बड़ा कौन
बड़ा कौन
जैसे ही सूरज दादा प्रस्थान की तैयारी कर रहे होते है वैसे ही चंदा मामा प्रवेश के लिए तैयार हो रहे होते है। कुदरत का नियम है, कुछ इस तरह दोनों की हर रोज मुलाकात होती जरूर थी। ऐसा सदियों से चलता आ रहा है। दोनों एक दूसरे को मुस्कुरा कर अपने अपने काम पर लग जाते थे।
एक बार आसमान में घनघोर बादल छाए हुए थे। सूर्य या चंद्रमा किसी का पता नहीं था। दोनों ही बादलों के पीछे छुपे थे। अचानक चाँद और सूरज में बहस हो गई कि बड़ा कौन है। सूरज अपने प्रकाश- तपिश के किस्से सुनाने लगा, तो चंद्रमा अपनी शीतलता व सुन्दरता की ढींगे मारने लगा। सूरज ने कहा, “मेरे आने से दिन की शुरुआत होती है”
चंद्रमा ने कहा, “मेरे आने पर दिन के थके हारे, चैन की नींद सोते है” बादलों से ढके दोनों ही अजीब मन: स्थिति में थे। झुकने को कोई तैयार न था।
अचानक बड़े ज़ोर से बिजली कड़की और वहाँ व्योम देवता उपस्थित हुए। उन्होंने दोनों की बातें सुनी और ज़ोर -ज़ोर से हँसने लगे। आकाश देव ने कहा, “लगता है मानवों के सहायक बनते-बनते उनका असर तुम दोनों पर भी हो रहा है। मुझे तो जलन की बू आ रही है”
सूरज और चंद्रमा एक दूसरे को देख रहे थे। व्योम देवता ने कहा, “तुम दोनों ही सर्व शक्तिमान हो, कोई तुम्हारा स्थान नहीं ले सकता। जब तक दुनिया चलेगी तुम अमर हो और मेरे आँगन के अद्भुत प्रकाशपुँज बनकर रहोगे। इंसान ने आज बहुत तरक्की कर ली है, पर वह तुम सा सूरज चाँद नहीं बना सकता” व्योम देवता की बात पर मुस्कुराते हुए दोनों अपनी अपनी राह चल पड़े। दोनों अपनी इस बहस पर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे
