हरि शंकर गोयल

Tragedy Crime

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हरि शंकर गोयल

Tragedy Crime

बेटे को फांसी पर चढा दो, मैडम

बेटे को फांसी पर चढा दो, मैडम

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दिनांक 27.4.2022 की सत्य घटना है । झारखंड राज्य के लोहरदगा के कोतवाली थाने में एस एच ओ सुगंधा लोगों की शिकायतों पर कार्रवाई कर रही थी । अपराधियों की "सुंताई" चल रही थी । पूरा थाना अपने अपने काम में मशगूल था । 

इतने में बाहर से शोर सुनाई दिया "तू पैदा होते ही मर क्यों नहीं गया दुष्ट ? आज मैं तेरा काम तमाम करके ही मानूंगी । तेरे पापों का घड़ा अब भर गया है, राक्षस" । 

सब लोग कुछ समझते इससे पहले एक औरत एक 20 साल के लड़के को चप्पलों से पीटते हुए , गालियां बकते हुए थाने में दाखिल हुई । वह लगातार लड़के को मारे जा रही थी । थानेदार सुगंधा ने दूर से ही यह नजारा देख लिया था । उसने एक कांस्टेबल को भेजकर उन दोनों को अपने पास बुलवा लिया । वह औरत अभी भी उस लड़के को मार रही थी । 

सुगंधा ने कड़क कर कहा "अब बस, अब चुपचाप खड़े हो जाइए आप दोनों और जो बात है उसे तफसील से सुनाइए " । 

"क्या सुनाऊं साहब, मैं तो बर्बाद हो गई । आप तो इसको फांसी पर लटका दो । फांसी से भी कोई और बड़ी सजा होती हो तो वह दिला दो, आज ही और अभी" । वह आंसुओं में नहा रही थी ।

सुगंधा ने कहा "कौन है यह और इसे फांसी पर क्यों लटकायें हम" ? 

"मैडम जी, ये मेरा बेटा हुसैन अंसारी है । बदकिस्मती से मैं इसकी मां हूं" । वह अभी भी रोये जा रही थी । 

"मगर इसने किया क्या है जो इसे फांसी पर लटका दें" ? 

"यह मत पूछो मैडम जी । आप सुन नहीं पाओगी और मैं इस मुंह से कह नहीं पाऊंगी" । 

"तो बिना कहे कैसे पता चलेगा कि इसका अपराध क्या है ? इसलिये बताना तो पड़ेगा आपको" । 

वह औरत वहीं जमीन पर बैठ गई और कहने लगी  "मैडम जी, यह नालायक मेरा ही बेटा है और गलती से मैं इसकी मां हूं । मैं और इसके अब्बा मजदूरी करने रोज जाते हैं । पीछे घर में ये और मेरी दो बेटियां रहती हैं । बड़ी बेटी 18 की और छोटी 16 साल की है । 

मेरी बड़ी बेटी रोजे रखती है । रमज़ान का महीना चल रहा है अभी । वह दोपहर को जुहर की नमाज अता करने के लिये बाथरूम में नहाने गई थी । जब वह बाहर निकली तो उसने अपने बदन पर एक तौलिया लपेट रखा था । यह बदमाश , उसका सगा भाई उसे तौलिए में देखकर पागल हो गया और उससे छेड़खानी करने लग गया । उसने इसे अल्लाह का वास्ता भी दिया मगर यह दुष्ट नहीं माना और उसके निजी अंगों को छूने लगा । तौलिया भी खींचने लगा । उसने खुद को बहुत बचाया मगर यह तौलिया खींचने में कामयाब हो गया । वह बेचारी अपने बदन को छुपाने के लिए कमरे में भाग गई मगर यह बदमाश कमरे में भी पहुंच गया और उसे जोर जबरदस्ती करके धरती पर पटक दिया । वह बहुत गिड़गिड़ाई मगर ये तो राक्षस बना हुआ था । इसने उसके साथ "खोटा काम" कर दिया । 

उसकी चीख पुकार सुनकर मेरी छोटी बेटी अपने कमरे से निकल कर आई तो सामने का दृश्य देखकर वह हक्की बक्की रह गई। उसने इसे मारना शुरू कर दिया । अब इस दुष्ट ने बड़ी बेटी को छोड़कर छोटी बेटी को दबोच लिया और उसके साथ भी वही काम कर दिया । 

आज मुझे कोई काम याद आ गया था इसलिए मैं जल्दी घर आ गई । घर का नजारा देखकर मैं पागल हो गई । बस, मैंने आव देखा ना ताव और इसे पीटना शुरू कर दिया । अब मैं क्या बताऊं आपको कि यह निर्लज्ज रास्ते में मुझसे क्या कह रहा था" ? 

"क्या कह रहा था यह" ? 

"कह रहा था कि छोटी का तो वह पिछले दो साल से यौन शोषण कर रहा था । आज से बड़ी का शुरू हो गया है । और कल से मेरा करने की कह रहा था राक्षस । अब आप ही बताओ कि इसके लिये कौन सी सजा दी जाये ? फांसी तो बहुत कम सजा है ना इसके लिए मैडम जी" । और वह रोते रोते वहीं ढेर हो गई ।

सुगंधा का मन कर रहा था कि अगर उसके वश में होता तो वह इसकी खाल उधेड़ लेती । मगर इस देश में न्यायालय आम लोगों के मानवाधिकारों की नहीं वरन अपराधियों के मानवाधिकारों की चिंता ज्यादा करते हैं । काश वह ऐसे अपराधियों को सबक सिखा पाती । 



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