बस यही थी मेरी कहानी...
बस यही थी मेरी कहानी...


एक लड़की से हमें प्यार हो गया था
ऐतराज़-ए-इश्क़ से इज़हार-ए-इश्क़ हो गया था,
एक दोस्त था जो हमेशा समझाने की कोशिश करता था
दिल ना टूटे हमारा बस इसी बात से डरता था,
एक और लड़की थी जो सब जानते हुए भी चुप थी
और फिर ये हमारा दिल था
जो पूरी तरह किसी और का होने जा रहा था,
पर किस्मत तो पहले ही साथ छोड़ चुकी थी
मेरी कहानी अधूरी लिख चुकी थी।
ये हमारा दिल जिस में अब भी प्यार की आस बाकी थी
और ये ज़रा सी आस उन्हें पाने के ल
िए काफी थी,
खैर हम हालात समझते भी तो कैसे
सब कुछ छूट रहा था जैसे,
दिल से हार चुके थे
उन्हें पाने की उम्मीद खो चुके थे,
एक तरफ हम दिल के हाथों मजबूर हो रहे थे
और दूसरी तरफ अपने ही दोस्त से दूर हो रहे थे,
काश! कोई रोक लेता इज़हार करने से पहले
उनसे प्यार करने से पहले,
पर अब मन नहीं था उनका इंतज़ार करने का
बीते लम्हो को याद करने का,
मोहब्बत का चढ़ा वो एक जूनून था ,
पर दोस्ती निभाने में भी सुकून था।