अकेलापन
अकेलापन
पैसे इंसान क्या कुछ नहीं करा देता। पैसे हो तो इंसान लाइफ में बहुत कुछ हासिल कर लेता है. ऐसा ही कुछ आजकल हर जगह देखने को मिल रहा है. बुजुर्ग लोग के साथ समय बिताना दिन पर दिन उनके बच्चे,बहू अपना समय नष्ट समझ रहे हैं, सोशल फंक्शन में उनके दिखावे की जरूरत पूरी करने के लिए वह पैसे देकर उनकी देखभाल के लिए लोग खरीद लेते हैं अपनी जिम्मेदारी को पैसे से खरीद तो सकते हो पर क्या यह इंसानियत है काश पैसे से मां की ममता, पिता का स्नेह, बहनों का प्यार, मित्रों का सौहार्द मिल पाता !
परंतु समय सदैव एक जैसा नहीं रहता है। आज मानव मानवता धर्म नहीं स्वयं निर्मित धर्म पर चलना चाहता है नतीजा आपके सामने है घर मे ही सब एक दूसरे के दुश्मन बने बैठे है।
