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Manish Bhardwaj

Inspirational Others

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Manish Bhardwaj

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अगर आपको बहुत गुस्सा आता है

अगर आपको बहुत गुस्सा आता है

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एक बार की बात है एक राज्य में राजा का दरबार लगा था और सर्दियों के दिन थे इसलिए दरबार खुले में धूप में लगा हुआ था सब लोग बैठे हुए थे दीवान थे मंत्री थे राजा के पंडित थे राजा के परिवार के लोग थे हर कोई बैठा हुआ था।

 राजा साहब के सामने एक मेज रखवा दी गयी थी तभी अचानक से भीड़ में से एक आदमी बहार आता है और कहता है की मुझे राजा साहब से मिलना है मेरे पास में दो चीजें हैं जिनकी मैं परीक्षा लेना चाहता हूँ राजा साहब तक बात पहुँचायी गयी।

राजा साहब ने बोला आने दीजिये उस आदमी को दरबार में आने की इजाजत दी गयी जो की खुले में लगा हुआ था राजा के सामने में वो व्यक्ति पहुँचा इजाजत ले कर के राजा साहब ने कहा,

बताओ बात क्या है। उस इंसान ने कहा मेरे पास में दो चीजें है एक जैसी दिखने वाली एक जैसे आकर की बिलकुल एक जैसी लेकिन इन में से एक हिरा है और एक कांच है। लेकिन मैं कई राज्यों में गया हूँ कई राजाओं से मिला हूँ लेकिन कोई भी ये नहीं बता पाया की कौन सा असली है और कौन सा नकली है। आपकी भी परीक्षा लेना चाहता हूँ और मैं जानना चाहतों हूँ की आपके दरबार में कोई बुद्धिमान है जो ये बता सके और अगर आपके राज्य में किसी ने बता दिया तो हीरा आपके राज्य के खजाने में जमा करवा दूँगा और अगर नहीं बताया तो इस हीरे की जो कीमत है वो आपको मुझे देनी होगी, बस ऐसे ही मैं जीतता चला आ रहा हूँ। राजा साहब ने कहा ठीक है लाया जाए राजा साहब के सामने जो मेज रखी हुई थी उस पर उन दोनों चीजों  को रखा गया, एक हीरा था और एक नकली हीरा था। राजा साहब ने कहा अपने दीवानों से मंत्रियों से सब लोगों से कहा एक एक कर के आइये और बताइये कुछ लोगों ने हिम्मत की और कुछ लोगों ने सोचा की अगर राजा साहब हार गए तो उल्टा दोष हम पर आ जाएगा तो लोग आगे नहीं आएं। 

राजा साहब को भी समझ में नहीं आ रहा था की यहाँ तो हार उनकी होती जा रही है। तभी भीड़ में से एक अंधे बाबा बहार निकल कर के आए और उन्होंने कहा की

मुझे राजा साहब से मिलने दिया जाए मैं एक बार कोशिश करना चाहता हूँ। राजा साहब तक बात पहुँचाई गयी की एक अंधे बाबा है वो आना चाहते है वो भी एक बार कोशिश करना चाहते हैं। राजा साहब ने कहा ठीक है जब कोई मान नहीं रहा कुछ हो नहीं रहा है तो इनको भी एक बार मौका दिया जाए। वो अंधे बाबा आगे आए और एक मिनट में उन्होंने बता दिया की असली हिरा कौन सा है और नकली हीरा कौन सा है हर कोई चौंक गया हर कोई खुश हो गया सब बोलने लगें क्या बात है राजा का सम्मान बच गया, राजा के राज्य में नया हीरा आ गया हीरे को तिजोरी में जमा करने की तैयारियाँ होने लगी। लेकिन इस सब के बीच में राजा साहब ने पूछा बाबा एक बात तो बताओ अपने पहचाना कैसे बूढ़े बाबा ने कहा बहुत आसान था हम खुले में बैठें है, धूप में बैठे हैं जो धूप में गरम हो गया वो कांच और जो ठंडा रह गया वो हीरा। इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है की जिंदगी में हम छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं नाराज होते है। अपनों से नाराज होते हैं और हमारी जिंदगी से दोस्त कम होते चले जाते है अपने कम होते चले जाते है रूठते चले जाते हैं। जिसने जिंदगी में आपा नहीं खोया, विपरीत परिस्थितियों में भी खरा रहा ठंडा रहा वही जीता है वही सिकंदर कहलाता है।  


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