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Sunita Katyal

Abstract

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Sunita Katyal

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खिली धूप

खिली धूप

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सुबह मेरे लिए ताजगी का जैसे पर्याय सा हो गई है

हां सुबह सुबह दो चाय जरूर चाहिए होती हैं

उसके लिए मेरे पतिदेव जिंदाबाद

चाय के साथ कुछ समय मोबाइल और अपने लिए

फिर तैयार हो कर ईश वंदन

फिर घर का सामान इधर उधर

और पतिदेव को अपने हाथ से नाश्ता बना कर खिलाना

ये भी तो जरूरी है भाई

क्योंकि कल सुबह फिर चाय भी तो पीनी है

जब तक सूरज खिला रहता है

मै भी खिली धूप सी खिली खिली रहती हूं


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