यह ध्वज तेरी पहचान हैं
यह ध्वज तेरी पहचान हैं
गूंज रहे थे नारे उन गोलियों के शोर में
जान रख हाथ पर मौत खड़ी थी चौखट पर
आज नहीं झुकने दूंगा तिरंगा उठा था नारा
चाहे खून में रंग जाऊंगा
आज नहीं झुकूंगा में
चाहे लड़ते लड़ते मर जाऊंगा
खा तू इस मिट्टी की कसम
इस मिट्टी के कण कण में बस जाएगा तू
आज मिला हैं अवसर
श्री राम से भिड़कर,
भारत मां को समर्पित हो जाएगा तू
गोलियां आज मेरा शरीर क्यों न भेद दे
सीने में भारत मां का वास रहेगा
भारत के लिए लड़ा हूं में
स्वतंत्रता सेनानी मेरा नाम रहेगा
ध्वज आज तुझे भी पुकार रहा
आज नहीं उठा तू, तो जुख जाएगा वो
लेहराएग वो नहीं, अंदर से मर जाएगा तू
उठेगा आज तू तेरा इम्तिहान
देश के लिए लड़ेगा तू यह ध्वज तेरी पहचान हैं
तिरंगे से रंग दे तू भारत
यह भारत मां की मांग हैं
याद रखना जहन में
आज अगर तू झुक गया
तो गुलाम बन जाएगा
आज अगर तो थम गया तो
तु इतिहास बन जाएगा
आज अगर तू लड़ गया
तो आज़ाद ये हिन्द हो जाएगा।
