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Meenakshi Kilawat

Inspirational

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Meenakshi Kilawat

Inspirational

बाल संस्कार आज की जरूरत है

बाल संस्कार आज की जरूरत है

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"बाल संस्कार आज की जरूरत है " आज बालकों का जीवन अंधेरे मे है। अगर हम बालपन में ही बच्चों को सही दिशा दिखाते हैं और अच्छे संस्कार देने का प्रयत्न करते हैं तो हमारे बच्चे ज़रूर सुसंस्कारी और काबिल बनेंगे। पेरेंट्स को इन सब बातों पर ध्यान देकर बच्चों का भविष्य संस्कारीत करना है क्योंकि आज की तरुण पीढ़ी अपने गंतव्य स्थान से भटकती जा रही है। हम हमारे बच्चों के लिए क्या कर सकते हैं यह हमारे मेहनत पर निर्भर करता है।


बच्चों का भविष्य बिगड़ ना जाए इसलिए सतर्कता बरतना बेहद जरूरी हो गया है। इस बात के लिए पेरेंट्स को अपना पूरा समय देना होगा। बच्चों के साथ खेलना कूदना होगा उन्हें पूर्णतया प्यार से सिंचना, जानना होगा बचपन में ही हम उनका जीवन संवार सकते हैं अन्यथा किए कराए पर मिट्टी पड़ सकती है। सारी जिंदगी कांटे की तरह अंदर ही अंदर सालता रहेगा और जिंदगी पर नासूर बन कर छा जाएगी, तमाम जिंदगी खुद की और परिवार की सारी ख़ुशियाँ नष्ट हो जाएगी। तब यह माया ममता भी रूठ जाएगी। ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए यह बड़ा सोच विचार का मुद्दा है। 


इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कुछ कठिन त्याग करना होगा। हमे हमारी महत्वाकांक्षाओ के लिए बच्चों को बली का बकरा नहीं बना सकते उनका जीवन दाँव पर नहीं लगा सकते अगर बालपन से ही बच्चों को संस्कार क्षमताओं को बढ़ाएं तो एक अच्छा इंसान बना सकते है। बच्चों का पालन पोषण हमारी जिम्मेदारी होती है। जिनके बच्चे काबिल होते हैं वह पेरेंट्स अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं। यह पूर्ण दारोमदार संबंधों को दृढ़ मजबूत बनाती है। तथा घर परिवार में अमन चैन, शांति लाती है। यह बात 100 % सच है यहां बात हमारे दिल में गढ़ जाना चाहिए और फिर हमारी लगन मेहनत बर्बाद नहीं होगी।


हम बालक को जन्म देते हैं वह बाल स्वरूप बालक धातु या कोई चीज नहीं है खून मास का एक जीता जागता कोमल भावनाओं से भरा हमारा दुलारा होता है। जब वह दुनिया में कदम रखता है वह अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं आता। उस बालक में आचार विचार डालना पड़ता है ।यह कार्य अपना अनमोल समय देकर पेरेंट्स को करना बहुत जरूरी होता है। 

कुछ-कुछ उस बालक के किस्मतके साथ और पेरेंट्स की मेहनत से जीवन कामयाब होता है। पेरेंट्स के सहयोग से बालक की जिंदगी में सफलता कदम चूमती है।

पेरेंट्स को हर वक्त हर वक्त चिंता लगी रहती है। कभी पढ़ाई को लेकर कभी कैरिएर को लेकर इसी वजह से लगातार तगादा लगाते हैं। क्योंकि पेरेंट्स की

महत्वाकांक्षाएं बच्चों के प्रति बहुत ज्यादा बढ़ गई है। यह अति महत्वाकांक्षा रखना बच्चों को हानि पहुँचाते हैं। और अनर्थ होने की आशंका रहती है। अगर बालकों का जीवन सुंदर संस्कारित बनाना है तो हमें हमारी महत्वाकांक्षाओ की तीलांजली देनी पड़ती है।


आज वह दिन नहीं रहे जब श्रीराम मातापिता के कहने से १४ वर्ष के वनवास को चल दिए थे। आज का आधुनिक जमाना कुछ और है। वैसे भी आजकल तरुण वर्ग में सहनशीलता की कमी पाई जाती है। पुराने समय में ऐसा नहीं होता था एक एक से अधिक बच्चे होने पर भी सभी बच्चे सेहतमंद संस्कारी सेल्फ रिक्वेस्ट करने वाले होते थे। कम खर्च में समाधान से वह अपनी जिंदगी जीते थे, लेकिन आज ऐसा नहीं होता उन्हें किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं आता है।

क्योंकि आज की पढ़ाई लिखाई इंग्लिश मीडियम से होने लगी है आज के पेरेंट्स ग़रीब हो या अमीर हो अपने बच्चों को अच्छे स्कूल कॉलेज में पढ़ाना चाहते हैं एजुकेशन में होड़ लगी है। फिर हम आज के वातावरण को क्यों बदनाम करते है।  


भारी मात्रा में आज विज्ञान जगत में तरक्की की है रिमोट से ले लेकर रोबोट तक सभी कुछ यहां उपलब्ध है इंटरनेट, स्मार्टफोन की भरमार है। हालांकि यह विज्ञान प्रयोग के लिए इंस्ट्रूमेंट यंत्र सामग्री असंभव को संभव बनाते है। यह सब चीजें विज्ञान की खोज है। यह कामयाबी की नई सीढ़ी है। व्यापार उद्योग के उन्नति के शिखर पर पहुंचाने का साधन है। वह सब हमारे भले के लिए ही है। उसका फायदा हम सभी को लेना चाहिए।


मगर आज की तरुण पीढ़ी गैर फायदा लेकर गैर जिम्मेदाराना हरकते करते हैं। इतना ज्यादा अतिरेक होता है। यह सब पेरेंट्स की वजह से ही हो रहा है।उनके लाड प्यार ने खुद के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। जो चीज से बचपन में दूर रखा जाना चाहिए वही चीज खिलौने के रूप में बच्चों को मिल रही है। उन चीजों के कारण बच्चों के जीवन तहस-नहस होता दिखाई दे रहा है।


अति उपयोग से बच्चों में अनेक बीमारियाँ घर कर रही है । जैसे डर, क्रोध, लोभ,मद ,मत्सर से पीड़ित होकर टेंशन तरुण वर्ग में दिखाई दे रहा है सुसाइड का प्रमाण बढ़ गया है 25 से 30 वर्ष की आयु में ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट अटैक, हेडएक मानसिक रोग नशा इन सब व्यसनो से बर्बाद करने में कोई कमी नहीं छोड़ते, फिर भी वह उसके अधीन होकर बर्बाद हो रहे हैं। पेरेंट्स के लाड प्यार ही घातक सिद्ध होता जा रहा है। बच्चों को हर चीज मुहैया कर दी जाती है। जैसे मोबाइल ,बाइक मिल जाती है।


पेरेंट्स की ग़लती का नतीजा है। उन्हीं को भुगतना पड़ता है। वह खुद गरीबी में जीवन जीते हैं बच्चों की अपेक्षाएं पूरा करने की कोशिश करते हैं। समय ना रहने की वजह से बच्चों को समय नहीं दे पाते मगर हर एक चीज देकर ख़ुशियाँ समेटना चाहते हैं।लेकिन ऐसा हरगिज़ नहीं होता उन चीजों को इस्तेमाल करके बच्चों का भविष्य आफ़त में आ जाता है। और कभी बच्चों के बुरे कर्म की वजह से पेरेंट्स को नीचे देखना पड़ता है। सेल्फ रेस्पेक्ट आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। बनी बनाई इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाती है। गिल्ट पश्चाताप के अलावा उनके हाथ कुछ भी नहीं लगता तब बच्चों की बुराइयाँ करते फिरते और लक किस्मत को दोष देते रहते हैं। आज हर घर घर में यही कहानी सुनाई दे रही है।

  

पेरेंट्स को समझ आ जाना चाहिए समय रहते बच्चों को अच्छे मैनर्स संस्कार देने की कोशिश करनी चाहिए। हताशा और निराशा जैसे चीजों से दूर रखना चाहिए घर परिवार का वातावरण पॉजिटिव थिंकिंग सकारात्मक होना चाहिए, भूल से भी नेगेटिव थिंकिंग नहीं होनी चाहिए। सच्चाई की राह पर चलकर बच्चों मे भी ऑनेस्ट ईमानदारी के बीज बोए मेहनत की रोटी खाए और खिलाएं । अपना आचरण विचरण ठीक रखें, झूठ फरब को दूर रखें ,हम जो भी करेंगे हमारे बच्चे भी वही करते है बोलते हैं वही सीखते हैं ।


पेरेंट्स को विचार पूर्वक रहकर बच्चों से डिस्कशन विचार विनिमय करके बच्चों का मित्र बनकर भविष्य को सवारना चाहिए हर तरह से अपने बच्चों को मदद करके सबल बनने हेतू आइडियल परसन, प्रेरणा देनी चाहिए और एक अच्छा इंसान बनाए क्योंकि वह बच्चा हमारे नाम के साथ समाज का देश का भी कुछ नाम कर सकता है। आपने अच्छे कारनामों से देश का भी नाम रोशन कर अपनी ख्याति प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है। तब माता-पिता का सीना गर्व से फूल जाता है। वह होनहार, काबिल बच्चा अपना ही होता है । मगर यह सब बातें अच्छे विचारों से, संस्कारों से ही हो सकता है।



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