Meenakshi Kilawat

Inspirational

4.3  

Meenakshi Kilawat

Inspirational

आपबीती

आपबीती

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 एक बार की बात है, मेरी सहेली घर पर आई थी, उसने गुजरा हुआ कल मेरे सामने खोला, वह बताने लगी, अपने मैरिज लाइफ की कुछ बातें या आपबीती कहो, वह बताने लगी।

5 साल पूर्व की बात है, मेरी डिलीवरी हुई थी, मुझे प्यारा सा बच्चा हुआ था, वह बच्चा आज 5 साल की मेरी बेटी है। 8 दिन के बाद मुझे मुझे अचानक पेट में दर्द होने लगा, मैं दर्द से तड़प रही थी। मेरी गोलियां खत्म हो चुकी थी वह बार-बार पति को फोन कर रही थी लेकिन पति मीटिंग में रहने की वजह से फोन उठा नहीं पा रहा था। तो मैंने अपने भाई से फोन किया भाई आते वक्त मेरी दवाइयाँ लेते आना, भाई ने हां कहां, लेकिन रास्ते में आते आते दवाइयां लाना भूल गया। वह रोती रही तड़पती रही।

जब शाम हुई तब उसके पति घर आए तो मूड में नहीं थे एवं पत्नी भी मूड में नहीं दिखी, पति जान नहीं पाया कि मेरी हालत खराब है। हालांकि इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि मैं बिस्तर से उठ भी नहीं पा रही थी, मैंने पूछा फिर क्या हुआ, सहेली बोली, क्या होना था पति तमतमा कर बाहर जाने लगे। उन्हें पता नहीं था कि मैं मेरे दर्द से परेशान हूं। हालांकि मैं उनके उनके वजह से दुख भोग रही थी। अगर वह फोन उठा लेते तो मेरी दवाइयां आ जाती और मेरी हालत यूं नाजुक ना होती, उनके आने से मैं उनका स्वागत नहीं कर पाई थी।

मेरे पति पहले ही परेशान थे, इसलिए उन्होंने गुस्से में आकर बाहर जाने का बहाना ढूंढ लिया था। मैं बाद में  घर आऊंगा अभी मैं बाहर जा रहा हूं, कहकर बाहर जाने लगे। मैं पूरी तरह परेशान हो चुकी थी, मेरा बुरा हाल था लेकिन पति को मेरी तरफ देखना भी गवारा नहीं था। जैसे ही वह बाहर जाने लगे, मैंने कहा, जरा रुको, जरा रुको, मेरी रिक्वेस्ट सुनो जब मेरी कुछ आवाज बदली सी सुनकर पति रुक गए।

मैंने कहा मेरे पास आओ, जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत है आपकी तभी आप बाहर जा रहे हो। मुझे छोड़कर ना जाओ, जब मैं अच्छी भली थी तो आप मेरे पीछे पीछे घूमते रहते थे,अब मुझे दर्द में अकेली छोड़ कर जा रहे हो, जबकि मैं दर्द से तड़प रही हूँ और मुझे आप के सहारे की बहुत जरूरत है। किसी तरह दोनों बाहें फैलाकर कहने लगी मेरे पास आओ, मेरे पास आओ, पति ने उसको थाम लिया तब उसने बताया कि मेरी दवाइयां खत्म हो चुकी है और मैं दर्द से तड़प रही हूं। तब उसके पति को समझ में आया कि सही में पत्नी की भावनाएं हम पुरुष नहीं समझ पाते।

पत्नी को समझने में बहुत देर हो जाती है और दूरियं बढ़ जाती है।

वह पश्चाताप करने लगे, इसी कारण डिवोर्स हो जाते हैं तब उसके पति को और पत्नी का प्रेम समझ में आया, वह कहने लगा मैं अपने आप को भी समझ गयाऔर मैं खुद को अच्छा प्रेमी और पति समझा करता था। वह मेरी भूल थी। शायद मेरी पत्नी सही कहती थी मैं मतलबी इंसान हूँ, मैं केवल अच्छे वक्त का साथी था जब तक वह खुश और बढ़िया रहती थी मैं उसे बदले में प्रेम देता परंतु जब अपसेट रहती थी मैं उसे भागता फिरता हूँ।

मेरी सहेली बता रही थी उसकी आंखें भीगी हुई थी, फिर से बताने लगी, उसके पति को सच में पश्चाताप हुआ था। वह खुद को दोष दे रहा था पर अपनी पत्नी को ना समझने के लिए खेद जता रहा था। कई बार इसी तरह बहस करके घर से बाहर चले जाते थे, पति ने कहा पहली बार पत्नी के प्रेम को समझ गया। अगर आज भी मैं पत्नी को छोड़कर उससे दूर चला जाता तो क्या होता, वह पहली बार मुझे छोड़कर नहीं गया और रुक गया था और इससे मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। जब उसे सचमुच मेरी जरूरत थी तब वह मुझे प्रेम दे रहा था।अब उसे भी तो सच्चे प्रेम का अर्थ समझ में आ गया। हमारे लिए जिंदगी कितनी आसान हो गई, पति ने मुझको उनकी बाहों मैं भरकर बहुत हौसला दिया, पति ने कहा- मैं आज तक क्यों नहीं समझ पाया तुम्हें सिर्फ प्रेम से मैं अपने बाहों में भर लूं ताकि तुम मेरे कंधे पर सर रखकर रो सको।

 शायद महिलाओं को क्या चाहिए, हम पुरुष नहीं समझ पाते, वह प्यार की भूखी होती है, उसे यह पता नहीं था आलिंगन करना बाहों में लेना मेरी बात सुनना मेरे लिए इतना ज्यादा महत्वपूर्ण था।

मेरे और उनके बीच के अंतर को जान लेने के बाद हमारे बीच के संबंधों में सुधार आ गया और हमारे संबंध और मधुर हो गए।अगर पति पत्नी ने यह बात समझ ली तो जीवन में खुशियां आ सकती है। अन्यथा जीवन में तनाव द्वेष और झगड़ा सिर्फ इसलिए होता है कि वे एक दूसरे को नहीं समझ पाते, हालांकि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि महिलाओं का दिल उनकी भावनाएं किस तरह कोमल होती है।

वह किस तरह सोचती है और व्यवहार करती है, किस तरह उनकी प्रतिक्रिया होती है तो आप उनसे बेहतर रिश्ता बना सकते हैं। पुरुष और महिलाएं ना सिर्फ अलग-अलग तरीकों से बोलते हैं बल्कि वह अलग अलग तरीकों से सोचते भी हैं। एक दूसरे को जानना क्रिया प्रतिक्रिया देना और प्रेम जताना, एक दूसरे की तारीफ करना, यह सब जरूरी है। यह अगर होता है तो, समझो वे मन से एक दूसरे में घुल मिल रहे हैं। एक दूसरे के लिए बने हैं। अगर दोनों आसानी से एक दूसरे की खामियां ना निकालें, कमियां ना गिनवाये, अपेक्षाएं कम रखें तो अवश्य सुधार हो सकता है। चाहे सामने वाला आप से उतना ही अलग हो, यह बात शांति से सुलझाई जा सकती है। यह बात ध्यान में रखे तो विवाह की संख्या बढ़ सकती है और तलाक की संख्या घट सकती है।

क्योंकि हमारे बच्चों की परवरिश में परेशानियां ना आए और वह दुनिया में इज्जत से योग्य इंसान बने।


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