याद आती तो होगी
याद आती तो होगी
अब ताे ये ख्याल ही काफी है
बसर ए जिंदगी के लिये।
कि शायद
उनको हमारी याद आती तो होगी।
जब सर्द -सर्द,महकी फिजाये छेड़- छेड़ जाती होगी
मखमली धूप उनको राहतें जाे दे जाती होगी।
उन खुशनुमा पलों में
शायद उनको याद हमारी आती होगी।
ओस की बूंदे जब फूलों में ठहर जाती होंगी
महकता होगा सारा गुलशन।
कली -कली जब खिल जाती होगी।
उन शबनमी लम्हों में
शायद उनको याद हमारी आती तो होगी।
बिन माँगे हो जाती होगी,जब उनकी दुआएँ कुबूल
सजदे में सिर झुकाये एक तस्वीर नजरों में समा जाती तो होंगी।
उन सूफियाना लम्हों में
शायद उनको याद हमारी आती तो होगी।
हासिल होगी चाहे उन्हें ज़माने भर की खुशियाँ
एक खला ,पर फिर भी, दिल में रह जाती ताे होगी।
उन तन्हा लम्हों में।
शायद,उनको हमारी याद आती तो होगी।
आसमा में जब बादलों से लुकाछुपी करता होगा चाँद
टूटे तारे को देख, पलकें मूंद, ख्वाइशें कर जाती तो होंगी।
यूँ ही झलक चाँद में हमारी ,नजरें उनकी तलाश जाती ताे होंगी।
उन दिलकश लम्हों में
शायद उनको हमारी याद आती तो होगी।
गुनगुनाते होंगे ,जब वो भीगी आँखों से नगमे
बातों ,वादों ,मुलाकातों के सिलसिले सदायें ,फिर दी जाती तो होंगी।
उन उदास पलों में
शायद उनको हमारी याद आती तो होगी।

