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Ekta Singh

Tragedy Others

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Ekta Singh

Tragedy Others

ये कैसा इंसाफ है ?

ये कैसा इंसाफ है ?

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ये अंधेरी रात सा है कुछ साफ नजर नही आता !

न्याय का एक दीया जला तो आशावाद हिलोरें लेने लगा कि शायद अब सब कुछ ठीक हो जाएगा !

लेकिन दूसरे पल ही अंधेरा और बढा, रोशनी कम हो गई, उम्मीदें खत्म हो गईं !

अब इस घोर अंधेरे को मिटाने वाला दीया कहीं जलता नजर नहीं आता !


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