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Pratima Yadav

Inspirational Others

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Pratima Yadav

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आखिरी दरवाज़ा

आखिरी दरवाज़ा

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हेलो दोस्तों.... एक छोटी सी कहानी आप के लिए......उम्मीद है आपको पसंद आए ।।


  हे! भगवान.....

मेरी कब सुनोगे.....

कब तक यूं ही भटकते फिरेंगे, यहां से वहां....

अब उमर भी हो चली है।

एक गरीब भिखारी भगवान से शिकायत पर शिकायत किया जा रहा था।

रोज वो इधर -उधर से भिक्षा मांगता और अपना गुजारा करता।

एक दिन किसी ने सलाह दी की बाबा, आप शहर जाइए, वहां आपको बहुत कुछ मिलेगा।

बाबा- ठीक है हम भी कबसे यही सोचते थे कि शहर जाना चाहिए एक बार......

भिखारी एक दिन सुबह उठकर अपनी झोला- झोली लेकर शहर निकल पड़ा।

शहर आते ही वो एक गली में मुड़ गया।

और गीत गाते हुए....

भिक्षा मांगने लगा।

       भिक्षा मांगते - मांगते एक दरवाजे पर आया।

दरवाजा खटखटाने लगा....पर कोई दरवाजा नहीं खोला।

भिखारी ने एक लोग से पूछा, इस घर का मालिक कहां है जो बाबा के लिए दरवाजा नहीं खोल रहा।

आदमी ने बोला- इस घर का मालिक दरवाजा नहीं खोलता और किसी को कुछ नहीं देता। आगे बढ़ जाओ।

भिखारी- अरे! कैसा मालिक है इस घर का जो किसी को कुछ नहीं देता।

दूसरा आदमी- आपको कम दिखता है क्या?

भिखारी - अब 60 में भी कितना दिखेगा बेटा, दिन ब दिन आंखें घूमिल होती ही जायेंगी ना।

दुसरा आदमी- ठीक है बाबा, ये कोई साधारण घर नहीं है, जहां से आपको भिछा मिले।

यह मंदिर है....और बन्द है अभी ।

शाम को खुलेगा।

भिखारी- उत्सुकतावश मंदिर है....!! उसके मन से आवाज़ आई, "आखिरी दरवाजा" ।

फिर उसने आदमी से पूछा, मंदिर घरों के बीच में।

आदमी- हां बाबा, यहां शहर की गलियों में मंदिर ऐसे ही होते हैं।

ये गाँव नहीं है ना, गाँव में तो जगह जमीन ज्यादा रहता है ना तो वहां की मंदिर परिसर बड़ा और घरों से दूर बना होता है।

भिखारी- सही बोले बेटा....

फिर आदमी चला जाता है।

     भिखारी- अब यही सीढ़ीयों पर बैठकर आराम कर लेते है और कुछ खा लेते है।

भिखारी वहीं खा पीकर सो जाता है।

शाम को मंदिर खुला तो, भिखारी भी जग गया।

मंदिर में भीड़ लग गई। सब आते जाते बाबा को बिना मागें पैसा तो कोई प्रसाद व मिठाई देता चला जाता।

भिखारी- खुश होकर लगता है भगवान ने हमारी सुन ली, बिना मागें सब मिल जा रहा है। अरे वाह!

ये "आखिरी दरवाजा "तो बहुत चमत्कारी निकला।

*"वो आदमी झूठ बोला कि इस घर का मालिक कुछ नहीं देता और ना ही दरवाजा खोलता है"*। 

पर इस घर का मालिक तो बहुत दयालु और दान -दाता है,

बस जरूरत है तो इस दरवाजे पर सच्चे मन और श्रद्धा के भाव से आने की।

हम भगवान से रोज सच्चे मन से प्रार्थना करते थे, की भगवान मेरी भी नईया पार लगा दो। जो आज लग गई मेरी नईया पार, जय भोले हर हर महादेव..... व धन्यवाद करते हुए खुशी से नाचते हुए बोला .....

अब हम यही रहेंगे और भगवान की सेवा और मन्दिर की देखभाल करेंगे।

भिखारी तबसे वहीं रहने लगा और उसे कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ी उसे सब कुछ मिलनें लगा। वह खुशी पूर्वक भजन गाते मगन रहने लगा। *****

       तो दोस्तों ये थी कहानी....

आपको कैसी लगी?

मिलते है अगले एक नई कहानी के साथ तब- तक लिए "नमस्कारम्" जय श्रीकृष्णा, राधे- राधे.....



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