बंटवारा
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रश्मि मायके जाने की तैयारी में लगी थी। उसके पति अखिल ने चुहल करते हुए पूछा - वापसी टिकिट कब की हैं मैडम?।
जब तक पापा घर का आधा हिस्सा मेरे नाम न कर दे तब तक मैं नही लौटूंगी- तल्ख आवाज में रश्मि ने जवाब दिया।
हमारे पास क्या कमी हैं। खुद का थ्री बी एच के फलैट है। जरूरत क्या है यूँ बंटवारा के लिए बात करने के की।
माता पिता की प्रोपर्टी में बेटियों का आधा हक़ होता हैं।इसके लिए बाकायदा कानून बना हैं।सात वर्ष पहले तक तो हमने किराये के घर में गुजारा किया उसके बाद पापा ने जब घर बनवाया तब हमने बहुत सी जरूरतों में कटौती की थी। आज भईया उसके अकेले हकदार बन बैठे हैं। मै यह सहन नही कर सकती। अबकी बार मै पापा और भईया से साफ साफ बात करूंगी।
तुम रक्षाबंधन का त्यौहार मनाने जा रही हो या अपना हिस्सा मांगने। कहीं ऐसा न हो की कुछ चीज़े हाथ से फिसल जायें ।
तुम चिंता मत करो मैं सब सम्भाल लुंगी।
तुम्हारे मन में जो आये वो करो। रिश्तों में हिसाब किताब नही चला करते रश्मि।कहीं भईया भाभी के मन में कोई खटास ना आ जाये इस बात का ध्यान जरुर रखना। खीज कर बोल ऊठे अखिल।
तुम हम भाई बहनों के रिश्तों की फिक्र न करो। मैंने सब सोच लिया हैं।
अखिल ने रश्मि की बहुत समझाने की कोशिश की पर रश्मि ने एक नही सुनी।
रश्मि के मायके आने पर मम्मी-पापा, भईया-भाभी बहुत खुश हुएं। लम्बे समय बाद रश्मि भी सबसे मिलकर बड़ी प्रसन्न थी। रक्षाबंधन के दिन रश्मि ने अपने साथ लायी राखी से भईया निखिल की कलाई सजाई। निखिल ने उसे हजार रूपये का लिफाफा देना चाहा तो उसने इंकार करने के साथ ही सबको अपना आने का प्रयोजन बता दिया। सब लोग हतप्रभ रह गये। मौके की नजाकत समझते हुए पापा ने कहा मुझे कल तक समय दो, जैसा चाहोगी वैसा ही होगा।
रश्मि ने सहमती में सिर हिला दिया। उसे उम्मीद नही थी की भईया इतनी आसानी ने मान जायेगे।
दुसरे दिन निखिल ने घर के पेपर रश्मि को थमा दिये। रश्मि ने पेपर देखे वो मन ही मन अपनी सफलता पर मुस्करा उठी। तभी निखिल ने कुछ और पेपर उसकी तरफ आगे बढ़ा दिये।
ये क्या हैं भईया? असमंजस की नज़र से देखते हुए रश्मि बोली।
रश्मि घर का आधा हिस्सा इन पेपर पर तुम्हारे साइन करते ही तुम्हारा हो जायेगा। मैंने पहले ही साइन कर दिये हैं। इसमें कुछ पेपर और भी हैं उनमे से एक पापा द्वारा इस घर को बनवाने के लिए लिया गया लोंन के ही पेपर हैं। जिसकी ईएमआई का आधा हिस्सा अब से तुम्हे देना होगा। पापा की हार्ट सर्जरी होनी हैं उसमे लगभग 3 लाख रूपये का खर्च आएगा। तो उसमे भी आधा हिस्सा देना होगा। इसके साथ माँ की पिछले महीने घुटनों का आपरेशन हुआ था उसमे भी लगभग डेढ़ लाख का खर्च हुआ था। उसकी भी व्यवस्था कर देना।निखिल ने अपनी बात सरल तरीके से कही।
पर मैं ये सब क्यों करूँ।। रश्मि लगभग चिल्लाते हुए बोली। इसकी तो उसने सपने भी कल्पना नही की थी।
तब पापा ने उसकी और मुताखिव होकर कहा देखो रश्मि मै तो एक बात जानता हूँ जब बंटवारा होना है तो हर चीज़ का आधा आधा होना चाहिए। यदि घर का आधा हिस्सा तुम्हे लेना हैं तो उसकी ईएमआईई में भी आधा भाग तुम्हे देना ही होगा। जब पापा के प्रोपर्टी पर भाई बहिन का बराबर का हक होता हैं तो उसी प्रोपर्टी पर लिए गये क़र्ज़ को चुकाने में भी तुम्हारा योगदान भी उतना ही होना चाहिए जितना एक भाई दे रहा हैं। अब तुम्हे हर चीज के आधे हिस्से के लिए तैयार रहना होगा चाहे वो प्रोपर्टी हो या जिम्मेदारी। बताओ मैं कहाँ गलत हूँ।
रश्मि भोचक्की रह गयो। उसे अपनी ही सोच पर पछतावा हो रहा था। उसने पापा और निखिल से माफी मांगी। पापा और निखिल रश्मि की नादानी को भूलाकर मुस्करा दिये।