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नवनीता कटकवार

Abstract

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नवनीता कटकवार

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होली आई रे

होली आई रे

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होली आई है, रंगो भरा मौसम लाई है

घर आंगन रंगे, लाल, गुलाबी, नीले पीले रंगों से

रंग भरे चेहरों में खुशियाँ छाई है

होली आई है, रंगाें भरा मौसम लाई है


द्वेष, बैर भाव भूलकर,

गले लगे भूल जाति धर्म की बातें

एकता में ही शक्ति, यह पैगाम लाई है

होली आई है, रंगाें भरा मौसम लाई है

गुजिया, ठंडाई, भांग की बनी मिठाई

ढ़ाेलक की ताल पर।


मस्तों की टोली ने हुड़दंग मचाई है 

होली आई है ,रंगाें भरा मौसम लाई है

खिले दहकते, मदमाते फूल टेसू के  

रंगों से भरी है पिचकारी।


रंग-बिरंगे, गुब्बारों ने बाजी है मारी

फागुन की मस्ती, बहारें लाई है

हाेली आई है, रंगों भरा मौसम लाई है। 


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