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कुमार जितेन्द्र जीत

Tragedy

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कुमार जितेन्द्र जीत

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बालश्रम से बिछुड़ता बचपन

बालश्रम से बिछुड़ता बचपन

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बाल श्रम -अर्थ- बालक - बालिकाओं के द्वारा उनकी आयु सीमा के विपरीत सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में कार्य करवाना बाल - श्रम की श्रेणी में आता है l ओह! हम यह क्या सुन रहे हैं? हम अपने आसपास क्या देख रहे हैं? ये चारों ओर का दृश्य और यह विषय कितना चिंतनीय है l बाल - श्रम नाम में एक बहुत बड़ा अपराध छिपा हुआ है जो भविष्य के उजाले को अंधकार की ओर ले जा रहा है l 

आईए मित्रोंकुमार जितेन्द्र "जीत" के साथबाल - श्रम को एक विश्लेषण से समझने की कोशिश करते हैं....! 

जरा देखिए क्‍या है ? बाल श्रम

बाल श्रम, भारतीय संविधान के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्‍चों से कारखाने, दुकान, रेस्‍तरां, होटल, कोयला खदान, पटाखे के कारखाने आदि जगहों पर कार्य करवाना बाल श्रम है। बाल श्रम में बच्‍चों का शोषण भी शामिल होता है, शोषण से आशय, बच्चों से ऐसे कार्य करवाना, जिनके लिए वे मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार न हों।

यह भी समझिए भारत के संविधान में मूल अधिकारों के अनुच्‍छेद 24 के अंतर्गत भारत में बाल श्रम प्रतिबंधित है। बाल श्रम का मुख्‍य कारण गरीब बच्‍चों के माता-पिता का लालच, असंतोष होता है। लालची माता-पिता अपने एशो-आराम के लिए बच्‍चों से मजदूरी कराते हैं। जिससे बच्‍चें न ही स्‍कूल जा पाते हैं और न ही ज्ञान प्राप्‍त कर पाते हैं। 

बचपन बिछुड़ता बालश्रम बचपन, जिंदगी का बहुत खूबसूरत सफर होता है। बचपन में न कोई चिंता होती है, ना कोई फिक्र होती है, एक निश्‍चिंत जीवन का भरपूर आनंद लेना ही बचपन होता है। लेकिन कुछ बच्‍चों के बचपन में लाचारी और गरीबी की नजर लग जाती है। जिस कारण से उन्‍हें बाल श्रम जैसी समस्‍या का सामना करना पड़ता है। बाल श्रम वर्तमान समय में बच्‍चों की मासूमियत के बीच अभिशाप बनकर सामने आता है। 

 बाल श्रम के दुष्‍प्रभाव से बचपन ख़तरे में

बच्‍चों के विकास में रुकावट - बाल श्रम का सबसे ज्‍यादा असर बच्‍चों के विकास पर होता है, बाल मजदुरी से बच्‍चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। जिस उम्र में बच्‍चों को खेल-कूद कर, शिक्षा लेकर अपना विकास करन चाहिए, उस उम्र में उन्‍हें मजदूरी करना पड़ती है।

बाल श्रमिकों का अधिक शोषण - बाल मजदूरों का उनके मालिक द्वारा अधिक शोषण किया जाता है। बाल मजदूर कम मजदूरी लेकर ज्‍यादा काम करने के लिए राजी हो जाते हैं एवं उनसे मनचाहा काम कराया जाता है। दिन भर तिरस्कार का सामना करना पड़ता है l

बालक शिक्षा से वंचित - परिवार में आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बच्‍चे बाल मजदूरी करने पर मजबूर हो जाते हैं l परिवार के जीवन पोषण के लिए दिन - रात एक करने में लगे रहते हैं l और वे जीवन भर शिक्षा से वंचित रहते है। शिक्षा उनके जीवन से कोसो दूर रहती है lभविष्य की जिंदगी दाँव पर - बड़े बड़े कारखाने, कोयले की खदानें, पटाखों की फैक्‍टरी आदि में कार्य करने से बाल श्रमिकों की जिंदगी हमेशा दाँव पर लगी रहती है। किसी वक्त क्या घटना घटित हो कुछ कहना असम्भव है l

बाल श्रमिकों हेतु क्या - क्या व्‍यवस्‍थाएं होनी चाहिए हैं यह भी जानना जरूरी हैबाल श्रमिक स्‍कूल - सरकार द्वारा बाल मजदूरों के लिए बाल श्रमिक स्‍कूल खुलवाने चाहिए। जो उन्‍हें उनके काम के बाद शिक्षा प्रदान करे। 

निःशुल्क शिक्षा- सरकार द्वारा सभी सरकारी स्‍कूलों की शिक्षा, दसवीं कक्षा तक निःशुल्क कर देना चाहिए। ऐसा करने से सभी गरीब बच्‍चे हाई स्‍कूल परीक्षा उत्‍तीर्ण कर सकते हैं एवं उन्‍हें रोजगार भी आसानी से प्राप्‍त हो सकेंगे। जिससे भविष्य सुनहरा बन सके l

क्या है ? बाल श्रम अधिनियम 1986 बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है जो एक समाज के एक कमजोर वर्ग की गरीबी व अशिक्षा से जुड़ी है। प्रसिद्ध जर्मन विद्वान मैक्स मूलर ने कहा है कि ’’ पश्चिम में बच्चे दायित्व समझे जाते हैं जबकि पूर्व में बच्चे सम्पति’’ यह कथन भारत के संदर्भ में शत्-प्रतिशत सही है। 14 वर्ष के कम उम्र के बच्चे जो नियोजित है उन्हें बाल श्रमिक कहा जाता है जिनके हित संरक्षण हेतु बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 बनाया गया है जिसकी धारा-3 के अंतर्गत अधिसूचित खतरनाक क्षेत्रों में बाल श्रमिक नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है l

क्या कहता है ? बाल श्रम संशोधन विधेयक 2016 संशोधन के मुख्य तथ्य-

इस विधेयक के अनुसार चौदह वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना संज्ञेय अपराध माना जायेगा l

इसके लिए नियोक्ताा के साथ-साथ माता-पिता को भी दंडित किया जाएगा l

विधेयक में चौदह से अठारह वर्ष के बीच के बच्चों को किशोर के रूप में परिभाषित किया गया हैl

इस आयु वर्ग के बच्चों से किसी खतरनाक उद्योग में काम नहीं कराया जाएगा l

किसी बच्चे को काम पर रखने पर कैद की अवधि छह महीने से दो साल तक बढ़ा दी गयी है l

अभी तक इस अपराध के लिये तीन महीने से एक साल तक की कैद की सज़ा का प्रावधान था    

जुर्माना बढ़ाकर बीस हज़ार रुपये से पचास हज़ार रुपये तक कर दिया गया है l

दूसरी बार अपराध करने पर एक साल से तीन साल तक की कैद का प्रावधान है l

आवश्यक है समाधान आर्थिक स्थिति कमजोर होने वाले परिवारों के यहां जन्म लेने वालों बच्चों को बालश्रम से गुजरना पड़ता है l परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में बालश्रम पर कानून के मुताबिक रोक लगानी चाहिए l जिससे बालको के बचपन की खुशियों में चार चांद लगे l उनका बचपन बालश्रम से छीनने को मजबूर ना हो l सरकार और आर्थिक रूप से समृद्ध लोग बालश्रम को रोकने में सहयोग करे l हम सभी को मिलकर अपने आसपास के वातावरण को शिक्षा से जोड़े जिससे हमे भविष्य में बालश्रम के दृश्य देखने को नहीं मिले l

बालश्रम एक अपराध है, इस अपराध को जड़ से मिटाने के लिए हम सभी को आगे आना होगा l


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