अवसाद
अवसाद
आखरी चिठ्ठी लिख कर मेज पर रख दी थी। चार पन्नो की चिठ्ठी में सारी बातें विस्तार से लिखी थीं। एक तरफ दोस्त ने धंधे की सांझेदारी में बईमानी की और सारा पैसा लेकर फरार हो गया।
अब लेनदार तनमय के पीछे हाथ धोकर पड़े थे। दूसरी तरफ सीमा ने माता - पिता के दबाव में आकर, किसी और से सगाई कर ली।
सब कुछ खत्म हो गया था।फंदा तैयार कर लिया था।आखरी कदम उठाना बाकी था।
हिम्मत नही हो रही थी तो सोचा तीन चार पेग विस्की अंदर जाएगी तो हिम्मत आएगी।विस्की खरीदने घर से निकला, तभी रात के 10:30 बजे थे, बाहर बारिश हो रही थी।
लॉकडाउन के चलते सड़के सुम साम थी।
तभी फुटपाथ पे एक करीब 26 - 28 साल की औरत सोई हुई उसे दिखी।उसके पास उसकी दूध पीती बच्ची थी, जो उसके आँचल से दूध पीने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
तनमय थोड़ी देर वहीं रुक कर ये देखता रहा।
बच्ची भूख से रोये जा रही थी और माँ शायद बेहोश हो गई थी या मर गई थी।तनमय घर वापस गया। चिठ्ठी फाड़ दी।फिर अपनी डायरी में लिखा
"अवसाद या दुःख, तुलनात्मक है। आप अपनी तुलना किस्से करते हो इसपे निर्भर करता है।"
