और वह मरी नहीं

और वह मरी नहीं

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गू-मूत से सनी वह चौराहे पर बेहोश पड़ी थी , उस पर सैकड़ों मक्खियां भिनभिना रहीं थी ।

राह चलते राहगीर बता रहे थे ,थोड़ी देर पहले तक तो सही थी ।

अभी ,अचानक इसे ठोकर लगी और ....

पिछले बीस सालों से एक बात वह रोज़ बताती थी ,वह था उसका पिछला जन्म

"ना बऊ , तुमै बतावैं हम पिछले जलम में मालिन हते ,हम फूल बेंचन गये हे, रत्ता मैं हमैं ठुक्कर लगी औ हम मरि गे, जाऊ जलम में हमें , एक ठुक्कर लगैगी औ हम मरि जांगे ।"

एक दिन उसने बताया था 

" बऊ जी , हम जब सात साल के हे, तो हमारो विआहु कद दओ।

सतरा साल के हे हमाये आदिमी ।"

ठुक्कर लगैगी औ हम मरि जांगे।

फिर एक दिन उसने कहा -

" मैइने अपने आदिमी कौ औ अपनी जिज्जी कौ एक संग देखो ,

तो मैनें हल्ला काटो वानै मोय मारिके निकाद दओ, जिज्जी को अपने संग धल लौ।"

ठुक्कर लगैगी औ हम मरि जांगे।

 फिर कभी उसने कहा - 

" मैइने अपने बच्चन को चौका बासन करिके पालो ।

बऊ जी ,तऊ नास-पीटे लड़े मरे जाय रये।जाने केती शराब पीयत।मोय मात्त।"

ठुक्कर लगैगी औ हम मरि जांगे।

 पिछले बीस सालों में पचासों बार सुनी इस पिछले जनम की कहानी को वह इतने चाव से सुनाती जैसे कोई परीकथा हो या कोई थ्रिलर।

दो दिन की छुट्टी के बाद वह बर्तन धोने आई थी ,एकदम चुप।

सुबह के अतिव्यस्त शेड्यूल के बावजूद मैंने उसे छेड़ दिया ,

" क्या बात ताई कहाँ थी, दो दिन ? आज इतनी चुप क्यों ? आज नहीं सुनाओगी अपने पिछले जनम की कहानी।"

उसकी झुर्रियों में मानो ज्वार भाटा चढ़ आया था । सारा नमक आँखो में इकट्ठा होकर उसे अँधा किये दे रहा था मटमैले पल्ले की कोर से आँखों में जमा नमक की पर्त हटा कर बोली ; 

" का बतायें बऊ, हमाओ बड़ो लड़का मरि गओ , औ छोटे ने लड़ाई के मारे बाके घरै मोय नाय जान दओ।

मैइने बाकी लासउ नाय देखी। अब कहां पावौगीं फेरि बाकौ मुंह देखन ताईं।

ठुक्कर लगैगी औ हम मरि जांगे।

ठोकर लगी और वह मरी नहीं।


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