ये हुस्न तेरा नहीं
ये हुस्न तेरा नहीं
ये हुस्न तेरा नहीं
कुदरत ने गलती से तुझ पर गिरा दिया
क्यों हैं तुझे इतना गुमान??
जरा देख नजरों को घुमा कर आसपास
झूर्रियों ने हर चेहरे को बुढ़ापे का मंजर दिखा दिया
तेरी बेवफाई जब लहरा के चली मेरे दिल की गली
मैंने लफ़्ज़ों को जोड़ जोड़ कर खंजर बना दिया
रातों को करवटों ने इतना तोड़ा
मैंने आँखों को निचोड़ कर समंदर बना दिया
मेरी नज्मों को आने वाली सदियाँ गायेंगी
तूने मुझे कोयले से कोहिनूर बना दिया
एक नई मोहब्बत आयी है मेरी जिंदगी मे
यू हीं चलते फिरते मैंने तुझे भुला दिया!