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Abstract

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ज़िन्दगी- मेरी शिक्षिका

ज़िन्दगी- मेरी शिक्षिका

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वो तुम ही तो हो

जो मुझे हर पल आज़माती हो। 

क्या अच्छा है, क्या बुरा है तुम ही तो बताती हो। 


वो तुम ही तो हो 

जो रोज़ सुबह मुझे जगाती हो। 

हर दिन के मायने समझती हो। 


वो तुम ही तो हो 

जो मेरी मेहनत से संवरती हो। 

मेरी लगन से निखरती हो। 

और मेरी गलती पर मुझे डरती हो। 


वो तुम ही तो हो 

जो नित प्रस्तुत करती हो नए सवाल मेरे लिए 

प्रायः तो मैं समझ ही नहीं पाती उन सवालों के अर्थ 

पर कभ

ी - कभी ढूंढ ही लेती हूँ हल। 


और फिर जब चलती हूँ आईने की तरफ,

अपनी पीठ खुद थपथपाने ,

तो देखती हूँ की तुमने मेरे कुछ

बाल और सफ़ेद कर दिए। 


तब ख़ुशी तो होती है हल निकाल पाने की

पर एक कोशिश भी- बालों की सफ़ेदी छुपाने की। 

पर तुम कहाँ रूकती हो!


अब तो आदत सी हो गयी है तुम्हारे

सवालों में उलझ जाने की

फिर उसी उत्साह से,

उसी आत्म विश्वास से हल खोज लाने की। 


तुम्हारी खुली पाठशाला बहुत पसंद है मुझे!!

शुक्रिया ज़िन्दगी!


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