Priyanka Vegda

Romance

4.2  

Priyanka Vegda

Romance

अधूरी कहानी

अधूरी कहानी

4 mins
620


पहली नज़र का पहला प्यार कुछ इस तरह हुआ, मानो जैसे रेगिस्तान में बारिश का आना, मैं एक मिडिल क्लास गुजराती फैमिली की हूं।

बी.कॉम करने के बाद नौकरी करना जरूरत सा हो गया है, ख्वाब तो फिल्मों में काम करने के थे पर घरवालों से पंगा लेना किसे पसंद है ? वैसे तो मुझे अभी मौका मिले तो भी में ना नहीं बोलूंगी। वैसे तो सारे ही त्यौहार पसंद हैं, लेकिन दिल के करीब नवरात्रि हैं। मा दुर्गा की शक्ति ओर प्रेम से नो दिन इतने रंगीन लगते हैं,जैसे अंधेरे में चमकते जुगनू। मेरी रूखी ज़िन्दगी में ये नो दिन ख़ुशी लाते हैं। पिछले साल नवरात्रि में मेरी ज़िंदगी में जुगनू आया। उन लाखों की भीड़ में भी वो एक ही अच्छा लगा। पता नहीं उसकी आंखों में कुछ अलग ही बात थी।

जुबान से ज्यादा तो उसकी आंखें बातें कर रही थी मुझसे। लेकिन बहुत ही डरपोक था। मैं कितना कोशिश कर रही थी उससे बात करने के लिए, वो तो पता नहीं ऐसे काँप रहा था जैसे में उसको खा जाऊंगी। लड़के सामने से आके बात करते हैं, ये तो मुझे ही बात करनी पड़ी, मुझे फिर भी ख़ुशी मिल रही थी। मैंने हार नहीं मानी ओर उसका मोबाइल नम्बर ले ही लिया। पहली नज़र का प्यार तो मेरे दिल ओर दिमाग में घर कर गया। बातचीत का सिलसिला मैंने ही शुरू किया। धीरे धीरे वो भी बात करने लगा। ये एहसास हुआ कि वो भी मेरे जैसा ही था। फिर मुलाकातें शुरू होने लगी। उसकी एक बात बहुत पसंद थी, वो घंटो तक मेरी आंखों में ही देखता रहता था बिना कुछ बोले। मेरा हाथ थामकर वो मुझे आने वाले कल के सपने दिखाने लगता था। वो वक़्त, वो खूबसूरत पल को रोक लेना चाहती थी पर मेरे बस में कुछ नहीं था। हम हर शनिवार को घूमने जाया करते थे। हम दोनों को अलग अलग जगहों पर खाने का बहुत पसंद था, चटपटा खाते रहते थे। हमारी पहली बारिश बहुत खूबसूरत थी, जैसे रंगीन तितलियों का झूंड। हम बारिश में भीगने निकलते थे, लोग हमें पागल मानते थे, लेकिन इश्क़ में तो दिवानगी होनी चाहिए। हम रोज़ घंटो फोन पर बातें किया करते थे।

वीडियो कॉल जब ना मिले तब करते थे। वो काफी समझदार लगता था, और हर जगह मेरा साथ देता था। मैंने भी उसका साथ हमेशा दिया। हमें एक दूसरे की आदत हो गई थी। धीरे धीरे ये आदत हमारी कमजोरी बन गई। हमें एक दूसरे की बिना जीना नहीं आता था। हर पल एक ही इंसान हर जगह दिखना और उसकी आवाज़ सुनाई देना। ६ महीने बाद उसने अपने घरवालों से मिलवाने का फैसला किया। मैं तो खुशी से झूम रही थी। मैंने भी अपने मम्मी पापा से हमारी बात की। परियों की कहानी जैसा सब लग रहा था। खुली आंखों से सपने देखने लगी थी। हमारा प्यार सबकी नजर आया लेकिन उसकी मम्मी को नहीं। पता नहीं वो क्या चाहती थीं। वो देखकर भी अनदेखा कर रही थीं। उसकी मम्मी ने ये रिश्ता तोड़ देने की कहा। जवाब जानकर तो मेरे सारे सपने टूट गए। एक पल में सब ख़त्म कर दिया। मैं मिडिल क्लास की हूं इसीलिए उन्होंने ये रिश्ता तोड़ देने को कहा।

वो अमीर थे,हम उनके स्टेटस को मैच नहीं करते थें। वो माँ और हमारे प्यार के बीच फंस गया। मैंने भी उसको अपने प्यार से आज़ाद कर दिया जैसे एक पक्षी को पिंजरे से करते हैं। वो मुझसे ज्यादा अपनी माँ से प्यार करता था, आखिर माँ के प्रेम के आगे कौन जीत सकता हैं। मैं नहीं चाहती थी कि वो मेरे ओर उसकी माँ के प्यार के बीच तड़पता रहें।

अफसोस होता है हर बात का की, क्यों ये सब हुआ, लेकिन तक़दीर में लिखा मिट नहीं सकता। वो आदत धीरे धीरे टूटने लगी, वो बातें मिटने लगी। अधूरी कहानी दर्द भारी रहती हैं। कुछ ही दिनों में नवरात्रि आने वाली है, वो साथ नहीं होगा लेकिन उसकी हर बात याद हैं,उसकी आंखें अभी भी मुझे ही देखती हैं, उसकी आवाज़ अभी भी सुनाई देती हैं। वो दूर होकर भी हमेशा साथ हैं, मेरी अधूरी कहानी की ये भी एक खास बात हैं।


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