यादों के सिलसिले जारी है
यादों के सिलसिले जारी है
आज कुछ लिख नही प रही हूँ
आँखो में नींद है या कोई याद आ रहा है।
अगर याद आ रहा है ,तो ओ कौन है जो ऐसे सता रहा है।
कहीं वही तो नही जिसने हमे बर्बाद किया
भरोसे के साथ खेला और फिर आबाद किया।
आज यादों की रफ्तार ने ये राज खोला है
कितनी जादूगर है ये यादे,याद उसी को करती है जिन्हें भुलाना है।
पता था झूठा नकाब पहना है वो सच्चाई औऱ अच्छाई का
कमबख्त उसके चेहरे का नकाब उठाना था।
बहुत नाज था दिल को उनके सच्चाई और अच्छाई पर
जब नकाब हटा तो यादे बन गयी।
बैठे बिठाये आ गया न जाने क्या ख़याल
छोड़ो क्या कहूँ किसकी याद आ रही है।