अतीशा भाग -४

अतीशा भाग -४

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गतांक से आगे-:


रजिया काकी के जाने के बाद अतीशा ने तस्वीर उठायी और उसे जोड़ने लगी। उस तस्वीर में उसे एक बच्ची दिखाई दी जो अपने माता पिता के साथ बैठी हुयी बहुत ही खुश नजर आ रही थी।


“यह बच्ची शायद मैं ही हूं”, अतीशा ने अपने आप से कहा “और यह मेरे मॉम डैड” अतीशा ऐसा कहकर सुबकने लगी कि तभी उसकी नजर तस्वीर के पीछे पड़ी जिस पर एक नंबर लिखा था और एक नाम भी। उसने नाम ध्यान से पढा़ सकिना वह नाम उसे पहले भी पढा सा लगा।


आखिर कौन है यह सकीना? ऐसा सोचकर उसने नंबर मोबाइल पर ऐड किया और डायल करने लगी। तभी डायल करने पर आवाज आयी कि इस नंबर पर आउटगोइंग सुविधा उपलब्ध नहीं है। उफ ऐसा आज ही होना था मेरे साथ अब बैलेंस भरवाना पड़ेगा। अतीशा ने अपने आप से कहा और लैपटॉप लेने के लिए सीढी से नीचे उतरने लगी। अभी एक दो सीढ़ी नीचे ही उतरी थी कि उसे बुरका पहने हुये एक औरत दिखायी दी जो रजिया काकी से बात कर रही थी। अतीशा चुपचाप उनकी बातें सुनने लगी।


“अतीशा को कोई शक तो नहीं हुआ” बुरके वाली औरत ने कहा


“नहीं मालिक उसे कुछ भी पता नहीं चला” रजिया ने कहा


“ओह यह तो एक आदमी है जिसने बुरका पहना है और इसे मेरा नाम भी पता है” अतीशा ने अपने आप से कहा और सांस रोककर वहां पर खडी़ हो गई। तभी उसने देखा कि उस बुरके में छुपे आदमी ने एक पैकेट निकाला और रजिया की ओर बढ़ाया और कहा


“यह पचास हजार रुपये है तुम्हारा ईनाम, जैसे इतने साल चुप रही वैसे ही आगे भी रहना”, रजिया मुसकुरायी और बोली


“जी मालिक आपका हुक्म सर आंखों पर और पैकेट ले लिया, वह आदमी वहां से चला गया। उसके जाने के बाद रजिया ने पैकेट से पैसे निकाले और उन्हें गिनने लगी तभी रजिया को पैसे गिनने में मशगूल देखकर अतीशा चुपके से बिना आहट किये हुये बाहर निकल गयी और उस बुरके वाले आदमी का पीछा करने लगी पर यह क्या वह तो कार में बैठकर चला गया और छोड़ गया ढेर सारे सवाल और अनसुलझे रहस्य अतीशा के लिए। अतीशा ने कार का नंबर नोट किया और उदासी भरी आंखों से आसमान को देखने लगी।


क्रमशः


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