैसा दोनों की बर्बादी और बेटी कहती है कि उनको कुछ न कहना, मैं समझा लूंगी वर्ना समाज हँसेगा। फिर भी मैंने केस कर दिया तो रोज छुट्टी.. तारीख कहीं जज का तबादला कचहरी में जेंबें खाली हो जाती हैं और तारीखें दी जातीं हैं बस न्याय कहीं नहीं। बेटी को कचहरी लिये फिरूँ या ड्यूटी करूँ मैडम, वैसे भी कोर्ट तो वकीलों का स्वर्ग है और क्लाइंट के लिये नर्क।” मैंने इतना सब दहेज़ दिया फिर भी …। कोई और नहीं मेरे सीनियर ही हैं मेरी बेटी के ससुर क्या बोलूँ मैं। वकीलों को मोटी रकम देने को कहाँ से लाऊँ पैसा ? यह कह कर वह अपना सर पकड़ कर बैठ गये।

ईरा जी और मैं चुपचाप वहाँ से चले आये और ईरा जी के घर आकर हम दोनों ने चाय पी वो बोलीं, ”आप ही कोई रास्ता बतायें इस समस्या से निजात कैसे मिले पत्रकार जी। हमने कहा मिलकर सोचते हैं तो वो मुस्कुरायीं और बोलीं ठीक है। कुछ देर बाद बोलीं आप कल अपने और अपने जानकार वाले सभी समाचारपत्रों में ये लिखो कि जिले में जितनी भी दहेज पीड़ित बेटियाँ हैं वो सभी कल रविवार को जिले के सबसे बड़े लाल बाग स्टेडियम में एकत्र हों। डी.एम ईरा सिंघल आप सभी से बात करना चाहतीं हैं। दूसरे दिन स्टेडियम खचाखच भरा था और पूरा रोड जाम था। इतनी भीड़ की मैडम हैरान खड़ी देख रहीं थी कि उफ्फ..इतनी भीड़ ! जब एक जिले में इतनी दहेजपीड़ित बेटियाँ हैं तो पूरे देश में पीड़ित बेटियों की क्या हालत होगी ? हजारों बेटियों की भारी भीड़ को मैडम ने सम्बोधित किया।

वह बोलीं, ”मेरी प्यारी बहनों हम सब एक हैं आप दुखी तो हम दुखी। इसलिये परेशान ना हो तुम काँच हो तो चुभती हो सभी की आँखों में, बनोगी जिस दिन आईना दुनिया खुद को तुम में देखेगी। तुम में जो भी हुनर हो बस दिखा दो दुनिया को। चारों तरफ तालियाँ बज उठीं। फिर बोलीं- यहाँ से जाने के बाद एक काम करना, अपना-अपना शादी का कार्ड निकालना और अपनी-अपनी शादी में जिसको भी न्योता दिया था। उन सभी को एक बार फिर से सभी रिश्तेदारों, नातेदारों मित्रों सभी को फोन से नेट से सूचना दो कि अब मेरा रिश्ता खत्म हो रहा है अतैव उस दु:खद दावत में आप सब लोग लाल बाग स्टेडियम में ससम्मान निमन्त्रित हैं। यहाँ उपस्थित हर बेटी ऐसा करेगी और सब बेटियों के सभी रिश्तेदारों आदि को यहाँ आने को कहेंगी। वो भी अगले रविवार को। जय हिन्द मेरी बहनों ईरा सिंघल आपके साथ हैं। कह कर वो वहाँ से चल कर अपनी गाड़ी में आकर बैठ गयीं। फिर कैसे – कैसे भीड़ को थामा गया, ये तो इंस्पेक्टर खान और उनकी टीम ही को पता होगा।

हम लोग कुछ ही आगें बढ़े कि कुछ वकीलों की बेकाबू भीड़ ने सामने से आकर गाड़ी रोक ली और बोले, ”दहेज़ मुक्ति कार्य का यह तरीका ठीक नहीं मैडम।” यह सुन “मैडम तुरन्त अपनी कार से बाहर निकल कर बोली, ”ये बताओ कि क्या आप सभी की बेटियाँ अपने ससुरालों में खुश हैं ?” तो वहाँ खड़े कुछ वकील बोले, ”हम अपनी बेटियों को कोर्ट में खड़ा कैसे करें हमारी इज्ज़त का क्या होगा ? क्लाइन्ट कहेगा कि पहले अपना रायता तो बटोर लो फिर हमारा बटोरना। ईरा जी गुस्से से बोलीं, ”आप लोग अपनी सामाजिक इज्ज़त के कारण अपने घरों में अपनी बहन–बेटियों को घुट-घुट के मरने दे रहे हो। बहुत न्याय की बातें करते हो। क्या यह अन्याय आपको नहीं दिखता ? बोलो ! क्या आप लोग भी अपनी-अपनी बच्चियों के दोषी नहीं हो ?आगे आप समझदार हो।

इतना कहकर गाड़ी मैं बैठ हम दोनों घर लौट रहें थे तभी दूर एक कॉलेज की बिल्डिंग बन रही थी जहां काफी भीड़ इकट्ठा देख मैडम ने गाड़ी रुकवा दिया और कहा लगता है कोई बवाल है चलो चलकर देखें। जब वहाँ पहुँचे तो सब चुप हो गये। ठेकेदार बोला कि मैडम आप.. आइये बैठिये। मैम की सवालियाँ आँखें देख वह बोला,” इन मुँह ढंके मजदूरों में कुछ लड़कियाँ भी हैं ये सब मज़दूर जवान लड़के लड़कियां हैं इन के साथ यहां कुछ गलत हुआ तो होगा बवाल.. इसलिये मैंने इन सबको काम से बाहर किया तो। यह चाहे जहां कहीं जाकर काम करें जाएं। ईरा मैडम ने कहा, ”आप लोग अपने मुँह खोलो और सच बोलो बात क्या है।” आप सब में से कोई एक बोलो। भीड़ ने जब चेहरों से रूमाल हटाये तो मैडम और मैं दंग रह गये। ये सब तो पढ़े- लिखे अच्छे घरों के बच्चे थे। उनमें से एक बोला कि मैम हम सामान्य जाति के बेरोज़गार हैं ना हम किसी स्वतंत्रता सेनानी कोटे में आते हैं, और ना ही विकलांग, ना हमारे पास रिश्वत हैं देने को और न ही नेताओं की जुगाड़ें। सरकारी नौकरी तो कोटे वालों को ही मिलती है आज। फिर, जब हम प्राईवेट जॉब के लिये स्कूल कॉलेजों में गये तो दो तीन महीने लटका के पैसा देते हैं। फिर दिल्ली बैंग्लौर गये तो रूपैया छै हज़ार उसी में रहना – खाना, आना जाना और अच्छे कपड़े ना हों तो लोग मज़ाक बनाते हैं और हम यूपी बिहार वालों के साथ अच्छा सलूक नहीं करते तो क्या करें मैम हम वापस घर लौट जाएं।

घर आकर पता चला की माँ बीमार है और सरकारी अस्पताल का आलम यह है कि बस एक सी गोलियाँ चूरन की तरह सबको बाँट देते हैं। चाहे पेट दर्द हो या मलेरिया ज़्यादा परेशानी तो बोलते दिल्ली एम्स में जाओ और जब ऐम्स जाओ तो नेताओ की सिफारिश हो। हम जैसे लोग को उनकी और उनकी रिपोर्टों की तगड़ी फीस वहाँ से भगा देती है। हालत यह है कि गाँव – कस्बों में झोलाझाप डॉक्टर और भगत, झाड- फूँक, मरीज की जान ले डालते हैं।

आज दाल भी सौ रूपये के ऊपर है। मंहगाई और घर के इन हालातों को देखकर चुपचाप घर में बैठने से अच्छा है मुँह ढ़ककर मज़दूरी कर लें। हम में से कोई पुताई करता है तो कोई खिड़की लगाता है, कोई मिस्त्री है और ये कुछ लड़कियाँ हमारी दोस्त हैं जिनको उनके ससुराल वालों ने दहेज़ के कारण मार – पीट कर घर से निकाल दिया और यह अपने छोटे – छोटे मासूम बच्चों का पेट भरने के लिये मेहनत- मज़दूरी कर उनका पेट पाल रही हैं तो क्या गलत है मैडम जी ? मज़दूर होना गलत है क्या ?” ईरा मैडम बोली कि इस दुनिया में हम सब मज़दूर ही तो हैं। मुझे खुशी है कि इतनी परेशानी के बाद भी तुम सभी ने मेहनत का रास्ता चुना। चलो मसाला कौन अच्छा बनाता है आज हम भी लगायेगें कुछ ईंटें ! और मैडम को ईंटे लगाता देख मैं ये खबर कवरेज कर रहा था बाद में मैडम ने कहा, ”ये लो कुछ नम्बर जो भी सिविल की तैयारी करना चाहता हो मैं मदद करूगीं और तुम लोग तैयारी भी करते रहना जो भी परेशानी होगी वो अकेली तुम्हारी नहीं अब हमारी होगी। और यह भी कहा वहाँ खड़ी लड़कियों से कि, समय हो तो लाल बाग स्टेडियम में आना सब लोग अपने जिले की डी.एम को अपने बीच पाकर वहाँ बहुत खुश थे।

जब हम गाड़ी में बैठे तो मैडम बोलीं कि मुझे दुख है कि इस बेरोजगारी ने इतने पढ़े-लिखे बच्चों को मज़दूर बना दिया। मैंने कहा,”बेरोजगारी ने भी और वोट के लालच इस कोटे ने भी मैडैम जी। दूसरे दिन अखबार में ईरा मैडम छा गयीं थीं। हर पेपर में उनका ही नाम था। फिर सुबह मेरे पास फोन आया कि ये बवाली डी. एम. तेरी रखै़ल है या माशूका तू उसे खुश करने का और कोई आडिया नेट से ढूँढ़ अखबार में हम नेता लोग की कोई ख़बर ही नहीं होतीआजकल क्यों ? और हाँ सुन अगर तेरी इस डी.एम ने विधायक और मंत्री बनने का सपना देख रखा हो तो बता दे कि वो तो पूरा हम होने नहीं देगें। उससे कहो जितने भी ख्वाब देखने हैं ख्वाब में ही देखें। आज से तूने अगर अपनी माशूका को पेपर में छापने की कोशिश की तो, तुझे तो मैं सोने नहीं दूँगा और तेरी उस बवाली को कभी जागने नहीं दूँगा। अब रख मोबलिया और बोल राम राम। मैंने कहा,”राम राम” पर तुम हो कौन ? वह बोला, तुम जैसी भटकती आत्माओं के लिये में अघोरी हूँ ! अघोरी हा हा हा। सच बताऊँ तो उसकी आवाज़ में काफी दहशत थी मेरा तो पूरा शरीर ही काँप सा गया था।

मैं तुरन्त डी.एम ऑफिस पहुँचा और ईरा जी को पूरी रिकार्डिंग सुना दी तो वो बड़ी शान्ती से बोलीं दोबारा फोन आये तो कहना मुझे कोई चुनाव नहीं लड़ना, कोई मंत्री नहीं बनना। मैं तो बस अपना फ़र्ज़ ईमानदारी से निभा रहीं हूँ बस और समाज से दहेज़ रूपी वायरस को जड़ से ख़त्म करना चाहतीं हूँ, यह कह देना फिर वो लोग भी शान्त हो जायेंगें। अभी वो बोल ही रही थीं कि तभी वो भाई आ गया जिसकी बहन के शरीर में बेलचे आर – पार कर दिये गये थे। वह बोला मैडम हमने अभी तक अपनी बहन की लाश नहीं जलायी है। मैं, मैडम और उस लड़के को वहीं बात करता छोड़ वापस अपने ऑफिस लौट आये। तभी, फिर फोन आया सुन पत्रकार कल रविवार है और अपनी मैडम से बोल कोई जनता जनार्दन को इकट्टठा करने की ज़रूरत नहीं है तभी मैं उसकी बात काटते हुऐ बोला कि मैडम कोई चुनाव नहीं लड़ेगीं। वो बस अपनी ड्यूटी कर रहीं हैं। यह सुनकर वो जोर से हंसा और बोला हर पागल यही कहता कि मैं पागल नहीं हूँ।

कल अगर कोई सभा हुई तो समझ ले मुझे अघोरी कहते हैं.. काट मुबलिया, बोल राम राम। मैंने कहा,”राम राम, शाम को मैं ईरा मैडम के घर पहुँचा और फिर सीरियस बात की। इधर स्टेडियम में बेटियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे थे पूरी मीडिया कवरेज के लिये तैयार थी काफी मात्रा में पुलिस बल भी तैयार है। कुछ देर बाद मैडम बोली, ”पत्रकार जी यहाँ होने दो जो तैयारी हो रहीं है। हम और आप दिल्ली चलो वो भी राष्ट्रपति भवन लेकिन रात में भेष बदल कर ट्रेन से। पहले तो मुझे भी यह समझ नहीं आया कि राष्ट्रपतिभवन क्यों ? पर मैडम की योग्यता पर सवाल कैसा। हमने रात ये खबर उड़ा दी कि मैडम बीमार हैं वो दिल्ली ऐम्स में हैं। अब भाषण वहीं होगा। बस फिर क्या था हम दिल्ली पहुँच गये। मैडम को चाहने वाले सभी दिल्ली पहुँचने लगे और सुबह ऐम्स पर भारी भीड़ पहुँचने लगी। ये देख हमने बाहर जाकर बोला कि मैडम तो राष्ट्रपतिभवन गयीं हैं और वहीं धरने पर बैठ गयीं हैं। उन्होंने कहा वहीं बात करेगीं आप सभी से। उस दिन अरे ! भीड़ वो थी कि किसी भी नेता अभिनेता के लिये ऐसी भीड़ नहीं होती इतनी गज़ब की भीड़ ये मान लो कि एक लड़की और इसके सभी रिश्तेदार तो जिले भर की क्या देश भर की हर दहेज़ पीड़ित लड़की और उसके शादी में शरीक होने वाले सभी सम्बंधी लाखों से भी ज़्यादा बेटियों और उनके परिवार की वो भीड़ जिसने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया। हम लोगों ने वहीं मंच बना दिया था, मंच को उखाड़ने के लिये पुलिस आ गयी और लाठियाँ मारने लगी गुस्साई भीड़ ने पुलिसवालों को पीटना शुरू कर दिया बवाल और बढ़ जाता कि ईरा मैडम वहाँ आ गयीं और बोली रूक जाओ तो भीड़ से एक लड़की बोली, ”सबसे बड़ी गद्दार ये पुलिस ही है बस हराम का मिले इन्हें खाने को… मैडम ने कहा, ”क्या नाम है आपका ? ”वह लड़की बोली, ”सबीना बानो। “

मैडम ने कहा, ”शान्त हो जाओ।

फिर पुलिस वालों की तरफ देख कर बोलीं आप लोग पुलिस वालें हैं अगर आप लोग की भी बहन बेटी की आँखों में आँसू हैं तो रूक जाओ और हमारा साथ दो। मैडम की सच्ची बात और एक्सरे करने जैसी आँखों के सामने कोई टिक नहीं सकता थाा।मैडम को एकटक देख कुछ सोचते हुए पुलिस वाले शान्ति से खड़े हो गये। इसके बाद मैडम मंच पर पहुँची तो तालियाँ बज उठीं। वो तालियाँ जिसने देश के दोनों सदनो में बैठे मंत्रियों की हालत पस्त कर दी थी। मैडम मंच से बोलीं मेरे देश की बेटियों तुम्हारा स्वागत है और धन्यवाद। मुझे इतनी भीड़ देख बहुत दु:ख है कि मेरी इतनी सारी बहनें आज दहेज़ से पीड़ित हैं। दहेज़ समाज का कैंसर है। एक ऐसा वायरस जिसने आपसी प्रेम को खोखला कर दिया है। हज़ार लोगों की उपस्थिति में एक शादी सम्पन्न होती है। आप सभी लोग बेटी की शादी में दावत उड़ाने शौक से सपरिवार जाते हो तो फिर उस दिन क्यों नहीं जाते जब आपकी ही रिश्तेदार बहन बेटी को जलाया जाता है। पीटा जाता है और हर पल उसके जज़्बातों का बलात्कार किया जाता है और पेट में लोहे के बेलचे आर – पार कर दिये जाते हैं तब वो पंड़ित जी कहाँ होते हैं ? क्या उनका दायित्व शादी की दक्षिणा मात्र है ? तब कहाँ चला जाता है आपका धर्म ? अगर आप हज़ारों लोग पीड़ित बेटी के साथ खड़े हो जाओ तो किसी की हिम्मत नहीं कि देश की किसी भी बेटी के आँख में एक आँसू आ जाये और एक बात और कि बेटी के आँसुओं को मसल कर उसको कहते हो दुख सहो हम कोर्ट जायेंगें तो बदनामी होगी !

आप सब ये बताओ क्या आपके बच्चों के जीवन से बड़ी है आपकी इज़्ज़त। अरे ! इज़्ज़त तो तब हो जब आप गलत के खिलाफ़ आवाज़ उठायें। आप प्लीज़ अपनी बच्चियों को मत दबायें बल्कि उनको हिम्मती बनायें। उनको प्रेम करें। हम सुप्रीम कोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस जी से यही प्रार्थना करतीं हूँ कि आज हर काम ऑनलाईन है तो न्याय में देरी क्यों ?

बेटियों से जुड़ा कोई भी मुकदमा एक साल से ज़्यादा ना चले और मीड़िया से भी कहूँगीं कि खबर छापें उसको चाट जैसा टेस्टी बनाने का कार्य न करें। सबसे बड़ी बात कि आप लोग पुलिस महकमे के लिये अपनी मानसिकता बदलिये। आपको पता होगा कि पुलिस कान्स्टेबल की तनख्वाह आज सबसे कम और ड्यूटी सबसे सख़्त होती है। जब सर्दी में आप रजाई में होते हैं तब ये मफलर बाँधे कोहरे में आपकी सुरक्षा कर रहे होते हैं। आपकी गली में सड़क पर गस्त लगा रहे होते हैं |ये कोई भी त्योहार अपनी फैमली के साथ नहीं मना पाते और आसानी से इनको छुट्टी भी नसीब नहीं होती इनके जीवन का हर पल वर्दी में कसे-कसे और परिवार की याद में घुट कर बीत जाती है कई बार तो ड्यूटी और परिवारिक उलझनों के कारण हमारे कान्स्टेबल आत्महत्या तक कर लेते हैं।

बस कुछ मुट्ठी भर लोगों के कारण हर पुलिसवाले को गलत मत बोलो आप प्लीज़ और पुलिस वालों से भी कहूँगी कि रिपोर्ट लिखने में कोई “अगर” और “मगर” नहीं किया करो प्लीज़। आप समाज के लिए और समाज आपका है और हम सबको मिलकर अपने समाज को खूबसूरत और सुगंधित बनाना है। यह सुनकर हर पुलिसवाले की आँखें भर आई थी। फिर डी.एम ईरा सिंघल ने कहा, ”आओ आज शपथ, प्रण लो कि जिस बेटी की शादी में दावत खाने जाओगे आशीर्वाद देने जाओगे तो उसके बुरे वक्त में उसका साथ देने भी जाओगे। सात वचन तो दूल्हा- दुल्हन के और आँठवा वचन आप सभी ले लो आज और अब उठाओ हाँथ बोलो ” सत्य की जीत हो दहेज़ का अंत हो। ” पूरी भीड़ एक स्वर में जब बोली तो मानो पूरा राष्ट्रपतिभवन हिल गया तभी उत्साही मीडिया की भीड़ मंच पर चढ़ गयी और मैडम से सवाल कर दिये कि आप राष्ट्रपति जी से क्या चाहतीं हैं ?

मैडम बोली, ”न्याय, इस भाई को जिसकी बहन के साथ उसके अपनो ने कुकर्म किया और बेलचों से शरीर लहुलुहान कर दिया। जब से बहन की ससुराल पहुँचा तो बहन का ससुर बोला हाँ मैंने किया बोल क्या कर लेगा तो इस दुखी भाई ने उसको मार दिया तो क्या ग़लत किया ? जब श्री राम रावण को मारे तो भगवान, जब श्री कृष्ण कंस को मारे तो भगवान अगर इस भाई श्याम ने आज के रावण को मारा तो वो दोषी कैसे ? राष्ट्रपति जी इस भाई की सज़ा माफ करें और देश की इतनी दुखी बेटियों को नौकरी का आश्वासन दें वरना हम यहीं रहेंगें। कहाँ जाएंगे जब ससुराल वालों ने निकाल दिया मायके वालों ने दान कर दिया है तो बोलो अब कहाँ जायेंगें ?

मीडिया वाले बोले,”और क्या मांग है आपकी ?” मैडम बोली, ”जिस तरह गली-गली में प्राईवेट मान्यता प्राप्त विद्यालय खुले हैं चाहती हूँ उसी तरह जगह-जगह प्राईवेट मान्यता प्राप्त पुलिस थाने हों। और सरकार दहेज़ पीड़ित बेटियों के लिये एक फूड फैक्टरी या कोई कम्पनी खोलें। जहाँ इन बेटियों को रोज़गार मिले। इनकी सुरक्षा हेतु सभी थाने ऑनलाईन हों। चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगायें जायें बस इतना ही चाहतीं हूँ। मैडम यह कह कर मंच से नीचे उतरी कि महिलाओं की उस भीड़ ने मैडम को गोद में उठा लिया।

इसी बीच मेरे पास मैसेज आया कि लालबाग स्टेडियम में दो ब्लास्ट हुऐ हैं। यह बात सुनकर राष्ट्रपति भवन के सारे प्रसारण रोक दिये गये, पू्ूरे मीडिया मैं यह खबर भी फैल गयी कि मैडम गायब हैं। इस हड़बड़ी में और सरकार के सख्त रवैये के कारण मीडिया को वहाँ से जल्द हटना पड़ा था। फिर मैने चारों तरफ मैडम को देखा पर वो मुझे कहीं नहीं दिखीं। पता नहीं उस भीड़ में वो कहां गुम हो गयीं, पता ही नही चला उन्हें “निगल गई ज़मीं या कहा गया आसमाँ। मैंने सोचा कि अभी जहां मैंने कुछ बोला कि मैडम का अपहरण हो गया तो भीड़ में भगदड़ मच जाएगी। दूसरे दिन कुछ ढ़ोंगी लोगों ने उनको देवी बना दिया कि वो दैवीयशक्ति थीं और काम करके अदृश्य हो गयीं पर मझे रोना आ गया कि मैडम किस हाल में होंगीं।

हमने बहुत ढूँढ़ा पर उनका कोई पता नहीं चला और आज तक पता नहीं चला पाने में नाकाम हूँ मैं और मेरा जीवन। यह कहकर पत्रकार रो पड़ा और फिर अपने आंसू पोंछते हुऐ बोला कि उस दिन पूरी दिल्ली में भीड़ के कारण पूरा यातायात बस ट्रेन सब का बुरा हाल था इतनी मीड़िया और पुलिस थी कि राष्ट्रपतिभवन पूरा छावनी में तबदील हो चुका था। बात भी इतनी गम्भीर मसले की थी कि पूरे देश का मैडम को समर्थन मिल चुका था। पूरा देश पुलिस, वकील,डॉक्टर, इंजिनियर, मजदूर हर कोई मैडम के साथ खड़ा था। फिर, महीनों बाद जब कुछ लोगों ने जंतर-मंतर पर अनशन किया तो देश के राष्ट्रपति ने कहा कि अगर उनका अपहरण हुआ है तो दोषी को कड़ा दण्ड मिलेगा और डी.एम ईरा जी की मांग पर हम गम्भीरता से विचार करेंगें। 

बस विचार ! और आज पाँच साल।


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