अनोखा रक्षाबंधन
अनोखा रक्षाबंधन
सुबह से घर मे चहल पहल थीं। शादी के बाद ननद रानी रक्षाबंधन पर पहली बार घर आ रही थीं तो सुभद्रा ने पूरा घर सिर पर उठा रखा था। जाने कितनी बार तो वह सिर उठाकर घड़ी में समय देख चुकी थीं। उषा के आने में अभी काफी समय था लेकिन सुभद्रा को तो जैसे एक-एक पल भारी पड़ रहा था। कभी वह रसोई में जाकर बन रहे पकवानों की जांच करती तो कभी घर में चल रहे सजावट के काम को बारीकी से जांचते हुए उसमें कमी निकलने पर नौकरों पर झल्लाहट निकाल देती।
ललित भी अपनी बहन के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थें। शादी के बाद इस घर मे उसका पहला रक्षाबंधन था। ललित कभी दरवाजे पर जाकर रास्ते पर नजरें जमाते तो कभी घबराहट में इधर से उधर चक्कर लगाने लगते।
उषा अपनी शादी के बीस साल बाद इस घर में कदम रख रही थीं।