गलत संगति
गलत संगति
ये कहानी है मनीष नाम के लड़के की जो माध्यम वार्गिय परिवार में पैदा हुआ जो 12 क्लास तक टॉप करता जा रहा था। कमाल का बच्चा पढ़ने लिखें में सबसे आगे फॅमिली को उस पर गर्व था।
फॅमिली को लगता था की ये बचा जब बड़ा हो जाएगा तो कुछ कमाल करेगा हम लोगों की जिंदगी बदल देगा हमारी फॅमिली में खुशियां आ जाएगी सब कुछ बदल देगा सिर्फ और सिर्फ ये लड़का।
लेकिन वे लड़का जब 12 क्लास पास कर के कॉलेज में गया तो उसकी लाइफ बदल गयी उसके आस पास ऐसे दोस्त आ गये जिन्होंने उसे बिगड़ के रखा दिया देर रात तक पार्टी चलने लगी घर वालों से झूठ बोल कर के पैसा मंगाने लगा।
घर वालों को समझ में आ रहा था उन्होंने एक दिन उसे समझाने की कोशिश की लेकिन मनीष ने घर वालों को डांट दिया की आप मुझे ज्ञान मत दीजिये मुझे सब कुछ मालूम है और आपकी ज्ञान से बात नहीं बनेगी आप शांत रहिये मैं अपनी जिंदगी सही से जी लूंगा।
घर वालों ने कुछ नहीं बोला। एक साल के बाद में जब रिजल्ट आया तो मनीष एक सब्जेट में फ़ैल हो गया और जहां ये फ़ैल होने वाली बात आई वही ये बात इसके ईगो को हर्ट कर गयी की जो लड़का 12 तक टॉप करता आ रहा था
वो कॉलेज में जाते ही फ़ैल कैसे हो सकता है और ये जो फ़ैल होने वाली बात थी इसके मन में इसके दिमाग में इतना घर कर गयी की ये घर में बंद हो गया एक कमरे में रहने लग गया घर वालों से बात करना बंद कर दिया दोस्तों के फ़ोन उठाना बंद कर दिया यहाँ तक की बहार आना जाना बंद कर दिया।
मनीष धीरे धीरे डिप्रेशन का शिकार हो रहा था। उसे लग रहा था की उसकी लाइफ में यही पे ब्रेक लग जाएगा सब कुछ ख़त्म हो जाएगा।
मनीष जिस स्कूल में पढ़ता था जहां से 12 पास की थी वहाँ के प्रिंसिपल को ये बात जब मालूम चली तो उन्होंने मनीष को अपने से मिलने के लिए बुलाया डिनर पे बुलाया वो इनविटेशन ये मना नहीं कर सकता था उसे मानना ही था।
प्रिंसिपल के पास जाना था तो मनीष पहुंचा शाम में और इसने देखा की प्रिंसिपल साहब बगीचे में बैठे हुए थे अंगेठी पे हाथ ताप रहे थे सर्दी का माहौल था ये भी जा कर के वह बैठ गया सर ने पूछा क्या हल चल है बेटा तो मनीष ने कुछ नहीं बोला 10-15 मिनट तक उन दोनों के बीच में बात चित नहीं हुई तो प्रिंसिपल साहब ने सोचा की क्या अलग किया जाए।
उन्होंने अंगेठी में एक एक कोयले का टुकड़ा जल रहा था और धधक के हुए टुकड़े को मिट्टी में फेंक दिया जैसे ही उसे मिट्टी में फेंका थोड़ी देर तो धधका और उसके बाद बुझ गया।
तब मनीष ने बोला ये आपने क्या किया जो कोयले का टुकड़ा अग्नि में धधक रहा था हमें गर्मी दे रहा था उसे बहार मिट्टी में फेंक दिया बर्बाद कर दिया,
तो प्रिंसिपल ने कहा की बर्बाद कहाँ कर दिया कौन सी बड़ी बात हुई वापस इसको ठीक कर देते हैं। उन्होंने उस कोयले के टुकड़े को उठाया उस मिट्टी से और वापस से उसे अंगेठी में डाल दिया वापस से वो थोड़ी देर बाद धधकने लगा गर्मी देने लगा तो प्रिंसिपल ने कहा बेटा कुछ समझ में आया मनीष ने कहा नहीं तो फिर प्रिंसिपल ने कहा बेटे मैंने तुम्हें यही समझने के लिए यहाँ बुला रहा था।
ये जो कोयले का टुकड़ा है ये तुम हो , तुम जब अंगेठी से हबर आए गलत संगति में गए मिट्टी में गए तो बुझ गए लेकिन वापस से आ कर के जल सकते हो लेकिन शर्त ये है की अब अंगेठी में वापस आना होगा अपनी लाइफस्टाइल बदलनी होगी अपने दोस्त बदलने होंगे बस इतनी सी बात तुम्हें समझाने के लिए यह बुलाना चाहता था मनीष को सारी बात समझ में आ गयी उसकी लाइफ बदल गयी।
