Jyoti Prajapati

Inspirational Others

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Jyoti Prajapati

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अपवित्र लक्ष्मी

अपवित्र लक्ष्मी

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अपने घर की लाडली सृष्टि, जब पहली बार ससुराल पहुंची तो खूब लाड़-प्यार जताया जा रहा था उसपर। तारीफ पर तारीफ मिल रही थी..!

सासु माँ ने सबसे कहा,"अरे चांद जैसी बहु लायी हूँ ढूंढ कर.! लक्ष्मी है मेरी बहु ! जिस दिन रिश्ता पक्का हुआ, उसी दिन हमारे मयंक का प्रोमोशन हो गया और ट्रांसफर पुणे से यहीं, इंदौर में ही हो गया..! सच मे बड़े ही शुभ कदम है मेरी बहु के..! आते ही लक्ष्मी की बौछार हो गयी.!!"

सृष्टि मन ही मन मुस्कुरा रही थी। "कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं..! सब कितना मान करते हैं मेरा..!! कितना ध्यान रखा जा रहा है मेरा.!!" उसने मन ही मन सोचा।

पूजा-पाठ और सत्यनारायण भगवान की कथा हुई..! उसके बाद मुंह दिखाई की रस्म..! जो भी आता, सृष्टि के रूप सौंदर्य की प्रशंसा करते नही थकता..!! सृष्टि को सिर ढकने की मनाही कर दी गयी थी ! सबका मानना था कि, "जब सृष्टि को सबने देख ही लिया है तो घूंघट क्यों और किसका करवाएं..?"

सृष्टि को घर के एक भी काम को हाथ नही लगाने दिया गया..! सासु मां बोली,"अरे अभी से काम करने की कोई जरूरत नही है तुम्हें..! नया चूड़ा पहना हुआ है तुमने, मेंहदी भी नही उतरी तुम्हारी ! तुम बैठो इतने लोग हैं सब काम हो जाएगा..!"

पहली रसोई में भी सिर्फ खीर बनाई उसने! खीर भी क्या बनाई, दूध पहले ही गर्म किया जा चुका था, चावल भिगो लिए गए थे ! सारे सूखे मेवे कतर कर रखे जा चुके थे.!

जब खीर तैयार हुई तो उसकी बड़ी ननद ने खीर कटोरी में परोसी और सृष्टि ने सबको ले जाकर दे दी.!

खीर खाकर सबने सृष्टि को खूब सारे आशीष और नेग दिए..! सृष्टि ने पैर छूकर सबका आशीर्वाद लिया।

प्रतीक जैसा पति और इतने अच्छा ससुराल पाकर सृष्टि धन्य हो गयी थी..!! क्योंकि जब सृष्टि की सगाई हुई तब वो एमबीए कर रही थी.! फर्स्ट ईयर में ही थी..! ससुराल वाले खुले विचारों वाले लोग थे ! उन्होंने साफ कह दिया था,"सृष्टि आराम से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती है हमे कोई समस्या नही..! हम लोग इसकी पढ़ाई पूरी होने के बाद भी शादी कर सकते हैं.! हमारी ओर से कोई जल्दबाज़ी नही होगी, आप निश्चिंत रहिए..!"

और हुआ भी वही दो साल तक रुके सृष्टि के ससुराल वाले।

एमबीए पूरा होते ही सृष्टि के पास जॉब आफर आने लगे..! क्योंकि उसने कॉलेज में टॉप किया था..! एक अच्छी कंपनी से उसे जॉब ऑफर की गई..! सृष्टि ने प्रतीक और अपने ससुराल वालों से जॉब करने की इच्छा जताई तो सब लोगों ने सहर्ष ही स्वीकृति दे दी..! सृष्टि के साथ उसके घरवाले और रिश्तेदार, आस पड़ोसी सभी प्रतीक और उसके घरवालों की तारीफ करते नही थकते थे।

शादी के बाद आज तीसरा दिन था सृष्टि को उसके ससुराल में। सुबह जब सृष्टि सो कर उठी तो उसे कमर और पैरों में दर्द हो रहा था.! सृष्टि को समझते देर नही लगी कि उसका मासिक धर्म आने वाला है..! लगभग घण्टे भर बाद सृष्टि को ब्लीडिंग स्टार्ट हो गयी।

सृष्टि नहा कर आयी और तैयार हुई। उसने सोचा, "मम्मी को बता देती हूँ..!" पर उसे अजीब सी फीलिंग हो गयी थी ! पेट दर्द, कमर दर्द हो रहा था..!

सृष्टि नीचे पहुंची और अपनी बड़ी ननद को बताया..! दीदी ने हैरानी से सृष्टि को देखा.! उन्होंने कहा,"भाभी जब आपको पता था कि आपकी डेट्स आने वाली हैं तो आपको दवाई ले लेनी चाहिए थी ना.! ऐसे में तो पूजा पाठ सब मे दिक्कत होगी अब..!!"

सृष्टि थोड़ी अचंभित हुई। उसे लगा दीदी कहेंगी,"कोई बात नही..ये तो आम बात है मगर उन्होंने कुछ और ही कहा।

सृष्टि ने उनसे कहा,"दीदी मुझे नही पता था मैं इतनी जल्दी हो जाऊंगी ! अभी तो समय था पर पता नही कैसे हो गयी.! और दवाई लेने से बाद में प्रॉब्लम होती है इसलिए नही ली.!! और अब तो पूजा-पाठ हो चुका है ना..!!"

दीदी सृष्टि को बिना कुछ कहे चली गयी। उन्होंने दादी और मम्मी को जाकर बताया। सृष्टि दूर से ही देख रही थी। मम्मी और दादी दोनो ही परेशान हो गयी.!

दादी की नज़र सृष्टि पर गयी तो सृष्टि उन्हें देखकर आशीर्वाद लेने उनके पास पहुंची..!! सृष्टि जैसे ही पैर छूने के लिए झुकी दादी एकदम से पीछे हटकर बोली,", मैंने नहा लिया है..! दूर से ही आशीर्वाद ले लो.!!"

सृष्टि ने आश्चर्य से दादी को देखा.! सृष्टि जैसे ही मम्मी के पैर छूने के लिए बड़ी मम्मी ने पहले ही आशीर्वाद दे दिया.!!

सृष्टि को अच्छा नही लगा ये ! पर वो कहती क्या..??

थोड़ी देर बाद सब लोग नीचे हॉल में आ गए !! सृष्टि वहीं खड़ी थी ! प्रतीक ने उसे बैठने को कहा। जैसे ही सृष्टि सोफे पर बैठने लगी, सासू मां ने टोक दिया। "अरे सृष्टि बेटा, वहां तुम्हारे पापाजी बैठ जाएंगे !" सृष्टि बैठते-बैठते रुक गयी ! दादी ने उसे इशारों में खड़े रहने को कहा। सृष्टि वहीं पास में खड़ी हो गयी !

दीदी चाय लेकर आ गयी ! उन्होंने सबको चाय दी और ट्रे बीच मे टेबल पर रख दी ! फिर उसमें से एक कप उठाकर सृष्टि को दे दिया..! सृष्टि को ये भेदभाव लगा.! क्योंकि सबको ट्रे से चाय दी गई और उसका कप अलग उठाकर दिया गया !!

खैर उसने चुप रहना बेहतर समझा..!नई थी वो अभी वहां! उसे वहां के नियम कायदे मालूम ना थे ! सृष्टि ने बाद में सब पता चल ही जाएगी सोचकर अपने आपको समझा लिया !

सृष्टि के ससुर जी खर्चे का हिसाब किताब कर सबके रुपये देने चले गए ! प्रतीक के दोस्तों ने उससे पार्टी देने को कहा था तो वो भी चला गया !

अब घर मे सिर्फ सृष्टि की दादी सास, सास और ननद थी !!

सृष्टि की दादी सास ने उसे बुलाया ! सृष्टि उनके पास आकर खड़ी हो गयी ! दादी ने कहा,"देखो बहु..ऐसे समय मे ना हमारे घर की औरतें आदमियों से दूर रहती है ! उनकी बराबरी से नही बैठती.! और चाय, खाना-पीना सब वहां पीछे के दालान में होता है ! वहां खूंटी पर एक आसान टंगा हुआ है और अलमारी में बिस्तर रखा हुआ है ! बस वही बिस्तर पर सोना होता है ! जब सात दिन पूरे हो जाये तब उस बिस्तर को धोकर रखना है !! अपने खाने-पीने के बर्तन भी खुद धोने हैं और अलग रखना है बाकी बर्तनों में नही मिलाना है !! ऐसे समय मे नए कपड़े भी नही पहनते ! और ना ही सोफे या पलंग पर बैठते हैं.!! प्रतीक के और तेरे ससुरजी के सामान को, विशेष कर कपड़ों और खाने-पीने की वस्तुओं को बिल्कुल नही छूना है..!! सुबह सबसे पहले ही वहीं पीछे के दालान में जो बाथरूम है वहीं नहाना है.!! कपड़े वही सुखाने हैं! मंदिर और किचन से बिल्कुल दूर रहना है !"

दादी नियम बताए जा रही थी और सृष्टि आवक सी उन्हें देखकर सुने जा रही थी ! उसे तो विश्वास ही नही हो रहा था, इतने खुले विचारों वाले लोग इस विषय मे इतनी पिछड़ी मानसिकता रखते हैं !!!

ऐसे समय मे किचन और मंदिर में ना जाने का नियम तो उसके मायके में भी था ! पर सब लोगो से दूर रहना, अलग ही खाना-पीना और सोना, किसी वस्तु को ना छूना, ऐसा तो नही होता था वहां !

उसके पापा जब खाना खाते तब मम्मी उसे दूर रखती थी, मगर भाई के साथ तो वो थाली में ही खा लिया करती थी ! नये-पुराने कपड़ों का भी कोई नियम नही था.!!

सृष्टि को रोना आ रहा था ! मगर स्वयं पर संयम रखकर सृष्टि ने हाँ में सिर हिलाया और अपना बैग लेकर पीछे दालान वाले कमरे में जाने लगी !

सृष्टि की सास ने दादी से कहा,"माँ जी, अभी तो सृष्टि नई-नई है इस घर मे ! अभी से अगर इतनी सख़्ती रखेंगे अच्छा नही लगेगा उसे !!"

दादी उन्हें डांटते हुए बोली,"नियम, नियम होता है। मैं जब इस घर मे आयी थी तब मैंने भी सारे नियम माने थे! अभी से शुरुआत करेंगे तो ही आदत बनेगी उसकी.!!"

सृष्टि दालान में पहुंची ! अलमारी में कुछ बिस्तर रखे हुए थे ! एक टेबल थी ! और कुछ भी नही ! दीदी एक पानी का जग भरकर रख गयी !

मम्मी आकर बोली,"दीदी तुम्हारे साथ यहीं सो जाएंगी तुम अकेले नही सोवोगी !!"

सृष्टि ने कहा,"पर मम्मी इतने नियम क्यों..? ये तो प्राकृतिक होता है ना एक लड़की के लिए..!"

मम्मी ने कहा," हाँ एक प्राकृतिक क्रिया है पर मासिक धर्म के समय स्त्रियां अपवित्र कहलाती हैं.! और ये नियम सभी ने रखे हैं तो तुम्हें भी रखना होगा !!" मम्मी अपनी बात कहकर चली गयी!!

खाना तैयार हुआ तो सृष्टि को अलग से लाकर दे दिया गया ! ससुर जी ने जब सृष्टि कहाँ है? पूछा तो दादी ने इतना ही कहा,"पीछे बरामदे में है !!" ससुर जी समझ गए।

एक बार तो सृष्टि ने सोचा, मम्मी को कॉल कर सब बता दे ! मगर उसके घरवालों ने समझाया था उसे,"कभी भी कोई भी बात इधर से उधर मत करना ! थोड़ा सोचना, समझना और सहन भी करना !!" बस यही सोचकर रुक गयी वो।

जैसे तैसे दिन निकाला ! रात को खाना खाकर उसने दरी बिछाई फिर उसपर बिस्तर लगाया !!

देर रात प्रतीक घर आया ! उसे लगा, उसका रूम सजा हुआ होगा.!! मगर जैसे ही रूम में पहुँचा, कुछ भी नही था ! सब पहले की तरह ही था !! प्रतीक को आश्चर्य हुआ ! आज घर मे रात्रि जागरण था जहां घर की बाकी महिलाएं देवी-देवताओं के गीत गाती है और और अगले दिन जोड़े से मंदिर ले जाया जाता है धोकने ! पर ऐसा तो कुछ भी नही था !

उसकी हिम्मत नही हो रही थी किस्से और कैसे पूछे..?

प्रतीक ने सृष्टि को मैसेज किया, " कहाँ हो..??"

सृष्टि ऑनलाइन ही मोबाइल पर टाइम पास कर रही थी!! प्रतीक का मैसेज देखते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी ! उसने रिप्लाई किया,"यहां हूँ..बरामदे में.!!"

प्रतीक को आश्चर्य हुआ ! उसने पूछा,"वहां क्या कर रही हो..??"

"आज से ही मेरे पीरियड स्टार्ट हुए हैं! दादी ने कहा है सात दिनों तक यही रहना है..!!"

प्रतीक को समझ आया ! पहले कभी उसकी मम्मी और दीदी भी वहां पर रुकती थी!! प्रतीक ने पूछा," पर तुम वहां क्या कर रही हो यार..? तुम तो नई बहू हो अभी घर की तुम्हें तो यहां होना चाहिए था मेरे पास..!!"

"नियम सबके लिए है प्रतीक ! चाहे नई बहू हो या पुरानी !!"

"तो तुम वहां से कब आओगी..??"

"वैसे तो पांच दिन ही होते हैं पर दादी ने पूरे सात दिन बाद का कहा है !"

अगले दिन सृष्टि के भैया उसे लेने आये !! उसके पहले ही दादी ने कहा दिया था बिस्तर धोकर रखने का। जिस नयी बहु के हाथों में नया चूड़ा और मेंहदी को देखकर काम ना करने को कहा गया था, आज उससे झाड़ू-पोछा और धुलाई का काम भी करवा लिया गया !!

दादी भैया से बोली,"हमारी सृष्टि तो लक्ष्मी है बिल्कुल !! इसके आते ही पोते का प्रोमोशन हो गया, बेटे का भी कारोबार बढ़ गया ! सच में बड़े ही शुभ कदम हैं इसके यहां !!"

सृष्टि अपना बैग लेकर आ गयी !! बाहर पहुँचकर भैया ने सृष्टि से कहा,"एक ग्लास पानी और पिला दे!!"

सृष्टि जैसे ही किचन में जाने के लिए मुड़ी, दादी ने रोक दिया। "अरे तू कैसे लाएगी बहु..? दीदी से बोल दे वो ले जाएगी !!"

सृष्टि का चेहरा उतर गया !! दादी ने सुबह से कई बार रोक टोक दिया था उसे इस चक्कर मे ! यहां मत जाओ, वहां मत बैठो, इसे मत छुओ, उसे मत उठाओ !!

दीदी पानी लेकर आई ! सृष्टि के भैया ने ग्लास लिया! तभी उनका ध्यान शू लेस पर गया, जो खुली हुई थी ! उन्होंने गिलास सृष्टि को थमाकर लेस बांधी और गिलास लेकर पानी पिया !!

दादी के चेहरे से नाराजगी साफ झलक रही थी !!

मायके आकर सृष्टि मम्मी के गले लगकर खूब रोई !!! मम्मी ने पूछा,"क्या हुआ श्री..? किसी ने कुछ कहा क्या वहां..कोई बात हो गयी क्या..??"

सृष्टि ने कहा,"पहली बार सबसे दूर गयी ना तो याद आ रही थी जबकि बहुत ! इसलिए रोना आ गया ! किसी ने कुछ नही कहा! सब लोग बहुत अच्छे हैं मम्मी वहां..!!

शाम को चाय के समय सब लोग हॉल में इकट्ठे बैठे हुए थे!! सृष्टि की भाभी सबके लिए चाय लेकर आई!!

सृष्टि वही सबके साथ ही बैठी हुई थी ! अचानक उसे ससुराल की याद आ गया, जहां उसे एक तरफ रहने को कहा गया था ऐसे समय मे!!

रात को खाने के बाद सृष्टि और उसकी भाभी छत पर टहल रहे थे!! भाभी ने सृष्टि से पूछा,"क्या हुआ दीदी..? आज सुबह से ही देख रही हूँ, कुछ गुमसुम सी लग रही हो..!! सासरे में कोई बात हुई क्या आपके साथ..??"

सृष्टि की अपनी भाभी से गजब की पटती थी..! सृष्टि ने कहा,"मासिक धर्म को लेकर मेरे ससुराल की महिलाओं की सोच बहुत ही पिछड़ी हुई है भाभी..!!"

भाभी ने कहा,"ओह.!! तो वही बात हुई जो मेरे मायके में होती है पीरियड के समय लड़कियों के साथ..!!"

बहुत देर तक दोनो ननद भाभी की चर्चा चलती रही !! मम्मी ने सोने के लिए आवाज़ लगाई ! अगले दिन प्रतीक लेने आने वाला था सृष्टि को!!

सृष्टि के मोबाइल की बीप बजी ! उसने देखा, सैलेरी जमा होने का मैसेज था !! सृष्टि सुबह ही पास के एटीएम से कुछ रुपये निकाल कर लायी !! थोड़ी देर बाद ही प्रतीक आ गया !! सृष्टि की भाभी का एक स्व सहायता समूह था, जिसमे महिलाओ को आत्मनिर्भर बनने का तरीका सिखाया जाता था ! समूह की महिलाएं कुटीर उद्योग वाले कार्य करती थी। जैसे पापड़, अचार बनाना, झाड़ू बनाना, टोकरी,कपड़े के थैले बनाना ..!!

जब प्रतीक आया तो उन्होंने प्रतीक और उसके घरवालों से के बार उनके उद्योग आने को कहा।

प्रतीक ने सबसे विदा ली और सृष्टि को लेकर घर पहुंच गया।

घर पहुंचते ही सृष्टि ने दादी के हाथ मे रुपये रखते हुए कहा,"ये लीजिए दादी शादी के बाद मेरी पहली सैलेरी..!!"

दादी ने रुपये लिए और मंदिर में लेजा कर रख दिये।

अनायास ही सृष्टि के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और साथ ही एक विचार,"अभी दो-तीन दिनों में जो भी सामान मैंने दादी को दिया, या तो दासि ने लिया ही नही या उसपर पानी के छींटे मारकर ही लेती थी!! पर आज तो उन्होंने रुपयों को सीधे हाथ मे लिया जो तो लिया ही, उन्हें मंदिर में भी रख आयी..!!"

सृष्टि ने दादी से कहा, "दादी आज पांच दिन पूरे हो गए! मैं किचन में जा सकती हूँ क्या..??"

दादी थोड़े रूखे स्वर में बोली,"नही !! जब तक सात दिन पूरे नही होते तब तक बिल्कुल नही !! किचन अपवित्र हो जाएगा !!"

सृष्टि सोचने लगी,"हद है मतलब..! मैं भी तो इसी घर मे रह रही हूँ तो क्या घर भी अपवित्र हो गया..? रुपये कागज़ के थे.!! दादी ने सीधे मंदिर में लेजा कर रख दिये क्योंकि वो लक्ष्मी है और लक्ष्मी कभी अपवित्र नही होती !! और बहु को भी तो लक्ष्मी माना था, फिर मैं कैसे अपवित्र हो गयी..??"

शाम को सृष्टि के भाभी का आमंत्रण मिलने से सब लोग उसके समूह को देखने गए !! दादी बड़ी से जायज़ा ले रही थी !! उन्होंने सृष्टि की भाभी से पूछा,"कितनी कमाई हो जाती है तुम्हारी..??"

भाभी के चेहरे पर स्माइल आ गयी !! उन्होंने कहा,"पचास हज़ार के लगभग हर महीने हो ही जाती है दादी..!!"

दादी ने आश्चर्य से उन्हें देखा ! उन्होंने पूछा,"पचास हज़ार..?? पर इतनी सारी महिलाओ का वेतन भी तो जाता होगा न..! कितने दिन के रुपये मिलते हैं जिन्हें..??"

भाभी ने कहा,"हाँ जाता है ना इनका वेतन ! अब इनकी ही कमाई है तो इन्ही को जाएगी दादी !! और रही बात कितने दिन के रुपये की तो ये सब पूरे महीने आती है..सबका काम अलग अलग है उसी के अनुसार रुपये देते हैं इन्हें !!!"

दादी ने देखा, एक महिला बार बार अपना पेट पकड़ रही थी !! उसे देख दादी ने भाभी से पूछा,"उनको शायद पेट मे दर्द है ! छुट्टी दे दो !!"

भाभी ने कहा,"शायद आज उनके पीरियड का पहला दिन होगा..इसलिए !!"

दादी के आश्चर्य की सीमा न रही! उन्होंने कहा,"अरे पहला दिन है तो ये पापड़ क्यों बना रही है और सामानों को हाथ क्यों लगा रही है..सब दूषित हो जाएंगे !!"

भाभी में कहा,"कौन सी दुनिया मे जी रही हैं आप दादी जी...?? अरे पीरियड आना तो एक प्राकृतिक प्रक्रिया है! जिसके आने पर एक स्त्री संपूर्णता को प्राप्त करती है!! पीरियड आने पर नही ना आने पर चिंतित होना चाहिए हमे..!!!

पीरियड आने पर एक महिला अपवित्र या दूषित कैसे हो सकती है..?? हम महिलाएं कोई गंदगी में तो नही रहती हैं ना या गंदे में काम करती है..? जो ब्लड हमारे शरीर से स्त्रावित होता है वो ही तो भविष्य में हमारे गर्भ में पलने वाले शिशु को विकसित स्तर प्रदान करता है..!!

ईश्वर ने महिलाओं को जन्मदाता बनाया है ! जो अपने प्राण संकट में डालकर एक नए मानव को जीवन को प्रदान करती है !!!

और रही बात ऐसे समय मे काम करने की तो दादी, आपके घर मे जो पापड़ आते हैं, आप को थोड़े ही पता होगा वो कहाँ, किस जगह बने हैं किस व्यक्ति ने कौन सी हालात में बनाये हैं..!! हम लोग कहीं खाना खाने जाते हैं, वहां कार्य करने वाली महिलाएं रजोधर्म से तो नही है, ये पूछ कर तो खाना नही खाते ना.!! कभी यदि हम किसी परिचित से मिलने जाते हैं तब भी उस घर की महिला रजोधर्म से है या नही ये पूछ कर तो उसके हाथ से पानी नही लेते..!!

कई बार तो हम परिस्थितियों के वश बाहर इन सब बातों को अनदेखा कर देते हैं..! वैसे ही घर मे भी कर सकते हैं.!!"

दादी के चेहरे से स्पष्ट प्रतीत हो रहा था कि उन्हें भाभी की बातें बिल्कुल नही भायी..! वे चुपचाप वहां से चली गयी।

भाभी मुस्कुराकर रह गयी !

भाभी जे सृष्टि से कहा,"आपकी दादी सास बहुत ही पुरानी विचारधारा वाली महिला है दीदी ! उन्हें तो वही करना है जो वो चाहती हैं..!! उन्हें समझाने का कोई औचित्य नही है !!"

सृष्टि भी मुस्कुरा दी!!

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आवश्यक नही किसी महिला या लड़की के साथ ऐसा भेदभाव ससुराल में ही हो! मायके में भी होता है !! अक्सर कई जगहों पर आज भी लड़कियों के रजोधर्म से होने पर उन्हें हीन भावना की दृष्टि से देखा जाता है!!

आमतौर पर जब महिलाओं के साथ ऐसा भेदभाव किया जाता है तो अमूमन महिलाओ द्वारा ही किया जाता है!!

सही कहते हैं,"महिलाओ की सबसे बड़ी शत्रु स्वयं एक महिला ही होती है..!"

एक और जहां लड़कियों को माता लक्ष्मी की उपाधि दी जाती है वही दूसरी ओर उन्हें अपवित्र भी कहा जाता है !!



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