lalita Pandey

Tragedy

2.6  

lalita Pandey

Tragedy

अग्निपरीक्षा शादी से पहले

अग्निपरीक्षा शादी से पहले

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 रिया तुम आ गई, रिया आ गई, रिया आ गई। सब पड़ोस की औरतें आपस में फुसफुसा रहीं थी। ये देख रिया समझ गई। आज फिर कोई रिश्ता आया हैं। वो अन्दर ही अन्दर चिढ़ रही थी। माता-पिता के आगे चुप थी। वो घर पहुँची तो माँ द्वार पर खड़ी थी। रिया रूको पीछे वाले द्वार से अन्दर आओ। रिया चुपचाप चली गई। रिया एक पढ़ी-लिखी सुन्दर नवयुवती है। उसका इस साल एम.ए फाइनल है। वो ऐसे ही जा रही थी, माँ बोली जरा हाथ-मुँह धो लेना, अच्छे से तैयार होकर आना ,रिया तब भी चुप थी। आखिर बोलती भी क्या,आखिर 15,16 अब तो याद भी नहीं, उसे कितनी बार लड़के वाले, ना कर के चले गये। रिया शीशे के आगे खड़े होकर खुद को निहारती, कभी अपने बालों को, कभी आँखो को, कभी गर्दन, कभी पैर सब कुछ तो ठीक है, फिर हर बार लोग मना कर के चलें जाते हैं। क्या कमी हैं मुझ में जो हर बार मुझे नाप-तौल के चलें जाते हैं। अच्छी खासी तो हूँ, रिया अपना आत्मविश्वास जगाती है,अश्रु पोंछती है। रिया फिर तैयार हो जाती है। एक अग्निपरीक्षा के लिए।

ये अग्निपरीक्षा से भी भयंकर हैं, क्योंकि ये नज़रें कभी शांत नहीं होती। निरन्तर घूमती रहती हैं। रिया सर में दुपट्टा रख, हाथ मे चाय की ट्रे लेकर प्रवेश करती है। तो कमरे में सब की नज़रें उसकी तरफ हैं। उसने देखा तो नहीं महसूस कर लिया था। रिया शर्म के कारण पलकें भी ना उठा पाई। कोई उसके पैरों को देख बोलता नेलपेंट अच्छी है। रिया अपने पैरों को पीछे की तरफ खींचती, कोई उसके हाथों को देख बोलता। नेल्स का शौक भी है। रिया मुटठी बांध लेती तभी एक ने चिल्ला कर कहा गर्दन में भी तिल है। रिया अपना दुपट्टा ठीक करती। तभी रिया ने जैसे ही ट्रे नीचे रखती है। एक महिला हाथ खींच कर अपने साथ बिठा लेती है। और सब उसे निहारना नहीं घूरना शुरू कर देते हैं। रिया चाहती तो सब कुछ छोड़ कर चली जाए, पर माँ बाप की नज़रों को देख चुपचाप बैठी रही। तभी सब एक-एक कर सवाल पूछने लगे, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आती है, खाना बना लेती हो। काम बहुत होता हैं घर में, जैसे बहू नहीं नौकरानी की तलाश में निकले हो। फिर एक ने कहा चलो जरा उठो,चल के दिखाओ चाल कैसी है। रिया बुझे मन से चुपचाप चल कर दिखाया। तभी एक और फ़रमाइश आई, जो रिया को कोने मे ले गई और दुपट्टा हटाओ, रिया सकपका गई। तभी महिला बोली तुम्हारे कोई दाग-धब्बा तो नहीं है रिया ने इस बार घूर कर लड़के की तरफ देखा। जिसके मुंह में साफ़ जगह तो थी ही नहीं। रिया खून का घूंट पीकर रह गई। आखिर करती भी क्या ये सब जीवन का हिस्सा सा बना लिया था। फिर अन्तिम परीक्षा रिया की हाईट भी नापी गई। अब सब हो गया। लड़के वाले जा चुके थे। पर जवाब ना ही आया। रिया हैरान नही थी। रिया जानती थी। इस तरह की घटिया सोच रखने वाले ना ही कहेंगे।  

ये सब उसके जीवन का हिस्सा बन गया था। कभी तो मन करता था उसका इस तरह की मांग करने वालों को घर से बाहर निकाल दूँ। जो इस तरह नाप-तौल कर लड़की की मांग करते हैं, पर चुप्पी साध लेती थी। माँ बाप के ख़ातिर। आखिरकार एक दिन रिया को एक सभ्य परिवार का रिश्ता आया। उन्होंने रिया को बिना देखे उसकी शिक्षा और व्यवहार से ही पसन्द कर लिया। रिया की शादी तो धूमधाम से हो गई। पर हमारे समाज में कितनी रिया हैं, जिन्हें हर रोज इस तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता हैं। रिया तो शिक्षित,सुन्दर समझदार युवती थी। परन्तु फिर भी उसे शोषण का शिकार होना पड़ा। तो सोचो समाज के अन्य महिलाओं का क्या होगा। जिन्हें बिना सोचे तुम मोटी हो, तुम काली हो, हाईट थोड़ी छोटी हैं और न जाने क्या-क्या कहकर चले जाते हैं। ऐसे लोगों की मानसिकता का कुछ नहीं हो सकता। इसलिए वह चुप रही। लेकिन ऐसी हजारों रिया है, जो यह सब समझ नहीं पाती और अपने आपको कोसने लगती हैं। और अपना अस्तित्व खो बैठती हैं। हर स्त्री अपने आप में पूर्ण हैं। हर किसी के अन्दर कुछ ना कुछ हुनर है। हमें किसी का अनादर करने का कोई हक नही। हमें समाज में विद्यमान ऐसी कुरीतियों को निकालना होगा। जो स्त्री को समान मात्र समझें। और ये सब करने वाली भी महिलाएं ही होती हैं। इसलिए सिर्फ पुरूष को ही नहीं नारी को भी नारी की इज़्ज़त करनी चाहिए। तभी हमारा समाज आगें बढ़ेगा।


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