अंधा प्यार
अंधा प्यार
सृदुल का नाम लोगों क़ी मदद के लिए जाना जाता है, 25 साल क़ी उम्र में ही उसने अपनी ग्रेजुएशन और MBA की डिग्री हासिल कर ली, उसके पापा क़ा एक जनरल स्टोर था, घर का खर्चा अच्छा खासा चल जाता था, उसे कभी नौकरी करने क़ी जरूरत नहीं पड़ी, उसने भी दुकान में अपने पापा की हैल्प करना शुरू कर दिया l कुछ सालों में उसने दुकान को बढ़ाना शुरू कर दिया और फिर उसकी कमाई भी बढ़ने लगी, उसने अपनी दुकान में हर चीज रखनी शुरू कर दी, धीरे धीरे बढ़ती दुकान के साथ उसकी इनकम भी बढ़ने लगी l
दुकान के साथ ही उसने कुछ मजबूर लोगों क़ी हैल्प करने क़ी सोची, हप्ते में एक दिन छुट्टी करके वह मजबूर लोगों क़ी हैल्प किया करता था I हैल्प करने का तरीका कुछ अलग ही था, वह धूमने के लिए अपने दोस्तों के साथ निकलता और जो भी उसे रास्ते में कोई मजबूर इंसान दिखता उसकी मदद कर देता जैसे कोई बुजुर्ग फल वाले के सारे फल खरीद लेता l किसी गरीब महिला को शब्जी बेचते देख लिया तो उसकी सारी सब्जी खरीद लेता, कभी कोई अपाहिज व्यक्ति देख लिया तो उसे घर तक छोड़ देता, अपने दोस्तों को कभी भी हैल्प कर देना l लेकिन उसकी ये आदत उसे बड़ा आनंद देती थी, अंधे, लूले, लंगड़े क़ी मदद करना उसकी आदत ही बन गई थी l
दूसरी ओर एक लड़की थी कंगना बहुत सुन्दर थी, लेकिन बड़ी चलाक थी, रोज कुछ न कुछ उल्टे पुल्टे काम करती थी, 22 साल की उम्र में ही अपनी ग्रेजुएशन कर चुकी थी, पर उसका बचपना नहीं गया था, रोज लोगों को परेशान करना उसका काम था l
एक दिन सृदुल घूमने निकला था उसे रास्ते में एक अंधी लड़की मिली, बस स्टैंड के पास बैठी बड़ी देर से बस का इंतजार कर रही थी, बहुत सारे लोग स्टैंड में आये मगर किसी ने भी उसकी मदद नहीं की, वह इशारा कर रही थी पर वो चाहती थी उसे कोई बस में बिठा दे, जैसे ही बस आती लोग फटाफट बस में चढ़ जाते मगर उस अंधी लड़की पर किसी ने ध्यान नहीं दिया l
सृदुल अपनी बाइक रोक के बड़ी देर से उसे देख रहा था, दिखने में सुन्दर थी, आँखों में काला चश्मा, उसकी मदद के लिए आगे बड़ा उसे पूछा
"कहाँ जाना है आपको"
जब उसने बताया तो बस रोक कर उसे बस में बिठा दिया l
एक हफ्ते बाद फिर से वही लड़की बस स्टैंड पर मिली तो उस दिन सृदुल ने पूछ लिया
"कहाँ जाना है"
ज़ब उसने बताया तो सृदुल ने उसे अपनी बाइक से घर तक छोड़ दिया, और बाहर से ही वापस चला गया, इस तरह से दोनों की जान पहचान बढ़ने लगी, सृदुल ज़ब बात करता तो उससे जरुर पूछता था, "अंधापन बचपन से है या अचानक हुआ"
लड़की ने बस ऐसी ही कहानी बना के टाल दिया, दिखती बहुत सुन्दर थी पर सृदुल को उससे एक लगाव सा हो गया, वह अक्सर उसके आँखों के इलाज की बात करने लगता, उस लड़की को भी लगा कि इतने सारे लोग उसे मिलते हैं और मदद भी करते हैं लेकिन मदद करके लोग साइड हो जाते हैं, अंधों की जितनी मदद होनी चाहिए बस सिर्फ इतने तक मतलब रखते थे, किसी ने भी ज्यादा करीब आना, पर्सनल हाल चाल पूछना, इस तरह किसी से नहीं पूछा, लेकिन सृदुल में कुछ तो बात है,
एक दिन लड़की ने सृदुल से पूछ ही लिया, "आप मेरी मदद क्यों करते हो"
तब सृदुल ने आख़िर राज खोल दिया, उसकी लोगों को मदद करने की आदत है'
सृदुल बोला "लेकिन आप से मिलना मुझे अच्छा लगता है"
तब लड़की बोली, "आपको पता है एक अंधी लड़की से कोई मतलब नहीं रखता, "क्या जिंदगी भर ऐसे ही रहोगे या फिर बदल जाओगे"
सृदुल बोला "मैं हमेशा ऐसा ही रहूंगा, और आपकी मदद भी करता रहूंगा"
ये अंधी लड़की कंगना ही थी जो अंधा बनकर लोगों को परखती रहती थी मगर इस परख में वह सृदुल से प्रभावित हो चुकी थी, अब उसे बताना चाहती थी पर कैसे बताये, उसे डर था कहीं उसके लिए राज खोलना भारी न पढ़ जाए, उसे ये भी विश्वास था कि जो इंसान एक अंधी से इतना लगाव रखता है वो दिल का कितना अच्छा होगा l..........
एक दिन जब अंधी लड़की बस स्टेंड में नहीं मिली तो सृदुल बहुत बेचैन हो गया, कंगना वहीं बैठी थी पर सृदुल पहचान नहीं पाया क्योंकि उसकी पोशाक बदली हुई थी, काला चश्मा हटा हुआ था स्टैंड में बैठी थी पर सृदुल की ओर बिलकुल भी ध्यान नहीं था l
सृदुल बार बार उसकी ओर देखता और फिर इधर उधर देखने लगता, बड़ा कंन्फूज़ करने वाली सिचुएशन थी, आखिर कौन पहल करे,
ज़ब कंगना को लगा कि अब सृदुल जाने लगा था, पीछे से रोक कर बोली "ओय हैलो, किसको ढूंढ़ रहे हो इतनी देर से"
सृदुल बोला, " एक अंधी लड़की यहां पर आती थी क्या चली गई वो? "
लड़की बड़ी हिम्मत से बोली "क्या मतलब है उससे, चली गई होगी",
सृदुल बोला "हो सकता है पर वो हमेशा मेरा इन्जार करती थी"
"कैसी दिखती है" कंगना बोली
सृदुल बोला "'बिलकुल आप जैसी ही दिखती है"
"अब नहीं आएगी वो कल से" कंगना बोली,
"क्यों"? सृदुल सरप्राइजिंग मूड में बोला
"क्योंकि वो लड़की मैं ही हूं" बड़ी हिम्मत करके बोली
"ओह माई गॉड! ऐसा कैसे हो सकता है" सृदुल बोला
"हाँ मैं तुन्हें परख रही थी" कंगना बोली
"यू आर रियली ग्रेट यार क्या एक्टिंग करती हो" सृदुल खुशी जाहिर करने लगा,
"लेकिन अब ये बताओ कि वो ज्यादा अच्छी थी या मैं" कंगना बोली,
"सच बताऊ तो वो ही अच्छी थी" सृदुल बोला
इस तरह से दोनों का यह इंसिडेंट प्यार में बदल गया
और प्यार रिश्ते में, अब दोनों ही मिलकर एक मॉडर्न स्टोर चलाते हैं और दोनों बहुत ख़ुश हैं l
