मसालेदार खबर
मसालेदार खबर
"सुनीता जी आपने सुनी आज कि मसालेदार गर्मागर्म खबर। सुनिल है न अपने शर्मा जी का बेटा कोमल को लेकर भाग गया। कोमल सक्सैना जी कि बीवी। अब बूढ़े खौसट के साथ कब तक निभाती बेचारी कोमल।" मैं चलती हूँ बहुत थक गई हूं।
दोस्तों आप सोच रहे होंगे ये महिला कौन थी। यह थी हमारे मुहल्ले का चलता फिरता मसालेदार अखबार शांति देवी। नाम पर मत जाईए काम देखिए अशान्ति कितनी अच्छी फैलाई शांति जी ने। ये अखबार रोज तैयार होता है नयी मसालेदार खबरों के साथ।
मै दफ्तर से लौटी तो देखा अशान्त व्यस्त थी अपने काम मे। अब किस के घर मे बम्ब फोड़कर आ रही हैं। इससे पहले वो मुझे देखे मैं भागी अपने घर कि तरफ। बच गई वर्ना गया था मेरा एक घंटा। शांति जी का घर ठीक मेरे सामने वाले जीने मे था।
मेरे पति को अगले दिन टूर पर जाना था और उनकी एक सहकर्मी भी साथ जा रही थी। वो हमारे घर के पास ही रहती थी। दोनों ने सोचा एक कैब करके साथ चले जाऐंगे। सुबह दोनों जल्दी निकल गए और
मजे कि बात उन्हें शांति जी ने जाते देख लिया।
अब सुनिए क्या बवाल मचा। मैं दफ्तर पुहचीं और एक घंटे बाद मेरी सहेली चारू का फोन आया। उसने मुझसे पूछा रीता तुम ठीक हो। अमीत से कोई झगड़ा हुआ तुम्हारा। मैनें हसतें हुए पूछा तुम्हें कैसे पता चला। चारू गुस्से से बोली "सच बता क्या हुआ?"
"चारू तुम कैसी बातें कर रही हो" मैनें उससे पूछा। अमीत तो एक हफ्ते के लिए टूूर पर गए है। क्या बात है कुछ तो बोल चारू?
चारू बोली," सारे ब्लाक मे अफवाह है तुम्हारे और अमीत के बीच मे झगड़ा हुआ और वो घर छोड़कर चला गया। ये काम यकीनन उस मसालेदार खबर शांति का होगा। इसको तो ऐसा सबक सिखायेगे
याद रखेगी।
सारा दिन मेरा फोन बजता रहा और मेरा दिन ये बताते बीत गया कि मेरे और अमीत के बीच सब ठीक है। मन तो हुआ उस शांति को खरी खरी सुनाऊं। पर ये उसके लिए छोटी सजा होती और जो मानसिक तनाव मुझे हुआ उसका क्या? एक हफ़ बाद अमीत वापस आए और मैनें उन्हें पूरा किय बताया।
अगली सुबह जब शांति जी महफिल जमाए खड़ थी तो मै और अमीत उनके पास गए। अमीत ने शांति जी से पूछा, "आपको किसने बताया मेरी और रीता कि लड़ाई का या मै घर छोड़कर चला गया, या मैनें रीता को मारा।" आपकी वजह से रीता को कितनी जिल्लत उठानी पड़ी और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। आपकी इस मसालेदार खबरों कि आदत से सबको कितनी तकलीफ होती है इसका अंदाजा है आपको। शायद इसीलिए आपके बेटा-बहू आपको छोड़कर चले गए।
शांति जी शर्मिन्दा होकर वहां से चली गई। पर ऐसे लोग ज्यादा देर अपनी फितरत से बाज नहीं आते। कहावत है ना " चोर चोरी से जाए हेराफेरी से न जाए"। उसी तरह शांति अशांति फैलाने से कब तक बाज आएगी। हा हा हा हा--
