पुत्र इच्छा
पुत्र इच्छा
मां को एक पुत्र की इच्छा शुरू से ही थी पर उनकी पहली संतान पुत्री हुई पुत्र मोह से मन नहीं हट पाया तो उन्होंने दूसरा चांस लिया और दूसरी संतान भी पुत्री ही हुई पापा एक शिक्षक थे तो उन्होंने कहा की दो बेटियाँ हैं दोनों को अच्छी शिक्षा देंगे और पढ़ा लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर देंगे पर मां अनपढ़ थी तो उनकी भावनाएं और उनका मतलब शायद नहीं समझ पाई और उन्होंने पुत्र मोह में पड़कर ऑपरेशन करवाने से मना कर दिया तीसरी बार आस लगाई गई कि अबकी बार तो पुत्र ही पैदा होगा परंतु भाग्य की गति देखिए मां की भक्ति में शायद कहीं कमी रह गई थी और तीसरी बार भी घर में पुत्री का जन्म हुआ और इसे भाग्य कहिए या विडंबना की चौथी बार भी घर में एक पुत्री का ही जन्म हुआ परंतु इक मां जो सिर्फ पुत्र प्रेम में बंधी हुई थी कहां हार मानने वाली थी पापा जो सिर्फ दो ही बच्चों के पक्ष में थे चाहते हुए भी कुछ ना कर पाए और पांचवी संतान के रूप में एक पुत्र पैदा हुआ घर में हर तरफ खुशियां ही खुशियां बहने उसके छोटे-छोटे पैरों को देखकर बहुत ही खुश थी और मां की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था परिवार में सबसे सुंदर सबकी आंखों का तारा सभी बहनों का लाडला ।हर कोई कहता जितना देर से आया है उतना ही सुन्दर है ।गांव की औरतों ने मां को कहा की चार चार बेटियां हैं एक चांस और लो भोली भाली उनकी बातों में आ जाती है और एक चांस और ले लेते हैं। फिर घर में एक और पुत्र का जन्म होता है। एक कमाने वाला एक शिक्षक की तनख्वाह कितनी होती है ।उस पर एक कमाने वाला और छह छह संतान ।जॉब के सिलसिले में दूसरे जिले में रहना और इधर महीनों महीनों मां को घर पर छोड़ कर सभी बच्चों की देखभाल करना ,पढ़ाना लिखाना सब मां ही करती थी । बड़ा बेटा सबसे इंटेलिजेंट एक बार देखते ही हर चीज याद कर लेने वाला पर दुर्भाग्य की जब16 साल का हुआ तो एक एक बाबा जी मंत्र से सम्मोहित कर उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाते हैं। वह कहीं भी ढूंढने पर भी उसका पता नहीं चलता। घर में मातम छा जाता है। कोई खुशी नहीं मनाई जाती और हर पल हर समय सिर्फ उसी को याद किया जाता है। सबसे इंटेलिजेंट बहनों को बहुत चाहने वाला उनकी रक्षा के लिए क्या नहीं कर गुजरने वाला था ।उनकी दुआओं का असर कहिए या मां कर प्रेम का बंधन छह-सात महीने के बाद उसे घर की याद आती है और वह घर पर फोन करके अपना पता बताता है। फिर क्या था पापा जी चाचा जी मिलकर उसको लेने चले जाते हैं। साथ ले आते हैं परंतु आने के बाद भी बाबा जी फोन करके बुलाना चाहते हैं बहुत बार मना करने के बाद भी आप घर पर फोन मत किया कीजिए ।उसका पीछा ही नहीं छोड़ते परिवार वाले सोचते हैं कि कहीं दोबारा से न चला जाए उसकी शादी कर देते हैं। 17 वर्ष की आयु में उसकी शादी हो जाती है। शादी के 4 महीने बाद ही भाई और भाभी आत्महत्या कर लेते हैं । दुःख का पहाड़ टूट पड़ता है परिवार पर ।मां जिसका सिर्फ और सिर्फ एक ही सपना था पुत्र रह बिल्कुल अधूरी हो जाती है और बार-बार पुत्र के वियोग में बेसुध रहती है। ये यह कैसा पुत्र प्रेम है।जिस पुत्र को माने इतनी मिन्नतें के बाद प्राप्त किया वहीं उसे छोड़कर चला गया।