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Ritika Chaudhari

Romance

2.5  

Ritika Chaudhari

Romance

यकीन

यकीन

1 min
228


यूं तो इतना नहीं झगड़ते थे हम

उन दिनों में क्या से क्या हो गए थे


लेकिन इतना वक़्त गुज़ारा भी

पहली बार था

रोज़मर्रा में पहली दफा देखा

था तुम को

आदतों से वाक़िफ़ होने में थोड़ा

वक़्त तो लगेगा 


समझ फिर थोड़ा देर से आया

जब तुम मेरी ही ग़लती पे मुझे ही

मना रहे थे

मेरी ही ग़लती पे खुद माफ़ी मांग के

बात खत्म कर देना चाहते थे

जब आदतों से ज्यादा जरूरी

वो लड़ाई थी जो हम कर रहे थे। 


क्योंकि लड़कर तुमसे, तुम्हें मुझे

मनाते देख कर

जो खुद की तकदीर पे यकीन हुआ है

की उसके घर में देर हो सकती है,

लेकिन अंधेर नहीं

बनाया है उसने सबके लिए कोई ना कोई

हर मोड़ पे जो उससे उसको

जीने का एहसास दिलाता रहे।



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