कमजोर नही थी वो
कमजोर नही थी वो
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गंदगी कुछ के दिमाग में होती है
भरोसा सब पर से उठ जाता है।।
दरिंदगी एक के साथ होती है ।
दर्द हर एक को महसूस होता है।।
चिता एक की जलती है।
सम्मान सबका राख होता है ।।
दर्द और चीख के साथ वो दुनिया को अलविदा कह जाती है।
लेकिन सपना पूरे परिवार का टूट जाता है।।
कमजोर नही थी वो, बस उसकी उम्मीद खत्म हो जाती है।
जब उसके इंसाफ की बात आने पर, देश जाति और धर्म के नाम पर बट जाता है।।