यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल
यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल
यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल
घर से बाहर निकलना पड़ता है।
रखना पड़ता है
खुद पर भरोसा औरों से भी ज्यादा।
यूं आसानी से सब मिल जाए
तो चीज़ॊ की कदर कैसे करोगे तुम।
थोड़ा-सा तपना पड़ता है
बहुत मेहनत करनी पड़ती है
अपने अंदर का हीरा तराशने के लिए।
यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल
पूछा चिड़िया से कैसे बना आशियाना ?
बोली - भरनी पड़ती है उड़ान बार-बार
तिनका-तिनका उठाना पड़ता है।
यूं ही नहीं मिलती राही को मंज़िल
एक जज्बा अपने अंदर लाना होता है
दृढ़ निश्चय करना पड़ता है
समय का सदुपयोग करना पड़ता है
और
निरंतर चलते रहना होता है
तभी हासिल होती है एक राही को मंज़िल
तभी हासिल होती है एक राही को मंज़िल।