STORYMIRROR

Sunita Katyal

Abstract

1  

Sunita Katyal

Abstract

यादें

यादें

1 min
163

इस जमाने में जहाँ वक्त के साथ साथ

ख्यालात भी बदल जाते हैं

तुम तो शायद सोच भी नहीं पाते होगे

कि कितनी शिद्दत से तुम्हे कोई चाहता है

तुम्हारी यादों के सामने 

कितने बेबस और मजबूर हो जाते हैं हम

एक याद तुम्हारी

हमारी जान लेने के लिए काफी है सनम


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract