अनमोल धन
अनमोल धन
गांव कस्बा शहर एवं पूरे राज्य में रेडियो टीवी अखबार और रिक्शे पर एम्पलीफायर लगा कर आने वाले तूफान की चेतावनी दी जा रही थी। लोगों के जान माल की रक्षा हेतु अनेक उपाय किये जा रहे थे। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा था। समस्त शासन प्रशासन एवं आपदा प्रबंधन के दल, दिन रात मुस्तेदी से काम कर रहे थे। रेल, हवाई एव सड़क मार्ग को यथा संभव सचेत कर दिया गया था। मछुआरों को समंदर में न जाने के सख्त आदेश दिए जा चुके थे।
आज दोपहर से ही तेज़ हवाएं चल रही थी। ये आने वाले तूफान की दस्तक थी शाम होने से पहले सूरज ओझल हो चुका था पूरे आसमान में धूल का गुब्बार छा गया था। बड़े छोटे पेड़, बिजली के खम्बे, होर्डिंग सब तेज़ हवाओं के कारण गिरने लगे। टीन छप्पर वाले कच्चे घरों में रहने वाले लोगों में भय व्याप्त था, समझ नहीं आ रहा था अपने छोटे से झोंपड़े और कुटिया में रहें या अपना जीवन चलाने के इन साधनों को छोड़ कर अन्यत्र शरण लें।
पति के मरने के बाद जूनी अपने एक मात्र पुत्र बाला के साथ ऐसी ही कच्ची कुटिया में रहती थी। मकान बनाने वाली मजदूर के रूप में काम करके दोनों का गुजारा हो रहा था। जूनी और अन्य सभी मजदूर आज जल्दी अपने अपने घरों में लौट गए। बारिश शुरु हो गई। धीरे धीरे तूफान भयानक रूप लेने लगा, बारिश भी तेज़ होने लगी देखते ही देखते पानी का सैलाब नजर आने लगा चारों तरफ पानी ही पानी और तबाही का मंजर दिखने लगा। जूनी और बाला को भी डर लगने लगा।
पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा था तूफानी हवाएं और भयंकर बारिश के कारण बिजली भी जा चुकी., चारों तरफ घना अंधेरा छा गया उनकी कुटिया के चारों तरफ पानी ही पानी, मौत सामने नजर आने लगी कुछ समझ नहीं आ रहा था अब क्या होगा। आखिरकार जूनी ने हिम्मत करी और बाला को लेकर निकल पड़ी कमर तक पानी आ चुका लेकिन अपने बाला का हाथ कस के पकड़े हुए आगे बढ़ती रही और एक निर्माणाधीन भवन में शरण ली।
भयंकर तूफान तेज़ बारिश और ठंड के कारण दोनों का बहुत बुरा हाल था लेकिन जूनी ने बड़ी हिम्मत और हौसले से अपने बच्चे को उस संकट से निकाल लिया और वहां पड़े लकड़ी के कुछ टुकड़े और रद्दी कागज़ एकत्र करके अलाव के रूप में जला दिए तो जलती अग्नि में हाथ तापते हुए मासूम बाला के चेहरे पर मुस्कान फैल गई।
हर संकट और आपदा से बचाने वाली उसकी माँ जो उसके साथ थी, यही तो उसका जहान थी उसे और क्या चाहिए था। अपने बच्चे के चेहरे पर मुस्कान देख कर जूनी भी मुस्कुरा दी अब उसे अपनी कुटिया और सामान की कोई चिंता नहीं थी बस उसका तो अनमोल धन उसके साथ था।