बच्चे की खुशी

बच्चे की खुशी

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निधि आज अपने आंगन में बड़ी चुपचुप सी बैठी थी। तभी उसकी बेस्ट फ्रेंड सिया वहां आई और पूछने लगी कि," कैसी हो निधि ?" निधि ऐसे ही पूर्ववत चुपचाप बैठी रही। सिया की बात का उसने कोई जवाब नहीं दिया। सिया ने निधि के कंधे पर हाथ रखा और पूछने लगी," क्या बात है निधि ? बड़ी उदास लग रही हो। कहां खोई हो भई ? सिया को अपने पास बैठा देखकर निधि की रुलाई फूट पड़ी। सिया सिया केतन इस बार फिर से सी.ए. एंट्रेंस एग्जाम क्लियर नहीं कर पाया। उसके पापा का शुरू से सपना था कि केतन सी. ए. बने।वह जो ना बन पाए वोअधूरा सपना उनका बेटा पूरा करे, यही तो चाहा था ना उसके पापा ने उससे।

फिर केतन क्यों नहीं समझ रहा ये बात। जरा भी मन नहीं लगता है उसका पढ़ने में, जब देखो कलर ब्रश चलाता रहता है कैनवास पर। हमेशा अपने पापा का व मेरा जी दुखाता रहता है। बड़ा हो रहा है पर जिम्मेदार बनना ही नहीं चाहता। कुछ समझ ही नहीं रहा। अब देखो घर का माहौल कैसा हो रहा है ?एक तरफ उसके पापा मुंह फुलाए बैठे हैं तो दूसरी तरफ बेटा रूम अंदर से बंद करके बैठा है। कहता है," मम्मी पापा आप मुझे समझने की कोशिश करो। मेरा इंटरेस्ट नहीं है सी. ए. बनने में।"

"अब तुम ही बताओ सिया ! बच्चों को अपनी मनमानी कैसे करने दें ? आखिर उनके भविष्य से खिलवाड़ करना तो सही नहीं है ना। हमारे बाद केतन का इस दुनिया में है ही कौन ? तो हम मां बाप तो यही चाहेंगे ना कि हमारे बच्चे का भविष्य अच्छा और उज्जवल बने। क्या मैं गलत कह रही हूँ सिया ?" सिया बड़े ध्यान से निधि की सब बातें सुन रही थी। उसे निधि की बातें सुनकर पूरा वाकया अच्छे से समझ में आ गया कि यहां वैचारिक भिन्नता है। उसने निधि से कहा कि"अच्छा बाबा पहले तुम अपने आंसू पोंछो और लो पहले थोड़ा पानी पियो तुम। फिर हम शांति से बैठ कर बात करते हैं इस विषय पर।"

सिया ने निधि को पानी पिलाया और पास बैठकर उससे कहने लगी," नीधि क्या केतन तुम्हारा ही बेटा है ? उसके दुखी होने से तुम्हें क्या कोई फर्क पड़ता है ? निधि की तो आश्चर्य से आंखें चौड़ी हो गई "ये कैसी बात कर रही हो सिया ? केतन मेरा नहीं तो और किसका बेटा है ? और उसके दुखी होने से मुझे फर्क क्यों नहीं पड़ेगा ? मेरे दिल का टुकड़ा है वो। हमारी तो जान है वो। मैंऔर उसके पापा तो कभी सपने में भी नहीं चाहेंगे कि हमारा बेटा कभी दुखी हो। उसे कोई तकलीफ हो ऐसा हम कभी नहीं चाहेंगे। फिर तुम ये कैसी बातें लेकर बैठ गई ?

तुम्हें पता तो है कि केतन के पापा व मैं केतन से कितना प्यार करते हैं।" सिया कहने लगी," हाँ निधि, मुझे पता है तुम दोनों केतन से कितना प्यार करते हो। सब जानती हूँ मैं। पर ये बात तुम नहीं समझ रही। निधि जब तुम दोनों ही केतन से इतना प्यार करते हो, तो अनजाने में अपने बेटे को इतनी बड़ी तकलीफ क्यों दे रहे हो ? क्या तुम नहीं चाहती कि तुम्हारा बेटा जो भी काम करे उसे पूरे मन से जीजान लगाकर पूरा करे। अपनी मेहनत से वो कामयाबी हासिल करे। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। बस मैं इतना ही कहूंगी कि अपने बेटे को उसके इंटरेस्ट के हिसाब से काम करने दो। जिससे वह बेमन से उदास होकर नहीं, अपना पूरा मन लगाकर खुशी खुशी उस काम को पूरा करे।

हमारा बाल मनोविज्ञान भी यही कहता है कि जिस काम में बच्चा अपने पूरे मन से खुश होकर जुटता है तो वो काम बाकियों के मुकाबले वह बहुत अधिक बेहतर रूप में सम्पन्न कर पाता है। उस काम की प्रोग्रेस रिपोर्ट में सफलता के प्रतिशत बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाते हैं। इसलिए मेरा यही कहना है कि केतन को अपनी उड़ान स्वयं भरने दो,अपनी रुचि के अनुसार। देखना अपने इंटरेस्ट का विषय चुनकर एक दिन वो बहुत नाम कमाएगा।" सिया की बातें सुनकर निधि की आँखें खुल गई।उसे बहुत दुख होने लगा कि वाकई उसने अनजाने में अपने बेटे का बहुत दिल दुखा दिया। पर नहीं अब और नहीं।

मैं अपने बेटे को और दुख नहीं पहुँचाऊंगी बल्कि वो अपने इंटरेस्ट से जो विषय चुनेगा अपने भविष्य के लिए, मैं उसमें उसका पूरा साथ दूंगी। निधि ने सिया से कहा," सिया तुमने सही कहा, हम अनजाने में अपने ही बच्चे का दिल दुखा बैठे। पर अब हम हमारे बच्चे के साथ हैं। वो सी.ए. नहीं बनना चाहता, आर्टिस्ट बनना चाहता है तो कोई बात नहीं। हम उसकी खुशी में उसका पूरा साथ देंगे। मैं अभी जाती हूं अपने बेटे के पास उसे मनाने।"

निधि अंदर जाने को पीछे मुड़ी तो देखा केतन के पापा पीछे खड़े थे। वे निधि से कहने लगे," निधि मैंने तुम्हारी व सिया की सब बातें सुन ली हैं। सिया ने सब बातें सही कही हैं। अब हम हमेशा अपने बच्चे का साथ देंगे। हमारी अधूरी इच्छाएं हम अपने बच्चों पर क्यों लादें। आखिर अपने बच्चे की खुशी में ही तो हमारी खुशी है। चलो हम एक साथ अपने बच्चे को मनाने चलते हैं।"


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