अपमान
अपमान
एक गाँव था। उस गाँव में एक पाठशाला थी। उस पाठशाला का नाम आदर्श विद्यालय था। पाठशाला में एक गोपाल नाम का लड़का पढता था। गोपाल बहुत जिद्दी था। वह पढाई अच्छे से नहीं करता था। शिक्षक ने बताया गृहकार्य पूरा नहीं करता था और हर रोज़ शिक्षक की डाँट खाता था। गोपाल अपने शिक्षक पर बहुत गुस्सा होता था और हर रोज़ गृहकार्य पूरा नहीं करता था।
एक दिन गोपाल ने सोचा कि मैं पिताजी को बता दूंगा कि मुझे मेरे मास्टरजी मारते हैं, डाँटते हैं। फिर पिताजी शिक्षक को डाँट देंगे। इसके बाद मुझे शिक्षक कभी नहीं डाँटेंगे।
यह सब सोचते-सोचते गोपाल अपने पिताजी के पास पहुँच गया और उसने पिताजी को सब कुछ बता दिया। गोपाल के पिताजी को गुस्सा आ गया और गोपाल के पिताजी गोपाल के साथ स्कूल चले गए। गोपाल अपने कक्ष में चला गया और गोपाल के पिताजी मुख्याध्यापक के पास चले गए और वहाँ जाकर कहने लगे कि आपके स्कूल में हम, हमारे बच्चे पढ़ने के लिए भेजते हैं ना की डाँट और फटकार खाने के लिए।
यह सब सुनकर मुख्याध्यापक ने उन्हें शांत होने के लिए कहा और पूछा कि क्या हुआ। उस पर गोपाल के पिताजी ने कहा कि आपके स्कूल मे मेरे बेटे को एक मास्टरजी हर रोज डाँटते हैं।
यह सब सुनकर मुख्यध्यापकजी ने उस शिक्षक का नाम बताने के किए कहा। तब गोपाल के पिताजी ने उन्हें मास्टरजी का नाम बताया। उन्होंने उन्हे बुला लिया और उनसे यह सब करने की वजह पूछी।
"आप हमेशा गोपाल को क्यों डांटते हो ?"
यह सुनकर शिक्षक ने कहा, "मै उसे बेवजह नहीं डाँटता हूँ। आप गोपाल से वही सवाल पूछिए जिन पर मैंने उसे डाँटा था।"
और वही सवाल गोपाल को पूछे गए और गोपाल ने उनके सही सही जवाब दे दिए।
खुद उसे उस बात का आश्चर्य हुआ कि उसने सभी सवालों के सही सही जवाब दिए। तब गोपाल को अपनी गलती का एहसास हो गया। गोपाल ने मास्टरजी से माफी माँगी और कहा,"मैं अबसे अच्छे से पढ़ाई करूँगा।"
