ये कैसा इंसाफ है ?
ये कैसा इंसाफ है ?
ये अंधेरी रात सा है कुछ साफ नजर नही आता !
न्याय का एक दीया जला तो आशावाद हिलोरें लेने लगा कि शायद अब सब कुछ ठीक हो जाएगा !
लेकिन दूसरे पल ही अंधेरा और बढा, रोशनी कम हो गई, उम्मीदें खत्म हो गईं !
अब इस घोर अंधेरे को मिटाने वाला दीया कहीं जलता नजर नहीं आता !