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Suman Sachdeva

Tragedy Inspirational

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Suman Sachdeva

Tragedy Inspirational

अबार्शन ( लघुकथा )

अबार्शन ( लघुकथा )

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आज 'बेटी बचाओ ,बेटी पढाओ' विषय के अन्तर्गत रखी गयी भाषण प्रतियोगिता में श्रीमती शिखा अरोड़ा ( जो कि हाल ही में डिप्टी कमिश्नर के पद पर नियुक्त हुई थी) को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था । वह बहुत उदास मन से सभी छात्राओं के प्रभावशाली भाषण सुन रही थी । प्रतियोगिता के अंत में उनके संवेदनशील भाषण ने सभी की आंखें नम कर दी थी। 


 मंच संचालक व अन्य व्यक्ति उनकी व उनके भाषण की खूब सराहना कर रहे थे ,मगर वह इन सबसे बेखबर आज से चार वर्ष पूर्व की घटना को याद कर रही थी। उसे याद आ रहा था हस्पताल का वह कमरा ,वे औजार व अपनी अजन्मा बच्ची की वो चीखें जो उसकी अंतरात्मा‌ को धिक्कार रही थी। 


 उसका मन इतना व्याकुल हो उठा कि वो उसी समय किसी आवश्यक कार्य का बहाना बना कर वहाँ से चल दी। मंच संचालक द्वारा सम्मान चिह्न दिए जाने की बात को भी वह टाल गयी थी । अब वह कैसे उन्हे बताती कि बेटी के खून से सने उसके हाथ इस सम्मान चिह्न को लेने का अधिकार खो चुके हैं ।


     






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