Parimal Bhattacharya

Drama Others

1.0  

Parimal Bhattacharya

Drama Others

बातें

बातें

3 mins
654


रोज सुबह ठीक 11 बजे माँ को फोन करना परिमल की पुरानी आदत थी। भारत में उस समय रात के 9 बजते हैं। फोन माँ ही उठाती है और रोज़ इतना कुछ कहना रहता है कि लगभग रोज़ आखिरी बात यह होती है कि चलो कल डीटेल में बताउंगी या बताउंगा। माँ से बातें कभी खत्म ही नहीं होती। हालांकि बाबूजी से ज्यादा बात नहीं होती लेकिन उसे पता होता है कि माँ का फोन स्पीकर पर होगा और बाबूजी आँखों में चमक लिए एक एक शब्द को आत्मसात कर रहे होंगे। मिताली को हमेशा शिकायत रहती थी माँ उसे कम प्यार करती है। उसकी दोस्ती बाबूजी से ज्यादा थी। लेकिन दोनों भाई बहन अपने माँ बाप से आज भी उतने ही जुड़े थे जितना कि बचपन में। लेकिन परिमल को एक बात नहीं पता थी।

सालाना थैंक्सगिविंग अमेरिकी त्योहार है जब परिवार के लोग एकत्रित होकर जश्न मनाते हैं। इस बार भी परिमल और मार्था ड्राइव करके मार्था के माॅम-डैड से मिलने गए। लिलि का ये पहला थैंक्सगिविंग था इसलिए वहां ज्यादा ही उत्साह था। वापसी के लिए अगली सुबह वो जल्दी रवाना हो गए क्योंकि लिलि के वैक्सीनेशन का दिन था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

सैन फ्रांसिस्को पहुंचने में अभी समय था, वेगास पार होते ही मौसम खराब हो गया और एक मोटेल में शरण लेनी पड़ी। दो घंटे बाद फिर से रवाना होकर घर पहुंचते पहुंचते 1 बज गए। 11 बजे से परिमल को ये बात सता रही थी कि माँ से बात नहीं हुई। बारिश इतनी तेज थी कि फोन लगाना असम्भव था।घर पहुंचकर लगा माँ सो गई होगी। मन में अथाह बेचैनी लिए अपनी अधूरी पेंटिंग पूरी करने बैठ गया। लेकिन मन नहीं लगा। उठकर एक पेग बनाकर टेरेस में बैठ गया।

शाम 7 बजने को थे। बेचैनी कुछ ज्यादा ही हो रही थी। कुछ पसीना भी आ रहा था। आशंका हो रही थी कहीं हार्ट का मामला तो नहीं। तभी मोबाइल की घंटी बजी। माँ का नंबर देख थोड़ा आश्वस्त होकर फोन उठाया। अरे, कोई आवाज़ नहीं आ रही। हैलो, हैलो, माँ, कुछ बोलती क्यों नहीं। उधर से बाबूजी का कांपता हुआ स्वर उभरा। बेटा, आ सकता है क्या। तेरी माँ ..... बाबूजी रो पड़े। परिमल की पूरी दुनिया लुट चुकी थी।

अगले दिन दाह संस्कार के बाद मिताली ने बताया उस रात वो माँ के साथ थी। माँ उसके फोन का इंतज़ार कर रही थी। बाबूजी और मिताली ने 8 बजे डिनर कर लिया था, मिताली प्रेग्नेंट थी। 10 बजे जब माँ से खाने के लिए कहा तो माँ ने कहा ठहर, पहले तेरे भैया से बात तो कर लूँ। बाबूजी ने तब खुलासा किया कि जबसे बेटा गया है, माँ हमेशा उससे बात करके ही खाती है। कहती है अरे रुक जाओ, मेरी भूख उससे बतियाए बगैर मिटेगी नहीं। परिमल को ये बात पता नहीं थी। फिर जब 12 बजे तक फोन नहीं आया तो भूखी ही सोने चली गई। सुबह नहीं उठी। डाक्टर ने बताया मैसिव हार्ट अटैक था।

परिमल आदतन माँ के कमरे की ओर चल पड़ा। दीवार से माँ की फोटो उतारी, माँ के बिस्तर पर, माँ की चादर ओढ़ कर लेटे लेटे माँ से बातें करने लगा। आधे घंटे बाद जब बाबूजी कमरे में आए तब भी बात चल रही थी। हाँ माँ, अभी थोड़ी देर बाद फ्लाइट है। चलो कल फिर डीटेल में बात होगी। और हाँ, तेरी ये आदत ठीक नहीं, मेरा फोन न आए तो भी खाना ज़रूर खा लेना।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama