sargam Bhatt

Comedy Fantasy Children

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sargam Bhatt

Comedy Fantasy Children

बचपन

बचपन

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नारी जीवन के सात पड़ावों में पहला पड़ाव बचपन ही है !

आज मैं आप लोगों के बीच अपने बचपन की कुछ खट्टी मीठी यादें ताजा करने जा रही हूं, जो कि मासूमियत से भरी होती है।


जब मैं छोटी थी तो हर चीज की जिद करती थी, और जिस चीज की जिद करती थी वह लेकर ही मानती थी, मेरे घर में सब लोग सबसे नटखट एवं शरारती मुझे ही मानते थे।


मेरे नाम पर अनेकों टैग लगे थे जैसे कि शरारती, नटखट, बदमाश, जिद्दी, चतुर आदि।


बात तब की है, जब मैं छोटी बच्ची थी। जब घर के सभी सदस्यों के लिए मां चाय बनाती, तो मेरी चाय पीने की इच्छा होने के बावजूद वो मुझे चाय पीने के लिए नहीं देती।


बोलती थी कि, ' बेटी, तुम दूध पीयो ' चाय पियोगी तो काली हो जाओगी। ' उनकी यह बात मेरे मन में घर कर गई। एक रोज मेरे पापा के ऑफिस के दोस्त घर पर मिलने आए।


मां ने उनके लिए पकौड़े तले, और चाय बनाई। पापा के दोस्त कुछ ज्यादा ही सांवले थे, उन्हें देख मैं खुद को रोक नहीं पाई, और बोल पड़ी कि अंकल, आप बचपन में जरूर पूरा जग भरकर चाय पीते होंगे, तभी इतने काले हो।


मेरी बात सुनकर वे सकपका गए। बाद में जब मेरी मम्मी ने उन्हें मेरी बात का कारण बताया, तो वे नॉर्मल हुए, और ठहाका लगाकर खूब हंसे। बचपन की यह मासूम याद, आज भी गुदगुदा जाती है।

दोस्तों हर किसी के बचपन की कुछ ना कुछ कहानियां होती है।


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