Reena Devi

Tragedy

5.0  

Reena Devi

Tragedy

अविस्मरणीय भूल

अविस्मरणीय भूल

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कॉलेज के दो सहपाठी अचानक मार्केट में मिलते हैं तो दीपक जो एक रईश खानदान से सरोकार रखता है तथा पढ़ाई में मध्यम स्तर के बच्चों की श्रेणी में आता है रामू जो कक्षा में काफि होशियार है से पूछता है।

''रामू क्या बात कुछ परेशान दिख रहे हो, क्या बात है। रिजल्ट कैसा रहा तुम्हारा ?एडमिशन कहां ली तुमने ?

92 प्रतिशत ही मार्क्स आए हैं मेरे तो,रामू ने दुखी मन से बताया।

क्या ? आश्चर्य चकित होते हुए दीपक ने कहा ।अरे यार फिर तो पार्टी बनती है।

रामू पार्टी काहे की यार मेरा तो एम बी बी एस में एडमिशन ही नहीं हुआ ।बचपन का सपना सपना बनकर रह गया।अच्छा अब मैं चलता हूँ मुझे देर हो रही है।

दीपक का एडमिशन उसके पिताजी डोनेशन देकर करवा देते हैं ।

कुछ सालों बाद मोहन नाम का लड़का अपने दोस्त सोहन के साथ बाइक पर जा रहा है जैसे ही वो चौराहे पर पहुंचते हैं तो ट्रेफिक हवलदार उसे रोक लेता है और कहता है ,तुमने हेल्मेट क्यों नहीं पहन रखा तुम्हारा चालान कटेगा ।

मोहन गिड़गिड़ाते हुए कहता सर माफ कर दीजिए आगे से एेसी गलती नहीं होगी।हवलदार लाईसेंस दिखाओ अपना चालान तो तुमको भरना ही पड़ेगा।

मोहन सर यहीं तक जा रहे थे हम लॉकल ही हैं सर प्लीज माफ कर दीजिए दोबारा ये गलती नहीं होगी प्लीज।

हवलदार नहीं मानता फिर मोहन 200 रूपये का नोट हवलदार की जेब में रखते हुए सर अब तो जाने दो प्लीज।

हवलदार उनको जाने देता है।आगे जाकर कुछ ही दूरी पर मोहन सोहन का एक्सीडेंट हो,जाता है।

सोहन को छोटी मोटी खरोंच ही आती हैं पर मोहन को काफि चोट लग जाती है तथा वो अचेत अवस्था में होता है।

सोहन त्रिलोचन जी (मोहन के पिता) को फोन मिलाता है अंकल अंकल जल्दी जल्दी (हड़बड़ाते हुए) आइए मोहन का एक्सीडेंट हो गया है मैं उसे लीलावती हास्पिटल में ले चा रहा हूँ।आप जल्दी वहाँ आ जाइये।

सोहन उसे हास्पिटल में ले जाता है खून ज्यादा बहने के कारण उसे आई सी यू में ऑपरेशन के लिए ले जाते हैं कंपाउंडर रामू डॉ.दीपक से कहता है सर इसका ऑपरेशन करना पड़ेगा ।

दीपक घबराता ऑपरेशन का नाम सुनकर फिर रामू को पास देखकर हां हां मैं ऑपरेशन कर सकता हूँ इसमें कौन सी बड़ी बात है।

फिर रामू से दवाई मांगता है रामू कहता है पर सर ये तो पेट की दवाई होती है हां हां पता है मुझे गलती से बोल दिया था दूसरी दवाई तो जो ऑपरेशन करते हुए देते हैं।

जैसे तैसे फाइनली ऑपरेशन हो जाता है तथा दीपक चैन की सांस लेता है कि उसने ऑपरेशन कर दिया।

मोहन के मम्मी पापा वहाँ पहुंच कर सोहन से उसके बारे में पूछते हैं फिर कंपाउंडर रामू से पूछते हैं कि डॉक्टर कहां है वो उनको इशारा करते हुए कहता है कि वो जा रहे डॉक्टर साहब।

त्रिलोचन डॉक्टर के पास जाकर मोहन के विषय में पूछते हैं पर ये क्या वो उस डॉक्टर को देखकर हैरान रह जाते हैं तथा उसे पहचानने की कोशिश करते हैं।

उसे याद आता है कि कुछ साल पहले एक रईश अपने बेटे के साथ मेरे र्ऑफिस में आया था जिसको मैंने डोनेशन लेकर एडमिशन दे दिया था।आज उसी ने मेरे पुत्र का ऑपरेशन किया है। तभी कंपाउंडर उन्हें खबर देता है कि उनका बेटा ऑपरेशन के बाद कोमा में चला गया।

इसे सुनकर वो अकदम टूट जाते हैं तथा उनकी पत्नी रो रो बेहाल ही हो जाती है। उसकी हालात तो पत्थर की बेजान मूर्ति जैसी हो जाती है।

त्रिलोचन जी ने उस दिन जो भूल की वो बार बार उनकी नजरों के सामने घूमती है मानो चिढ़ा रही हो कि जो गलती तुमने की उसकी सजा तुम्हारा पुत्र आज भोग रहा है। त्रिलोचन के लिए वो भूल अविस्मरणीय हो जाती है।


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