अधूरी कहानी
अधूरी कहानी
सोनिया अब तक जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रही थी। वह ऑपरेशन थिएटर से अभी भी बाहर नहीं आई थी इसलिए रोहन तनावग्रस्त था। रोहन के परिवार ने रोहन से नाता तोड़ दिया था जब उसने सोनिया से शादी की थी। रोहन उसे बहुत प्रेम करता हैं। उससे सोनिया की ऐसी हालत देखी नहीं जाती है।
रोहन के परिवार को उसकी शादी के बाद उनकी खबर पूछना भी मुनासिब नहीं लगा। इससे रोहन को बहोत दुःख हुआ । उसको उसके परिवार की याद आती पर वह उनसे मिल भी नहीं सकता ।अभी रोहन के लिए सोनिया और जया जी ही सबकुछ हैं।रोहन ऑपरेशन कब ख़तम हो उसका बेसब्री से
राह देख रहा था।बहोत समय हो गया पर सोनिया ऑपरेशन थिएटर से बहार आई नहीं थी।रोहन सोनिया के लिए अत्यंत चिन्तित हो गया । जयाजी ने उसे बहुत समझा रही थी और उसे धीरज रखने के लिए कहा पर उसकी परेशानी बढ़ती ही जा रही थी।वह समझ नहीं पाया सोनिया को ऑपरेशन थिएटर में इतना समय क्यों लग रहा है।वो सोनियाको जल्दी देखना चाहता है के वो ठीक हैं न।आखिर उसकी परेशानी का अंत आया और सोनिया का ऑपरेशन ख़त्म हुआ पर सोनिया को होश आने में एक दिन लगेगा डोक्टर के अनुसार।यह सुनकर रोहन मायूस हो गया और वह उसके पास ही बैठा।वह अस्पताल के कमरे से हट ही नहीं रहा था जयाजीने उसे आराम करनेको कहा पर वह माना ही नहीं और कहा मैं उसके पास ही यही बेठुंगा होश आने तक।
"जयाजी आप आराम करो मैं हूँ उसके पास।"
"जया जी ने कहा थोड़ा तो आराम करलो रोहन।"
"नहीं जयजी पहले सोनिया होश में तो आए बाकी सब कुछ बाद में।"
जयाजी कुछ बोली नही क्यों की उन्हे पता हैं रोहन माने वाला नहीं है।रोहन केवल सोनिया को देख रहा था।उसकी नज़र सोनिया से हटती ही नहीं थी।उसको आराम भी करना न था। सोनिया को होश आनेमें अभी समय लगने वाला था पर रोहन बहूँ त बेचेन था।उसे जल्द से जल्द सोनिया को होश मे देखना था लेकिन उसको होश आया नहीं ।डॉक्टर ने कहा अभी सोनिया को होश आने मे काफी वक्त लगेगा।रोहन यह सुनकर बहूँ त उदास हो गया।उसे जल्दी उससे बात करनी थी और ठीक देखना था .उसे इंतज़ार करना होगा। शायद भगवनको भीयह ही मंजूर था।वो इंतज़ार करने के लिए भी तैयार था बस उसकी एक ही चाह थी, सोनिया ठीक हो जाए।
कुछ दिन बाद आखिर सोनिया को होश आ गया पर उसकी याद कमजोर होने के कारण वह किसीको पहचानती नहीं थी।यह देखकर रोहन उदास हो गया।
रोहन अभी बिखरने लगा लेकिन वो हर हालत मे खुद को और जयजीको सँभालने लगा।डॉक्टरने कहा सोनिया की हालत नाजुक हैं। उसको परी तरह ठीक होने मे और याददाश आने में कमसे कम तीन महीना लगेगा। कुछ बोल नहीं सकते उससे ज्यादा भी लग सकता है।
रोहन ने डॉक्टर से पूछा उसे "अस्पताल मे रखना पड़ेगा या घर पे इलाज करना पड़ेगा?"
डॉक्टर ने कहा "घर पे इलाज कर सकते हो लेकिन उन्हें दवाइया के साथ उसे कुछ महीना आराम करना होगा।"
"मैं उसका अच्छे से ख्याल रखूँगा।"
रोहन ने डॉक्टर से पूछा "अब मैं उसे घर लेके जा सकता हूँ?"
डॉक्टर ने कहा "हां मैंने जैसे कहा हैं वैसे करना पड़ेगा।"
" ठीक हैं डॉक्टर मैं वैसे ही करूँगा।"
अब रोहन सोनिया की देखभाल करने लगा।सोनिया उसको पहचानती नहीं थी पर उसे यकीन था सोनिया जल्द ठीक भी हो जाएगी और उसे पहचानने लगेगी।सोनिया को एक महीना हो गया और उसका इलाज चालू था।रोहन दिन रात मेहनत कर रहा था कि वो ठीक हो जाए।अचानक दूसरे महिने मे सोनिया की तबियत काफी सुधरने लगी पर यादाश अभी भी वापस नहीं आई।रोहन सब तरह से कोशिश कर रहा था परउसे याद ही नहीं था।रोहन उसे उसके साथ बिताया हूँ वा वक़्त याद दिलाने की कोशिश कर रहा था पर उसे कुछ भी याद नहीं था।रोहन सोनिया के डिमाग पर जोर डलवाना नहीं चाहता था क्यूंकि वह अभी भी बिलकुल ठीक नहीं हुई थी और और वो उसे वापस तकलीफ़ मे देख नहीं सकता।
रोहन ने उसका इलाज जारी रखा और उसका अच्छे से ख्याल रखता था ।यह देखर जयजी बहुत खुश हुई और मन मे सोचने लगी रोहन कितना प्यार करता हैं सोनिया से।रोहन के विश्वास और श्रद्धा के कारण सोनिया एकदम ठीक हो गई और उसकी याददाश्त भी आ गई।यह देखकर रोहन बहोत खुश हो गया।रोहन जिस दिन की कब से राह देख रहा था वो आ गया।सोनिया को जब पता चला रोहन ने उसका इलाज किया और ध्यान भी बहोत रखा सोनिया ने रोहन को गले लगाया और कहा "कितना प्रेम करते हो मुझसे।"रोहन ने कहा "मैंने तुम्हारे बिन इतने महीने कैसे निकाले मैं ही जानता हूँ ।तुमने मुझे पहचाना भी नहीं।"
"हां रोहन मैं समझ सकती हूँ।अब हम साथ ही हैं तो अब हंसो ।
"तुम्हे खुश देखकर मैं भी खुश हूँ ।"

