अमर उजाला
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" गुरूजी दस साल हो गये शादी को अभी तक गोद नहीं भरी, मेरी जरा हस्त रेखाएं देखकर बताएं कि मुझे माँ बनने का सुख मिलेगा या नहीं " विधि ने अपनी हथेली ज्योतिष्चार्य विक्रम के सामने फैलाते लगभग गिङ़गिङ़ाते हुए कहा।
" देखो, मेरी समझ और गणना के अनुसार तो आपको मातृत्व सुख जरूर मिलेगा "।
" पर कब तक गुरूजी " , अधीर होते हुए विधि ने पूछा।
" गुरूजी क्या हम सरोगेसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें या फिर..... " गुरूजी के बोलने से पहले ही राहुल ने पुछा।
" देखो, ये तुम लोगों का निजी मामला है पर मेरी मानो तो किसी छोटे अनाथ बच्चे को गोद ले लो , आपको माता - पिता का सुख मिल जाएगा और बच्चे को माँ - बाप का प्यार...." ज्योतिष्चार्य विक्रम ने अपनी बात रखी।
" पर गुरूजी धर्म , जाति, संस्कार..." राहुल ने आशंका व्यक्त की।
" देखो भाई , बच्चे तो भगवान का रूप होते है।धर्म, जात तो हम इंसानों ने बनाए हैं ।कृष्ण की माँ देवकी हो या यशोदा इससे कृष्ण को क्या फर्क पङ़ता है "।
" बिल्कुल सही गुरूजी, आप सही कह रहे हैं , धर्म , जाति जैसे ढकोसलों पर मैं विश्वास नहीं करती और संस्कार देना तो हमारी जिम्मेदारी है । इस बार दिवाली में हमारे घर भी अमर उजाला होगा।मैं किसी अनाथ बच्चे को ही गोद लूँगी " विधि ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा।
" बिल्कुल विधि, हम जल्दी ही मम्मी, पापा बनेंगें " ।
" आपके लिए जल्दी ही मिठाई लेकर हाजिर होता हूँ गुरूजी " कहते हुए राहुल और विधि उठ खङ़े हुए।
" खुश रहो मेरे बच्चों , तुम्हारा घर हमेशा अमर उजाले से आलोकित रहे ", कहते हुए गुरूजी ने दोनों के सर पर आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ धर दिया।