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Priyanka Sabharwal

Tragedy Action Inspirational

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Priyanka Sabharwal

Tragedy Action Inspirational

बस और नहीं।

बस और नहीं।

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नीलम एक चुलबुली, खुशमिजाज, बातूनी और नटखट लड़की थी। सारे घर कि प्यारी और भाइयों कि दुलारी। उसकी हर फर्माइश मुंह से निकलने से पहले पूरी हो जाती। इतने लाडो में पली, बच्ची अब बड़ी हो गई थी। नीलम एक जाऊट फैमिली में पली बड़ थी। चार भाइयों कि इकलौती बहन थी। नीलम के मां-बाप नौकरी पेशा थे। जबकी उसके ताउ चाचा बहुत संपन्न थे।


नीलम के दोस्त और जानने वाले यही समझते कि वो बहुत संपन्न परिवार से है। असलियत में घर कि इकलौती बेटी होने के नाते सारे घर वाले उसके नाज नखरे उठाते। ताऊ चाचा हमेशा उसकी पाकिट भरी रखते कभी किसी चीज कि कमी नहीं होने देते और इसमें किसी को दखल नहीं देने देते। 


नीलम ने अपना एम.बीए खत्म किया और बैंक कि परीक्षा पास कर ली। नीलम आफिसर ग्रेड पर सरकारी बैंक में लग गई। इस बीच नीलम के चचेरे भाई का रिश्ता पक्का हो गया और उसकी शादी-विवाह कि तैयारियाॅ शुरु हो गई। आकाश ने नीलम को शादी में देखा और अपने मां-बाप से अपनी चाहत का इजहार किया। आकाश एक अच्छे परिवार का पढ़ा लिखा लड़का था। सबको यह रिश्ता पसंद आया और नीलम का रिश्ता तय कर दिया।


नीलम ने बहुत मना किया अभी शादी नहीं करनी कुछ वक्त दे दो। पर सबके लाख सवाल क्या कमी है आकाश में। तुम किसी और को पसंद करती हो तो भूल जाओ हमारे खानदान में प्रेम विवाह नहीं होते। तुम्हें आजादी इसलिए नहीं दी कि अपनी मन मानी करो। आज नीलम अपने परिवार का यह रूप देखकर स्तम्भ रह गई। आज उसके मां-बाप भाई कोई उसके साथ खड़ नहीं हुआ। एक रिश्ता आया और उसे बोझ समझकर उतारने को तैयार हो गए।


नीलम किसी को पसंद करती थी पर वो निम्न वर्गीय खानदान से था। पर अच्छा, शरीफ और पढ़ा लिखा था और आई.एस कि तैयारी कर रहा था। नीलम इसलिए कुछ वक्त चाहती थी पर उसकी किसी ने नहीं सुनी। नीलम कि शादी फौरन कर दी गई। आकाश और उसके परिवार ने अपने रंग ढंग दूसरे दिन ही दिखाने शुरू कर दिए। उनको बहुत सारे दहेज कि उम्मीद थी जिस पर पानी फिर गया जब पता चला नीलम का कुछ भी नहीं है। बात बात पर जलील करते नीलम को। उनके ख्वाब चकनाचूर हो गए थे।


आकाश को ड्रग्स कि और जुए कि लत थी। पैसा उसका दीन ईमान था। उन्होंने नीलम कि जिंदगी नर्क बना दी। आकाश का परिवार कंगाल था और फराड था। नीलम ने गलत के खिलाफ आवाज उठाई। जब आकाश ने उसपर हाथ उठाने और उसके पैसे जेवर हथियाने कि कोशिश कि तो उसने घरेलू हिंसा, दहेज, आत्म पीड़ा , फराड का मुकदमा दायर कर दिया । नीलम ने अपने परिवार से कोई मदद नहीं ली और लौटकर घर भी नहीं गई।


उसने डिवोर्स के लिए फाइल कर दिया और अपने ससुराल वालो को भी सजा दिलवाई। उसने एक मकान किराए पर लिया और अपनी नई ज़न्दगी का आगाज किया। उसने अपनी जिन्दगी कि बागडोर अपने आप सम्भाली। सबका असली चेहरा नीलम ने देख लिया था और बहुत कुछ सीख भी लिया था.। राकेश ने परीक्षा पास कि और एक उच्च पद पर नियुक्त हो गया। वो नीलम को लेकर उसके घर गया और उसके मां-बाप से नीलम का हाथ मांगा। दोनों ने सादगी से शादी कर ली और एक नई शुरुआत कि तरफ कदम बढ़ाया। 


अगर यही समय नीलम को दिया होता और उसकी बात समझी होती तो नीलम को इतनी तकलीफ न सहनी पड़ती। दोस्तों लड़कियां बोझ नहीं होती। उनको भी अपनी ज़िन्दगी का फैसला लेने का पूरा हक है। सिर्फ पढ़ा लिखा देने से परिवार कि जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती। उनपर विश्वास करे और उनका साथ दे बोझ समझकर मत उतारे । मां-बाप कि जिम्मेदारी बेटा बेटी कि तरफ समान होती है और कभी खत्म नहीं होती।


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