STORYMIRROR

अहमियत

अहमियत

3 mins
750


सुबह से एक सोच में पड़ गई थी मैं। वही सोच बार-बार दस्तक देने लगी दिमाग के दहलीज पर खड़े होकर ! कल एक बचपन की सहेली का फोन आया। उसकी लड़की के जन्मदिन पर निमंत्रण !

सोचने लगी क्या तोह्फा ले जाना। महीने की आखिरी तारीख और मेरे पति कहीं गए हुए काम पे। दो दिन के बाद आने वाले। घर में दो सौ रुपये रह गए मेरे पास। उस से क्या खरीदना। वो सहेली ठहरी खूब पैसे वाली ! बहुत सोचने के बाद एक अंतिम निर्णय पर आ गई मैं।

कुछ दिन पहले मेरी बेटी सरिता के लिए उसके बापू एक खूबसूरत गुड़िया खरीद कर लाए, बीस दिन के बाद आने वाली जन्मदिन पर उसे देने के लिए। बहुत खुश हो गई सरिता और संभाल के अलमारी में रखी बहुत जतन से। ख्वाब देखने लगी कि अपनी जन्मदिन पर गुड़िया से खूब खेलने की।

मैंने निर्णय ले लिया कि उसी गुड़िया को गिफ्ट पैक करके सहेली की बेटी को तोह्फा देने की और ये बात साफ साफ कह भी दिया सरिता को। वे रोने लगी, चिल्लाने लगी, छटपटाने लगी मगर उसे समझा के, तैयार कर के शाम को चल पड़ी सहेली के घर।

वहाँ का माहौल ही कुछ अलग था। शहर के बहुत अमीर लोग के थे ! मेरी सहेली के पास बिलकुल समय नहीं था दो बातें करने का। वो बहुत खास लोगों के आगे-पीछे घूम रही थी !

बस, मैं तोहफा उसकी बेटी के हाथ में रखकर, हम दोनों खा पीकर घर वापस चले गए। दर्द ने आहिस्ता-आहिस्ता घनी रात की तरह घेर लिया मन को। सो न सकी, न मेरी बेटी की आँखों से नजर मिला सकी। लग रहा था बहुत बड़ी गलती की मैंने।

दो दिन के बाद आँगन में बैठ कर फूलों का गज़रा बना रही थी। मेरी काम वाली बाई कोई गाना गुनगुनाते आ रही थी। उसके हाथों में वही गुड़िया ! मेरी तो जान निकल गई।

पूछा उससे कहाँ मिली वो गुड़िया। उसने कहा कि उसके भाई को एक पैसे वाली अम्मा ने दिया, जिनके घर में वो काम करता है, फिर उसके भाई ने अपनी भतीजे के लिए दे दिया उस गुड़िया को। मुझे आगे की बात कुछ भी नहीं सुनाई दे रही थी। मैंने अचानक पूछ लिया "मंगा ! ये मुझे बेचोगी ? मेरे पास सिर्फ दो सौ रुपये है।

"वो बात सुनते ही मंगा खुशी के मारे नाचने लगी ! उसने कहा "हाँ हाँ अम्मा। ले लो। हमें क्या लेना-देना ऐसी चीजों से। दो सौ में चार दिन का अच्छा खाना मिलेगा मेरे बच्चों को। "ये कह कर पैसे लेकर खुशी-खुशी वह चली गई। धड़कते दिल को संभालते हुए गुड़िया को हाथ में लिया मैंने । उसका मासूम चेहरा देखकर आँख भर आई मेरी।

रात भर सोचने लगी कि लोगों की अहमियत कितनी अलग-अलग होती ! मेरी सहेली केलिए गुड़िया एक रद्दी है, मंगा के लिए दो दिन का खाना, मेरे लिए ये अमूल्य धन !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama